➥ चेचक (smallpox) एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है। इसमें रोगी को सिरदर्द, गले की खराश जैसे लक्षण दिखाई देते हैं इसके साथ ही चेहरे तथा शरीर पर लाल दाने निकलने लगते हैं। ध्यान न देने पर यह संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है। भविष्य में इसके कारण लाखों जानें जा चुकी हैं।
➥ यह रोग एक महामारी की तरह फैलता हैं जो हजारों सालों से लाखों लोगों की जान ले चुका है। भारत में टीकाकरण से पहले बहुत जानें जा चुकी हैं लेकिन अब इसमें काफी सुधार हुआ है। नीचे हम चेचक के होने के कारण इसके लक्षण तथा इससे बचाव के तरीके के बारे में जानेंगे।
"चेचक वैरीसेला जाॅस्टर नामक वायरस के कारण होता है। यह अत्यंत संक्रामक रोग है।"
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चेचक के लक्षण (symptoms of smallpox)
चेचक के लक्षणों की शुरुआत वायरस के संपर्क में आने के लगभग दो हफ्ते बाद होती है इसे रोग का उद्भवकाल कहा जाता है। इसके शरुआती लक्षण बुखार और सुस्ती के साथ-साथ सिरदर्द, गले का खराश, और उल्टी भी होता है।
➥ इन लक्षणों के 2-3 दिन के बाद रोगी के शरीर का तापमान गिरने लगता है और उसके शरीर पर चकत्ते निकलने लगते हैं।
➥ धीरे-धीरे यह मुंह, गले और नाक के अंदर तक बनने लगते थे।इन दानों में द्रव-भरा हुआ होता है और यह शरीर के कई हिस्सों तक फैलते जाते हैं। लगभग तीसरे हफ्ते में इनपर पपड़ियां बननी शुरू हो जाती थीं जो त्वचा से अलग होने लगती है। इनके निकलने पर इन्हें सावधानी पूर्वक जला देना चाहिए जिससे यह किसी और के सम्पर्क में आकर रोग न फैलाएं।
चेचक (SmallPox) से पीड़ित व्यक्ति में दिखने वाले सामान्य लक्षण इस प्रकार है:
1. हल्का बुखार
2. त्वचा पर निशान तथा पेट, हाथ, पैर और चेहरे पर दाने।
3. शरीर में दर्द विशेष पर पीठ में।
चेचक का संचरण (smallpox transmission)
चेचक (SmallPox) एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सरलता से पहुंच सकता है यदि ध्यान नहीं दिया तो। यह निम्नलिखित कारणों द्वारा संचरित हो सकता है:-
1. रोगी से प्रत्यक्ष संपर्क द्वारा।
2. रोगी की व्यक्तिगत वस्तुओं के उपयोग द्वारा जैसे संक्रमित बिस्तर, चादर, तोलिया, भोजन इत्यादि के द्वारा।
3. रोगी के दानों के खुरंड के चूर्णित होकर वस्त्रों या अन्य वस्तुओं में गिरकर फैलने के कारण।
2. रोगी की व्यक्तिगत वस्तुओं के उपयोग द्वारा जैसे संक्रमित बिस्तर, चादर, तोलिया, भोजन इत्यादि के द्वारा।
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चेचक का निवारण तथा नियंत्रण (smallpox prevention and control)
चेचक (SmallPox) के टीके का आविष्कार एडवार्ड जेनर ने सन 1796 में किया। उन्होंने यह बताया था कि काउपॉक्स के फोड़ों से निकलने वाले पदार्थ के संपर्क में आने पर चेचक से सुरक्षा मिल सकती है जिसके बाद से ही लोगों ने इसके टीके बनाने का प्रयोग शुरू कर दिया था और अंत में इस टीके का निर्माण हुआ।
➥ टीके के इस्तेमाल से चेचक (SmallPox) के मामले धीरे-धीरे कम होते गए और सन 1980 में विश्व स्वास्थ संघटन द्वारा यह घोषणा कर दी गई थी : चेचक समाप्त।
➥ इसके पहले आखिरी बार चेचक (SmallPox) की घटना वर्ष 1977 में देखी गई थी जो कि सोमालिया में हुई थी। चेचक (SmallPox) एक बहुत ही अधिक संक्रामक बीमारी है इसलिए इसका प्रयोग एक जैव हथियार के रूप में किया गया है जिसे जैव - आतंकवाद कहते है।
इस रोग को निम्नलिखित उपायों द्वारा फैलने से रोका जा सकता है-
1. रोगी को अन्य स्वस्थ लोगों से दूर रखें या अलग रखें।
2. रोगी के दानों पर कैलामाइन औषधि का लेप लगाएं।
3. रोगी के संक्रमित क्षेत्र पर मक्खियों को ना बैठने दें। उसे ढक कर रखें।
4. रोगी के शारीरिक अपशिष्टों का उचित निस्तारण करें।
चेचक रोग से बचने का सबसे आसान तरीका है टीकाकरण। इसे बच्चों को जरूर से लगवाना चाहिए जिससे वे इस रोग सबसे रहें। टीके अलावा इसका कोई इलाज नहीं है। यदि यह रोग किसी को हो जाये तो उसे अपना ध्यान रखना चाहिए और इसका ख़ास ध्यान रखना चाहिए कि संक्रमण फैले नहीं। साफ़ सफाई का ध्यान रखना चाहिए तथा उचित टीकाकरण करवाना चाहिए।
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