सूक्ष्मजीव मित्र या शत्रु(Friend or Enemy):सूक्ष्मजीवों के बारे में 30 पंक्तियाँ|hindi


सूक्ष्मजीव मित्र या शत्रु (Microorganisms Friend or Enemy)
सूक्ष्मजीव मित्र या शत्रु(Friend or Enemy):सूक्ष्मजीवों के बारे में 30 पंक्तियाँ|hindi
सूक्ष्मजीवों के बारे में 30 पंक्तियां या तथ्य (30 facts about microorganisms)
• ऐसे जीव जिन्हें हम अपनी नग्न आंखों द्वारा नहीं देख सकते हैं उन्हें सूक्ष्मजीव (Micro-organisms)  कहते हैं। ऐसे जीवो को देखने के लिए हम सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग करते हैं।
• सूक्ष्मजीव एककोशिकीय तथा बहुकोशिकीय दोनों हो सकते हैं।
• सूक्ष्मजीव, वायु, जल, मिट्टी, रेगिस्तान, दलदली क्षेत्रों तथा जीवित प्राणियों के शरीर में, हर जगह पाए जाते हैं।
• सूक्ष्म जीवों को मुख्यतः 5 वर्गों में विभाजित किया गया है- बैक्टीरिया अथवा जीवाणु, कवक, शैवाल, प्रोटोजोआ तथा विषाणु अथवा वायरस।
बैक्टीरिया ऐसे जीव होते हैं तो सभी प्राणियों में सबसे सरलतम होते हैं और यह हर जगह पाए जाते हैं। आकृति के आधार पर बैक्टीरिया को वर्गीकृत किया जा सकता है गोलाकार, सर्पिलाकार, छड़ननुमा तथा अल्पविराम के आकार का बैक्टीरिया।बैक्टीरिया में श्वसन (Respiration in Bacteria)
• बैक्टीरिया की कोशिका में कठोर भित्ति होती है किंतु इसमें केंद्रक नहीं होता है।
• बैक्टीरिया मृतजीवी अथवा परजीवी होते हैं। बैक्टीरिया में पोषण (Nutrition in Bacteria)
बैक्टीरिया आर्थिक महत्त्व की दृष्टि से हमारे लिए उपयोगी तथा हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। कुछ बीमारियां जैसे आंत्र ज्वर, हैजा तथा यक्ष्मा बैक्टीरिया के कारण होता है।
• फलीदार पौधों की जड़ों में रहने वाले सहजीवी बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्रोजन यौगिकों में परिवर्तित कर देते हैं जो पौधों के लिए पोषक का कार्य करते हैं।
• बैक्टीरिया प्रत्येक 9.5 मिनट पर प्रजनन करता है। जबकि ईकोलाई बैक्टीरिया प्रत्येक 20 मिनट पर प्रजनन करता है।
• बैक्टीरिया का माप 0.2 से 100 माइक्रोन तक हो सकता है यह अमीबा से लगभग 300,000 गुना छोटा होता है।
कवक (Fungi) पादप रूपी जीव होते हैं और इनमें क्लोरोफिल नहीं होता है।
• कवक का विकास अंधेरे, गर्म तथा नमी युक्त क्षेत्रों में सबसे अच्छा होता है तथा यह लैंगिक अथवा और लैंगिक दोनों विधियों से प्रजनन करते हैं।
• कवक के दो प्रमुख वर्ग हैं- यीस्ट और मोल्ड (फफूंद)। यीस्ट एककोशिकीय होता है जबकि मोल्ड बहुकोशिकीय होता है।
• कवक अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते हैं। मृतजीवी कवक अपना भोजन मृत तथा सड़े-गले प्राणियों से ग्रहण करते हैं तथा परजीवी कवक अपना भोजन अन्य जीवित प्राणियों द्वारा प्राप्त करते हैं।
