पोलियो की बीमारी किससे फैलती है(Polio in hindi):लक्षण,प्रभाव,निवारण


पोलियो (POLIO)

पोलियो की बीमारी किससे फैलती है(Poliyo in hindi):लक्षण,प्रभाव,निवारण

पोलियो एक अतिपाती वायरस (Virus) संक्रमण है। यह संक्रमण मनुष्यों के पोषण नाल (alimentary canal) तथा केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (central nervous system) में होता है। यह एक संक्रामक रोग है जो मुख्‍यतः छोटे बच्‍चों में होता है। यह बीमारी बच्‍चें के किसी भी अंग को जिन्‍दगी भर के लिये कमजोर कर देती है। पोलियो (Polioलाईलाज है क्‍योंकि इसमें शरीर की हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है तथा उनमें लकवा मार जाता है और इसका लकवापन ठीक नहीं हो सकता है तो बचाव ही इस बीमारी का एक मात्रा इलाज है। 




पोलियो का कारण (Cause of Polio
) 

"पोलियो का मुख्य कारण पोलियो वायरस है। जिसका नाम ऐन्टेरो वायरस है। "



पोलियो के लक्षण (Symptoms of Polio)

पोलियो (Polio) के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित है :

➥  यह कुछ सामान्य लक्षण हैं जिसके बारे में रोगी को पता भी नहीं चलता हैं।जैसे - बुखार, उल्टी और सिर में दर्द, गले में दर्द ,हल्का बुखार तथा फ्लू जैसे लक्षण। 

 ➥  शरीर में संक्रमण का प्रभाव बढ़ने के कारण पीड़ित में मस्तिष्क और मेरुदंड का मध्यम लक्षण दिखाई देता है जिसके बाद पीड़ित में कई अन्य लक्षण दिखाई देते हैं जैसे - मांस-पेशियाँ नरम होना तथा विभिन्न अंगों में दर्द होना, मध्यम बुखार होना ,मांस पेशियों में जकड़न, अतिसार (डायरिया), पीठ तथा पेट में दर्द,अधिक कमजोरी या थकान होना आदि। 

 ➥  इस रोग के होने के 4 से 12 दिन के पश्चात् लक्षण प्रकट हुआ करते हैं। यह मुख्यतः बच्चों में होते हैं जिसके लक्षण हैं सर दर्द, उल्टी , बुखार, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, सर और गर्दन पर तनाव आदि। इन लक्षणों के प्रकटन के दो दिनों के पश्चात् इस रोग के सर्वव्यापी लक्षण दिखाई देते हैं, 

जिन्हें दो भागों में विभाजित किया जाता है-

1. पक्षाघातीय (Paralytic)
2. अपक्षाघातीय (Non-paralytic)

   ➤  अपक्षाघातीय (Non-paralytic) भाग में इसका उपसर्ग अग्रश्रृंग कोशिकाओं (horn cells) तक ही पहुँचकर रुक जाता है। यह प्रारंभिक अवस्था है। इसके प्रमुख लक्षण हैं अचानक से सर, गरदन, हाथ पैर तथा पीठ में दर्द बताता है। ज्वर 103 डिग्री तक हो जाता है तथा मस्तिष्क आवरण meningeal irritation होता है।

   ➤  पक्षाघातीय (Paralytic) भाग में यह अवस्था अपक्षाघातीय अवस्था के तत्काल बाद ही आरंभ हो जाती है, जिसके अंतर्गत ऐच्छिक मांसपेशियों में लकवा मार जाता हैं। इसमें मुख्यत: पैर खराब हो जाते होते हैं। यह आगे चलकर spastic paraplegia का रूप ग्रहण कर लेता है। कभी कभी एक पैर और एक हाथ में लकवा हो जाता है। गरदन एवं पीठ की मांसपेशियों में ऐंठन (spasm) होती है। शरीर की समस्त मांसपेशियों को छूने के कारण तीव्र वेदना होती है।



पोलियो वायरस का संचरण (Transmission of Polio Virus)
यह विषाणु (virus) के कारण होता है, जो मल, मूत्र, दूषित जल तथा खाद्य पदार्थों में रहता है तथा मक्खियों व वायु द्वारा एक स्थान में दूसरे स्थान पर प्रसारित होता रहता है। यह दो से पाँच वर्ष की उम्र के बालकों पर ही प्रहार करता है। देखा गया है कि यह लड़कों में अधिक हुआ करता है तथा वसंत एवं ग्रीष्मऋतु में यह बहुत अधिक बढ़ जाते है। 

पोलियो 
(Polioसंक्रमण के संचरण के कारण निम्न हैं :
(i) गले और नाक से उन्मोचन द्वारा।
(ii) मक्खियों द्वारा संवाहित वायरस द्वारा संक्रमित भोजन, पानी, दूध आदि से।




पोलियो का प्रभाव (Effects of Polio
)

 ➤  रोग से ग्रसित व्यक्ति की मांसपेशियाँ में स्थायी रूप से लकवा मार जाता हैं। इस रोग के मृदु आक्रमण के अंतर्गत रीढ़ की हड्डी शरीर का झुकाव एक तरफ हो जाता है, जिसे पार्श्वकुब्जता (scoliosis), कहते हैं, नहीं तो यह आगे की तरफ झुक जाती है , जिसे कुब्जता (kyphosis) कहते हैं।
 
 ➤  शरीर के संक्रमित भाग की हड्डियाँ सुचारु रूप से नहीं बढ़तीं हैं। हाथ पैर की हड्डियाँ टेढ़ी हो जाती हैं तथा अंत में मांसपेशियाँ अत्यधिक कमजोर हो जाती हैं। जिसके कारण उसे चलने में काफी परेशानी होती हैं। 




पोलियो का निवारण एवं नियन्त्रण (Prevention and Control of Polio
)
पोलियो (Polio) से प्रतिरक्षण/नियन्त्रण निम्नलिखित विधियों द्वारा किया जा सकता है।

(i) उचित समय पर टीका लगवा कर (यही इसका एकमात्र उपाय है)
(ii) उचित भौतिक चिकित्सीय (physiotherapic) व्यायाम द्वारा।

 ➤  इसके आलावा अन्य उपचार के साधन के अंतर्गत भोजन ,जल इत्यादि को मक्खी ,मचार इत्यादि से दूर रखना चाहिए तथा इन्हें भागने के लिए उचित समय पर छिड़काव करवाते रहना चाहिए। 

 ➤  पोलियो 
(Polioसे ग्रसित बच्चों को स्कूल में किसी भी तरह से अलग बर्ताव नहीं करना चाहिए और दूसरे बच्चों को भी यह बताना चाहिए कि वे किसी के साथ भी ऐसा न करें। 

 ➤  पोलियो (Polioको रोकने के लिए ही कर साल पल्स पोलियो अभियान चलाया जाता हैं जिसके अंतर्गत 5 साल तक के हर बच्चे को घर घर जाकर पोलियो की दवा पिलाई जाती हैं। 

वर्तमान समय में पोलियो (Polio) के केस काफी काम हो गए हैं और इसका पूरा श्रेय पल्स पोलियो (Polio) अभियान को जाता हैं जिसके तहत बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई लेकिन अभी भी यह पूरी तरह से ख़तम नहीं हुआ है और हमें यह अभियान जारी रखने की जरुरत है। 



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