ब्लैक होल (Black Hole)
ब्लैक होल के बारे में अपने सुना होगा लेकिन हो सकता है कि कम लोग ही जानते होंगे कि Black hole क्या होता।ब्लैक होल को हिन्दी में कृष्ण विवर कहते हैं। नीचे हम ब्लैक होल के बारे और जानते हैं।
ब्लैक होल क्या होता है? -
- ब्लैक होल स्पेस में वह जगह होती है जहां भौतिक का कोई नियम काम नहीं करता। मतलब यहाँ समय और स्थान का कोई मतलब नहीं है। यहां बस गुरुत्वाकर्षण और अंधकार है।
- इसका गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते हैं। इसके खिंचाव से यह प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है। मतलब यह कि इसमें जो भी डाला, वह बाहर नहीं निकलेगा।
- आप इसे इस तरह समझें कि जब हम किसी टॉर्च से प्रकाश डालते हैं तो वह प्रकाश रिफ्लेक्ट होकर हमारी आंखों पर आता है तभी वह चीज हमें दिखाई देती है।
- लेकिन यदि मान लो कि प्रकाश वापस लौट कर ही नहीं आया तो वह जगह ब्लैक होल हो सकता है। ऐसा ही स्पेस में होता है। ब्लैक होल की खोज कार्ल स्क्वार्जस्चिल्ड और जॉन व्हीलर ने की थी।
ब्लैक होल कैसे बनता है?
- ब्लैक होल तब बनता हैं जब कोई विशाल तारा अपने अंत की ओर पहुंचता है तो वह अपने ही भीतर सिमटने लगता है और धीरे-धीरे वह भारी भरकम ब्लैक होल बनता है और फिर उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी बड़ जाती है कि उसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाला हर ग्रह उसकी ओर खिंचाकर अंदर चला जाता है। वह सब कुछ अपने में निगलने लगता है। इसके प्रभाव क्षेत्र को ही इवेंट हॉराइजन कहते हैं।
- किसी भी चीज का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके आसपास लपेट देता है और उसे कर्व जैसा आकार दे देता है। इसके बाहरी हिस्से को इवेंट हॉराइजन कहते हैं।
- स्टीफन हॉकिंग की खोज के मुताबिक हॉकिंग रेडिएशन के चलते एक दिन ब्लैक होल पूरी तरह द्रव्यमान मुक्त हो कर गायब हो जाता है।
यदि हम ब्लैक होल में गिर गए तो?
ऐसा हो कि आप किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में निकले या फिर अंतरिक्ष यान से बाहर निकले हों और तभी आप ब्लैक होल की चपेट में आ जाएं और उसमें गिर जाएं। ऐसे में आपके साथ यह हो सकता हैं। मतलब यह कि एक बात तो स्पष्ट है कि ब्लैक होल में गिरने के बाद आप उसकी बाहरी सतह पर जल कर राख हो जायेंगे या फिर उसके अंदर आसानी से पहुंचकर अनंत की गहराइयों में खो जाएंगे।
ब्लैक होल के एक बार स्थापित हो जाने के बाद इसके केवल तीन स्वतंत्र लक्षण होते हैं: द्रव्यमान, चार्ज और कोणीय गति। किन्हीं दो ब्लैक होल की विषेशताएं तथा वेल्यू यदि समान हो तो उनके बीच भेद करना काफी मुश्किल हो जाता है। ब्लैक होल के यह लक्षण खास होते हैं क्योंकि ये लक्षण इसके बाहर से दिखाई देते हैं।
उदाहरण के लिए, एक चार्जकृत वस्तु की ही तरह चार्जकृत ब्लैक होल भी समान चार्ज को दूर धकेलता है, इस तथ्य के बावजूद भी कि विद्युत और चुंबकीय बलों के लिए जिम्मेदार कण फोटॉन्स, आतंरिक क्षेत्र से बचकर निकल नहीं पाते हैं। जब चार्ज ब्लैक होल में गिरता है तो विद्युत क्षेत्र की लाइनें बनी रहती हैं और वह क्षितिज से बाहर की और झांकती रहती हैं और ये क्षेत्र लाइनें गिरने वाले सभी पदार्थों के कुल चार्ज को संरक्षित करती हैं। अंत में बिजली क्षेत्र की लाइनें ब्लैक होल की सतह पर समान रूप से फ़ैल जाती हैं और सतह पर समान क्षेत्र लाइन घनत्व स्थापित करती हैं। इस सन्दर्भ में ब्लैक होल एक आम कंडकटिंग स्फियर की तरह काम करता है।
ब्लैक होल की संरचना और विकास
- ब्लैक होल की छवि के कारण यह सवाल उठा कि क्या वास्तव में इस प्रकार की वस्तुओं का कोई अस्तित्व हो सकता है या यह बस एक काल्पनिक समाधान मात्र है।
- आइंस्टाइन द्वारा दी गई उनकी यह धारणा थी कि ब्लैक होलों का निर्माण संभव नहीं गलत हो गई, क्योंकि उनका यह मानना था कि पतन की ओर अग्रसर कणों की गति उनकी चाल को स्थिरता प्रदान करेगी।
- कई वर्षों तक सामान्य सापेक्षता समुदाय इसके परिणामों को खारिज करता रहा। लेकिन उनमें से कुछ का यह मानना था कि ब्लैक होल का अस्तित्व वास्तव में है और 1960 के अंत तक वे अधिकांश लोगों को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे कि घटना क्षितिज का निर्माण वाकई में संभव है।
एक घटना के अंतर्गत यह सिद्ध हुआ था कि उसके भीतर कहीं न कहीं सिन्ग्युलेरिटी का निर्माण अवश्य हुआ हैं। इसके कुछ समय बाद, स्टीफेन हॉकिंग ने यह बताया कि बिग बैंग के कई ब्रह्मांडीय समाधानों में सिन्ग्युलेरिटी का अस्तित्व है, स्केलर क्षेत्रों और अन्य विदेशी पदार्थों की अनुपस्थिति में। ब्लैक होल के भौतिक लक्षण सरल होते हैं जिसे आसानी से समझे जा सकता हैं। इन्हें शोध के सम्मानित विषयों का दर्जा दिया गया। ऐसा माना जाता है कि ब्लैक होलों के निर्माण की प्राथमिक प्रक्रिया के अन्तर्गत तारों का गरुत्वीय पतन हो सकता हैं लेकिन इसके आलावा भी अन्य कई प्रक्रियाएं हैं जिसके द्वारा ब्लैक होल का निर्माण हो सकता हैं।
tags - क्षुद्रग्रह
विश्व (The Universe)
तारे क्या हैं?
उल्काएँ और उल्का-पिण्ड
आकाश गंगा
तारामण्डल
चंद्रमा (The Moon)
सौरमण्डल (The Solar System)
ग्रहों के प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellites of Planets)
कृत्रिम उपग्रह अथवा मानव निर्मित उपग्रह (Artificial Satellites)
विश्व (The Universe)
तारे क्या हैं?
उल्काएँ और उल्का-पिण्ड
आकाश गंगा
तारामण्डल
चंद्रमा (The Moon)
सौरमण्डल (The Solar System)
ग्रहों के प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellites of Planets)
कृत्रिम उपग्रह अथवा मानव निर्मित उपग्रह (Artificial Satellites)
No comments:
Post a Comment