पेट में इन्फेक्शन या जठरांत्र शोथ क्या है? (What is Gastroenteritis)
➤ जठरांत्र शोथ को आमतौर पर पेट का इन्फेक्शन या गैस्टोएंटराइटिस कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति हैं जिसमें पेट तथा आँतों में सूजन हो जाती है। इसके कारण पेट में दर्द ,उल्टी ,दस्त,तथा ऐंठन की सामूहिक समस्या हो जाती है। इसका इन्फ्लुएन्जा से कोई सम्बन्ध नहीं है फिर भी इसे पेट का फ्लू या गैस्ट्रिक फ्लू कहा जाता है।
➤ यह संक्रमण वायरस ,बैक्टीरिया तथा परजीवियों के द्वारा दूषित भोजन तथा जल द्वारा होता है। कई बार लोगों को ऐसा लगता है कि उल्टी और दस्त होने का कारण खाने से होने वाली फ़ूड पॉइज़निंग है लेकिन ऐसा नहीं होता है यह बैक्टीरिया तथा वायरस के द्वारा होने वाली अन्य बीमारी होती है।
➤ वैश्विक स्तर पर यह देखा गया है कि यह बच्चों में रोटावायरस ,वयस्कों में नोरोवायरस और कंपाइलोबैक्टर अधिक आम है। यह एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में सरलता से फ़ैल जाती है जैसे अनुचित पका हुआ भोजन ,दूषित जल तथा संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर। इसलिए संक्रमित व्यक्ति को शौचालय से आने के बाद अच्छी तरह से हाँथ धोने चाहिए जिससे यह संक्रमण न फैले।
➤ वायरस द्वारा होने वाला जठरांत्र शोथ दो या तीन दिन रहता है लेकिन बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण की स्थिति में यह कई महीनों तक हो सकता है। रोगी को लगातार उल्टी तथा दस्त होते रहते हैं जिससे उसके शरीर में पानी तथा खनिज लवणों की कमी हो जाती है जिसे रोगी ORS ,इलेक्ट्रॉल आदि के घोल के द्वारा पूरा करता है। लेकिन यदि यह संक्रमण बच्चों तथा बुजुर्गों में हो जाता हैं तो उनके शरीर में डीहाइड्रेशन की समस्या उत्पन्न हो जाती है और यदि समय पर सही इलाज न किया जाए तथा उनके शरीर में तरल पदार्थों की आपूर्ति न की जाए तो यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है।
पेट में इन्फेक्शन या जठरांत्र शोथ के लक्षण (Symptoms of stomach infection or gastroenteritis)
➤ जठरांत्र शोथ या Gastroenteritis में साधारणतः दोनों लक्षण (दस्त और उल्टी) शामिल होते हैं।यदि यह संक्रमण कमजोर होता है तो इन दोनों में से केवल एक ही लक्षण दिखाई देंगे या तो उल्टी या दस्त इसके साथ पेट में ऐंठन भी हो सकती है।
➤ जठरांत्र शोथ के संकेत और लक्षण साधारणतः संक्रामक परजीवी से संपर्क में आने के 12-72 घंटे बाद दिखाई देने लगते हैं। यदि यह संक्रमण वायरस के कारण होता है तो यह एक सप्ताह के अंदर ही ठीक हो जाती है। इसके साथ ही कुछ वायरल लक्षण जैसे बुखार, थकान, सिरदर्द, इत्यादि भी इसके साथ दिखाई देने लगते हैं।
➤ बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण के अंतर्गत रोगी में यह लक्षण तो होते हैं लेकिन वह बहुत गंभीर हो जाते हैं जो इस प्रकार है :-
1. मल में खून आना।
2. गंभीर पेट दर्द
3. उल्टी आना।
4. पेट में अत्यधिक मरोड़ होना। इत्यादि लक्षण रोगी में कई हफ्तों तक बने रह सकते हैं।
2. गंभीर पेट दर्द
3. उल्टी आना।
4. पेट में अत्यधिक मरोड़ होना। इत्यादि लक्षण रोगी में कई हफ्तों तक बने रह सकते हैं।
➤ रोटावायरस से संक्रमित बच्चे तीन से आठ दिनों के अंदर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।गरीब देशों में ऐसे गंभीर संक्रमण का उपचार उनके लिए पहुँच से बाहर होता है। निर्जलीकरण, दस्त की एक आम समस्या है,और जिन बच्चों में निर्जलीकरण की मात्रा काफी ज्यादा तथा लम्बे समय तक होती है ऐसे बच्चों को लंबे समय तक खराब त्वचा के खिंचाव तथा असामान्य साँस की समस्या हो सकती है। जिन क्षेत्रों में साफ़ सफाई नहीं होती है उन क्षेत्रों में यह संक्रमण बार बार देखने को मिलता है।
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पेट में इन्फेक्शन या जठरांत्र शोथ के कारण (Cause of stomach infection or gastroenteritis)
