1. चुंबक का नाम मैगनेट (अंग्रेजी शब्द) मैग्नीशिया शहर से पड़ा जहां वह पहले पहल पाया गया था।
2. चुंबकीय शक्ति का ज्ञान दो हजार ऐसा पूर्व पहले ही हो चुका था।
3. ग्रीक के निवासी चुंबकत्व के विषय में 800 ईसा पूर्व पहले जान चुके थे।
4. मनुष्य द्वारा खोजा गया पहला कृत्रिम चुंबक लोडस्टोन था।
5. कृत्रिम चुंबक दो प्रकार के होते हैं स्थाई चुंबक तथा विद्युत चुंबक।
6. चुंबकीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो चुंबक द्वारा आकर्षित हो जाते हैं जैसे लोहा इस्पात इत्यादि चुंबकीय पदार्थ हैं।
7. अचुंबकीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो चुंबक द्वारा आकर्षक नहीं होते हैं जैसे एलुमिनियम सामान्य प्लास्टिक जलनेति लकड़ी इत्यादि अचुंबकीय पदार्थ हैं।
8. चुम्बक का चुम्बकीय बल उसके सिरों पर अधिकतम रहता है और केन्द्र बिन्दु की ओर जाने पर क्रमशः घटना रहता है।
9. चुम्बक के दोनों सिरे जहाँ पर चुम्बकीय बल अधिकतम रहता है, चुम्बकीय ध्रुव कहलाते हैं।
10. प्रत्येक चुम्बक में दो ध्रुव होते हैं। स्वतन्त्र रूप से लटके हुए चुम्बक का जो सिरा उत्तर की ओर व्यवस्थित होता है, उत्तरी ध्रुव कहलाता है और जो सिरा दक्षिण दिशा की ओर व्यवस्थित होता है, दक्षिणी ध्रुव कहलाता है।
11. चुम्बक के ध्रुव सदा जोड़े में उपस्थित रहते हैं और इन्हें कभी भी पृथक नहीं किया जा सकता।
12. सजातीय ध्रुव एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं और विजातीय ध्रुव आकर्षित।
13. सभी चुम्बक तथा चुम्बकीय पदार्थ अनेक सूक्ष्म चुम्बकों से निर्मित माने जाते हैं। चुम्बक में ये सभी सूक्ष्म चुम्बक एक निश्चित दिशा में संरेखित होते हैं।चुम्बकीय पदार्थों में, जब वे चुम्बकत्त्व रहित होते है; तब ये सूक्ष्म चुम्बक सभी दिशाओं में अव्यवस्थित क्रम में संरेखित रहते हैं।
14. स्थायी चुम्बक को चुम्बकीय पदार्थों के निकट रखकर उनमें चुम्बकत्त्व उत्पन्न किया जा सकता है इस प्रक्रिया को चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।
15. किसी भी चुम्बकीय पदार्थ के टुकड़े पर स्थायी चुम्बक से हल्के-हल्के प्रहार करने पर उसमें चुम्बकत्त्व उत्पन्न हो जाता है।
16. चुम्बक को हथौड़े से पीटकर, गर्म करके अथवा कठोर सतह पर बार-बार गिराने से विचुम्बकित किया जा सकता है।
17. चुंबकीय कंपास का उपयोग यात्री नाविक तथा मार निर्देशक दिशा ज्ञान के लिए किया जाता है।
18. चुम्बक के चारों ओर का क्षेत्र जहाँ चुम्बकत्त्व का प्रभाव महसूस किया जा सकता है उसका चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।
19. चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति दूरी के साथ क्रमशः घटती जाती है
20. चुम्बक के चारों ओर यादृच्छिक गोलाकार रेखाएँ जिन पर लौह चूर्ण स्वयं को व्यवस्थित कर लेता है चुम्बकीय बल की रेखाएँ कहलाता है।
21. चुम्बकीय बल की रेखाएँ प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दर्शाती हैं।
