डायरिया या अतिसार (Diarrhoea)
➤ अतिसार को अंग्रेजी में डायरिया(Diarrhoea) भी कहते हैं। यह बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है जो सैल्मोनेला नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह दूषित पानी के माध्यम से रोगी के शरीर में पहुँचता है।
➤ यह संक्रमण मुख्यतः एंटअमीबा हिस्टोलिटिका के द्वारा फैलता है।
➤ यह बीमारी उस दशा का नाम है जिसमें बार-बार मल त्याग करना पड़ता है और यह मल बहुत पतले होते हैं। यह दस्त थोड़े-थोड़े समय के अंतर पर आते रहते हैं और इनमें जल का भाग बहुत अधिक होता है। यह बीमारी बच्चों तथा बुजुर्गों में सरलता से हो जाती है क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है।
➤ ये रोग आँतों में अधिक द्रव जमा हो जाने के कारण होता है। सरल सा दिखने वाले इस रोग पर यदि ध्यान न दिया जाए तो रोगी की जान भी जा सकती है। नीचे हम डायरिया (Diarrhoea) के लक्षण क्या होते है तथा इसके कारण क्या होते है और इसका उपचार कैसे क्या जा सकता है इसके बारे में जानेंगे।
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डायरिया का कारण
अतिसार दूषित पानी के कारण होता है जिसमें सैल्मोनेला बैक्टीरिया होता है तथा यह संक्रमण एंटअमीबा हिस्टोलिटिका के द्वारा फैलता है। जब व्यक्ति बाहर का खुला हुआ दूषित भोजन कर लेता हैं तो उसे दस्त की शिकायत हो जाती है।
डायरिया के लक्षण
डायरिया (Diarrhoea) से पीड़ित व्यक्ति का सामान्य तथा अकेला लक्षण दस्त होता है।क्योंकि इसके अलावा इसके अन्य कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसमें दस्त बहुत ही अधिक होता है तथा बार-बार होता है। रोगी के पेट में दर्द तथा मरोड़ होता है तथा बहुत अधिक दस्त के कारण रोगी के शरीर में डीहाइड्रेशन की दशा उत्पन्न हो जाती है तथा शरीर में खनिज लवणों की कमी हो जाती है जिससे रोगी को चक्कर आने लगते हैं। समय पर इलाज न मिलने पर रोगी की मृत्यु भी हो जाती है।
1. दिन में एक से अधिक बार मलत्याग।
2. उल्टी
3. पेट में दर्द
4. उबकाई आना।
5. पेट में मरोड़ होना
6. मल में खून आना
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डायरिया का संचरण
डायरिया निम्नलिखित कारकों द्वारा संचरित होता है-
डायरिया निम्नलिखित कारकों द्वारा संचरित होता है-
- संक्रमित संदूषित भोज्य पदार्थों, जल आदि के कारण।
- खराब व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा आसपास की गन्दगी के कारण।
चिकित्सकीय जांच
रोगी की चिकित्सा के लिए उसके मल की जांच करना आवश्यक है जिससे डॉक्टर उसके परिणाम के आधार पर रोगी का इलाज शुरू कर सकता हैं। रोगी को उचित आराम देना चाहिए तथा उचित भोजन भी देना चाहिए। तथा रोगी को रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की परामर्श लेनी चाहिए।
डायरिया का निवारण एवं नियन्त्रण
डायरिया (Diarrhoea) से प्रतिरक्षण एवं नियन्त्रण के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा रहे हैं:-
1. उचित सफाई की व्यवस्था रखें।
2. साफ बर्तनों में स्वच्छ, ताजे जल द्वारा भोजन पकाएँ।
3. ताजा बनाया भोजन खाएँ।
4. खाना खाने के पहले और पश्चात् हाथ और मुँह अवश्य धोएँ।
5. भोज्य पदार्थों को धूल तथा मक्खियों से ढक कर रखें।
6. स्वच्छ जल पिएँ।
डायरिया के समय शरीर से पानी की अत्यन्त क्षति निर्जल उत्पन्न करता है। अतः रोगी को तुरन्त ORS का घोल देना चाहिए। ORS के पैकेट प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सालयों तथा सभी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध होते हैं।
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डायरिया होने पर कैसा आहार लें?
डायरिया (Diarrhoea) होने पर रोगी को निम्न आहार लेना चाहिए:-
➤ रोगी को बिना तला हुआ सादा भोजन देना चाहिए।
➤ रोगी के शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए ORS का घोल देते रहना चाहिए।
➤ फाइबर युक्त भोजन करना चाहिए जिसमें दलीया ,खिचड़ी आदि सम्मिलित होना चाहिए।
➤ फलों का जूस लेना चाहिए।
➤ ताज़ी सब्जियों का सेवन करें।
➤ भोजन के समय जयादा पानी न पियें।
➤ रोगी के शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए ORS का घोल देते रहना चाहिए।
➤ फाइबर युक्त भोजन करना चाहिए जिसमें दलीया ,खिचड़ी आदि सम्मिलित होना चाहिए।
➤ फलों का जूस लेना चाहिए।
➤ ताज़ी सब्जियों का सेवन करें।
➤ भोजन के समय जयादा पानी न पियें।
डायरिया या अतिसार (Diarrhoea) देखने में बहुत ही सामान्य रोग लगता है लेकिन एक समय पर यह बहुत घातक भी हो सकता है जिससे रोगी की जाएं भी जा सकती है इसकिये यह रोग होने पर रोगी की उचित देखभाल करें तथा डॉक्टर की परामर्श लेते रहें।
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