वायरस (मुख्यतः रोटावायरस) और बैक्टीरिया (E-Coli) और कंपाइलोबैक्टर प्रजातियां जठरांत्र शोथ के होने का मुख्य कारण हैं। इसके आलावा अन्य संक्रामक कारण द्वारा भी हो सकते हैं जिनके कारण यह संक्रमण होता हैं। बच्चों की प्रतिरक्षा तंत्र की कमी और आस-पास की खराब स्वच्छता के कारण बच्चों में इस संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
विषाणुजनित संक्रमण (वायरल)
ऐसे वायरस जिनके कारण जठरांत्र शोथ संक्रमण होता है वे रोटावायरस, नोरोवायरस, एडेनोवायरस और एस्ट्रोवायरस कहलाते हैं।
➤ रोटावायरस बच्चों में जठरांत्र शोथ का सबसे आम कारण होता है तथा यह विकसित तथा विकासशील दोनों दुनिया में समान दर से इसको पैदा करता है। बालक की उम्र में संक्रामक दस्त के मामलों का 70% कारण वायरस है। सक्रिय रोगक्षमता के कारण वयस्कों में रोटावायरस, कम आम कारण है।
➤ नोरोवायरस वयस्कों के बीच जठरांत्र शोथ का प्रमुख कारण है, जिसका प्रकोप 90% से अधिक मामलों में हो सकता है। यह मुख्यतः अमरीका के वयस्कों में होता है क्योंकि यहाँ के लोगों के समूह, एक दूसरे के करीब समय बिताते हैं, जैसे क्रूज जहाज पर, अस्पतालों में, या रेस्तरां में आदि। जब दस्त समाप्त हो जाता है तो उसके बाद भी लोग संक्रामक रह सकते हैं। बच्चों में लगभग 10% मामलों का कारण नोरोवायरस होता है।
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जीवाणुजनित संक्रमण (बैक्टीरियल)
बैक्टीरिया जठरांत्र शोथ का प्राथमिक कारण होता है। बच्चों में,15% मामले बैक्टीरिया के कारण होते हैं, जिसमें एस्केरेशिया कॉलि, साल्मोनेला, शिगेला और कंपाइलोबैक्टर प्रजातियाँ बहुत आम हैं। यदि भोजन, बैक्टीरिया से संदूषित हो जाय और कई घंटे तक कमरे के तापमान पर रहे तो जीवाणु बढ़ते हैं तथा इस भोजन का उपभोग करने वालों में संक्रमण का खतरा बढ़ाते हैं।
➤ इसके अलावा कुछ अन्य खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिनसे यह बीमारी होने की सम्भावना होती है -
1. कच्चा या कम पका मांस
2. पोल्ट्री
3. समुद्री भोजन तथा अंडे
4. गैर पास्चरीकृत दूध
5. नरम चीज़
6. फल व सब्जी के रस
2. पोल्ट्री
3. समुद्री भोजन तथा अंडे
4. गैर पास्चरीकृत दूध
5. नरम चीज़
6. फल व सब्जी के रस
उप-सहारा अफ्रीका और एशिया तथा विकासशील दुनिया में हैजा, जठरांत्र शोथ का एक आम कारण है। यह संक्रमण आम तौर पर दूषित पानी या भोजन के द्वारा फैलता है।बुजुर्गों में दस्त का एक महत्वपूर्ण कारण क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल होता है।
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परजीवीय (Parasitic)
कोशीय जीव जैसे जियार्डिया लैम्बलिया, एन्टामोएबा हिस्टोलिटिका को जठरांत्र शोथ (Gastroenteritis) फैलाने का कारण पाया हैं। इस तरह की बीमारी कुछ हद तक हर जगह फैलती है। यह उन लोगों में अधिक होता है जो ऐसी जगहों पर यात्रा करते हैं जहाँ यह अधिक फैलता है, बच्चे जो डे-केयर में शामिल होते हैं।
रोग का प्रसारण (Transmission of Disease)
➤ इसका प्रसार दूषित पानी की खपत से तथा व्यक्ति द्वारा उनकी व्यक्तिगत वस्तुओं को आपस में साझा करने होता है। पानी की गुणवत्ता आम तौर पर नम मौसम के दौरान बिगड़ जाती है। ऐसे मौसम वाले क्षेत्रों में संक्रमण आम होता हैं।
➤ जब बोतलों को अनुचित तरीके से साफ किया जाता है तथा उन्हीं बोतलों के साथ बच्चों को दूध पिलाना संक्रमण का एक महत्वपूर्ण कारण होता है। यह संक्रमण विशेष रूप से बच्चों में, भीड़ वाले घरों में तथा पहले से खराब पोषण की स्थिति वाले लोगों में खराब स्वच्छता से भी संबंधित है।
पेट में इन्फेक्शन या जठरांत्र शोथ से बचाव (Prevention of stomach infection or gastroenteritis)
पेट में इन्फेक्शन को रोकने के लिए हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं-
➤ साफ़ सफाई का ध्यान रखें - घर में तथा आस पास सफाई रखें तथा बच्चों को बारिश के मौसम में भीगने तथा बाहर खेलने जाने न दें तथा नमी वाले स्थान पर जाने से बचें।