22. पृथ्वी एक विशालकाय चुम्बक की तरह व्यवहार करती है। पृथ्वी का यादृच्छिक चुम्बकीय दक्षिणी ध्रुव पृथ्वी के भौगोलिक उत्तरी दिशा में अवस्थित रहता है। पृथ्वी का यादृच्छित चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव पृथ्वी के भौगोलिक दक्षिणी ध्रुव की ओर अवस्थित रहता है।
23. कूलंब आवेश की इकाई है।
24. चालक से प्रवाहित एक क्षण में विद्युत धारा की मात्रा विद्युत कहलाती है। विद्युत एम्पीयर मात्रक में मापा जाता है।
1 एम्पीयर = 1 कूलंब X 1 सैकण्ड
अथवा
1A = 1 C/s
25. दिष्ट धारा सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती है जबकि प्रत्यावर्ती धारा निश्चित समय के अन्तराल के पश्चात् अपनी दिशा बदलती रहती है।26. डिस्चार्ज हो गई प्राथमिक सेल को पुनः चार्ज नहीं किया जा सकता। शुष्क सेल एक प्राथमिक सेल है।
27. द्वितीयक सेल को विद्युत धारा द्वारा पुनः चार्ज किया जा सकता है तथा बार-बार प्रयोग किया जा सकता है। लैड-अम्ल सेल एक द्वितीयक सेल है।
28. डेनियल सेल में, जस्ता युक्त इलेक्ट्रोड ऐनोड (+ve) की तरह व्यवहार करता है और ताँबे का बर्तन कैथोड की तरह व्यवहार करता है। इस सेल में विद्युत अपघट्य के रूप में कॉपर सल्फ़ेट विलेयन का प्रयोग किया जाता है।
29. सौर सेल, सौर ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है। सौर सेल अर्धचालक जैसे सिलिकॉन और गेलियम से निर्मित होते हैं।
30. सौर सेल पैनलों का उपयोग अन्तरिक्ष कार्यशालाओं, कृत्रिम उपग्रह तथा दूरस्थ क्षेत्रों में बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
31. विद्युत के प्रवाह का पथ जिससे विविध विद्युतीय घटक विद्युत के स्रोत से जुड़े रहते हैं, विद्युतीय परिपथ कहलाता है।
32. रेखाचित्र जो विद्युतीय परिपथ में विविध घटकों की व्यवस्था उनके प्रतीकों द्वारा दर्शाता है परिपथ आरेख कहलाता है।
33. जो पदार्थ विद्युत प्रवाहित करते हैं, चालक कहलाते हैं। ताँबा एक चालक है।
34. जो पदार्थ विद्युत प्रवाहित नहीं होने देते, विद्युतरोधी कहलाते हैं।
35. जब तार से विद्युत प्रवाहित होता है तब यह चुम्बक की तरह व्यवहार करती है। एक लम्बी बेलनाकार कुण्डली जिस पर सर्पिल रूप में विद्युतरोधी तार के कई मोड़ हों,परिनालिका कहलाती है।
36. परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति को, परिनालिका के अन्दर नरम लोहे की छड़ रख कर बढ़ाया जा सकता है।
37. विद्युत चुम्बक तथा विद्युत घण्टी, विद्युत के चुम्बकीय प्रभाव के सिद्धान्त पर आधारित हैं। चुम्बकों का प्रयोग खिलौनों, चुम्बकीय कम्पास तथा फ्रिज व अलमारी के दरवाजों में होता है।
38. विद्युत चुम्बकों का उपयोग भारी सामान उठाने के लिए किया जाता है।
39. चुम्बकीय क्षेत्र के अन्दर या बाहर चालक को रखकर विद्युत धारा उत्पन्न करना, विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहलाता है। इस प्रकार से उत्पन्न धारा को प्रेरित विद्युत धारा कहते हैं।
40. डायनमो और छोटे जेनरेटरों में, विद्युतरोधी ताँबे की तार की कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है। ए०सी० जेनरेटरों में दो घूर्णनशील छल्ले होते हैं। ये छल्ले कुण्डली के साथ घूमते हैं।
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