➤ बच्चों को टीका लगवाएं - बच्चों को रोटावायरस के संक्रमण से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है बच्चों को टीका लगवाना। यह टीका भारत में उपलब्ध है तथा बच्चों को जो कि एक साल से काम के होते हैं उन्हें यह टीका लगाया जाता है जो उन्हें इस बीमारी से लड़ने करता है।
➤ हाथों को अच्छे से धोना - बच्चों तथा बड़ों सभी को शौचालय के बाद हाथ अच्छी तरह धोने चाहिए और यदि संभव हो तो हाथों को गुनगुने पानी से धोएं और कम से कम 30 सेकेंड तक धोते रहें। हाथों को आगे पीछे ,नाखूनों को ,उँगलियों के बीच अच्छी तरह से साफ़ करें।
➤ संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाये रखें -यदि घर में कोई व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है तो उसे अलग कमरें रखें तथा बच्चों को उनके पास जाने न दें। घर के सभी फर्नीचर ,नल ,दरवाजों के हैंडल तथा उन सभी वस्तुओं जिनसे संक्रमण का खतरा हो सकता है कीटाणुनाशक से साफ़ करें जिससे यह संक्रमण न फैले।
➤ यात्रा के समय सावधानियां - यदि आप कही बाहर यात्रा करने जा रहे तो इन बातों का ध्यान रखें कि सीलबंद बेताल का पानी ही इस्तेमाल करें ,बर्फ का सेवन करने से बचें क्योंकि वह दूषित जल से बानी हो सकती है, कच्ची सब्जी ,सलाद या फल इत्यादि खाने से बचें ,ब्रश करने के लिए भी बोतल के पानी का इस्तेमाल करें ,कच्चा या अधपका मांस तथा मछली खाने से बचें वह भी संक्रमित हो सकती है।
इन उपायों को अपनाकर आप संक्रमण से बच सकते हैं तथा अपने बच्चों को भी बचा सकते हैं।
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पेट में इन्फेक्शन का परीक्षण(Test of Stomach Infection)
➠ यदि अधिक समय से दस्त और उल्टी हो रहे हो तो रक्त तथा मल की जांच करवा लें।
पेट में इन्फेक्शन का इलाज (Treatment of Stomach Infection )
➤ पेट में इन्फेक्शन का मुख्य लक्षण दस्त तथा उल्टी होता है जिसके कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है इस कमी को पूरा करने के लिए रोगी को ORS का घोल दिया जाना चाहिए। इसमें नमक तथा पानी की उचित मात्रा होती है जो बच्चों के शरीर को हाइड्रेट करने में मदद करता है। इसे आप किसी भी मेडिकल शॉप से सरलता से खरीद सकते हैं।
➤ यदि रोगी की हालत ऐसी है कि वह मुँह से कुछ भी खा पी नहीं पा रहा है तो उसे किसी भी चिकित्सालय में ले जाकर ग्लूकोस की ड्रिप लगवाई जाती है जससे उसके शरीर में पानी की कमी पूरी हो सके।
➤ जब तक रोगी के शरीर में बैक्टीरिया की पहचान नहीं हो जाती है उसे एंटीबायोटिक दवाएं नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह उसके लिए हानिकारक हो सकता है।
➤ वायरल संक्रमण में एंटीबायोटिक्स नहीं दिए जाते हैं क्योंकि यह वायरस पर कोई प्रभाव नहीं डालते हैं। इसलिए ऐसी स्थिति में कोई भी एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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पेट में इन्फेक्शन होने पर क्या खाएं (What should we eat)
जठरांत्र शोथ में रोगी को निम्न प्रकार का भोजन करना चाहिए -
➠ सादा भोजन करें जिससे वह सरलता से पच जाये।
➠ शरीर में दस्त व उल्टी के कारण होने वाली पानी की कमी को पूरा करने के लिए सूप ,फलों का जूस आदि लें।
➠ कच्चे केले का सेवन करें यह पेट के लिए फायदेमंद होता है।
➠ उबले हुए भोजन का सेवन करें। यह हल्का होता है।
➠ शरीर में दस्त व उल्टी के कारण होने वाली पानी की कमी को पूरा करने के लिए सूप ,फलों का जूस आदि लें।
➠ कच्चे केले का सेवन करें यह पेट के लिए फायदेमंद होता है।
➠ उबले हुए भोजन का सेवन करें। यह हल्का होता है।
इस संक्रमण से बचने का आसान तरीका है आस आस सफाई रखना ,साफ पानी पीना ,संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना। इन सभी को अपनाकर आप इस संक्रमण इस संक्रमण से बच सकते हें।
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