• कवक हमारे लिए उपयोगी तथा हानिकारक दोनों होते हैं जैसे यीस्ट के कई आर्थिक महत्त्व होते हैं जो बेकिंग जैसे डबलरोटी तथा केक इत्यादि बनाने में मदद करते हैं तथा पैन्सिलिन नामक प्रतिजैविक पेनिसिलियम नोटैटम फफूंद से प्राप्त होती है जिसकी खोज अलैक्जेंडर फ्लेमिंग ने 1929 में की थी। जबकि कुछ कवक किण्वन की प्रक्रिया द्वारा भोज्य पदार्थों में विशेष रसायन उत्पन्न करके उन्हें नष्ट कर देते हैं तथा कुछ कवक मनुष्यों में त्वचा के रोग जैसे दाद, खाज इत्यादि रोग के कारण होते हैं।
• कवक फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं जैसे आलू की फसल में अंगमारी या चित्ती नामक रोग एक कवक रोग है इस रोग में आलू की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है और पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं।
• शैवाल क्लोरोफिल युक्त पौधों की तरह होते हैं तथा यह जलीय वास तथा नमी युक्त क्षेत्रों में पनपते हैं। एककोशिकीय शैवाल गोलाकार छड़नुमा हो सकते हैं। शैवालों के आर्थिक महत्व (Economic Importance of Algae)
• शैवाल का रंग उसमें उपस्थित वर्णक के कारण होता है तथा कुछ सवाल जैसे क्रोककस तथा ऑसिलेटोरिया पानी में विषाक्त रसायन उत्पन्न करते हैं जिसके कारण पानी जहरीला हो जाता है तथा मछलियां मर जाती हैं।
शैवाल में प्रजनन (Reproduction in Algae)
• लाल सागर लाल इसलिए दिखाई पड़ता है क्योंकि उसके सतह पर लाल रंग का शैवाल तैरता रहता है।
• प्रोटोजोआ एक कोशिकीय जीव होता है तथा यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक फ्लैजिला तथा सीलिया के द्वारा गति करते हैं तथा यह अपने भोजन को स्वयं पकड़ के खा सकते हैं।
• प्रोटोजोआ में कोशिका भित्ति नहीं होती है।
• प्रोटोजोआ स्वच्छ जल, समुद्री पानी, मिट्टी में तथा ऊंचे पर्वतों वह ध्रुवीय क्षेत्रों सभी जगह पाए जाते हैं।
• यूग्लीना के अलावा सभी प्रोटोजोआ या तो मृतजीवी होते हैं या परजीवी।
• प्रोटोजोआ हमारे लिए हानिकारक तथा लाभदायक दोनों होते हैं। लाभदायक प्रोटोजोआ वे प्रोटोजोआ होते हैं जो जलीय आहार श्रंखला में कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। तथा यह कवक और बैक्टीरिया द्वारा आहार प्राप्त करते हैं जो जैविक पदार्थों को अब गठित करते हैं अतः प्रोटोजोआ जैविक अवशेषों को अपशिष्टओं के अपघटन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। जबकि हानिकारक प्रोटोजोआ वे प्रोटोजोआ होते हैं जो मनुष्य और पशुओं में रोग उत्पन्न करते हैं जैसे एंड अमीबा के कारण मनुष्य में अमीबी पेचिश हो जाता है। तथा परजीवी प्रोटोजोआ ट्रायपानोसोमा मनुष्य और मवेशियों में अफ्रीकन स्लीपिंग सिकनेस नामक रोग उत्पन्न न कर देता है।
• प्रोटोजोआ मुख्यतः द्विखंडन (Binary Fission) द्वारा अलैंगिक प्रजनन करता है।
• विषाणु ऐसे सूक्ष्मजीव होते हैं जिनमें जीवित और निर्जीव दोनों प्रकार के गुण उपस्थित होते हैं और यह विविध आकार के होते हैं।
वायरस पौधों, पशुओं और मनुष्य की कोशिकाओं में वास करते हैं तथा अपना भोजन परपोषी कोशिकाओं द्वारा प्राप्त करते हैं।
• वायरस की कोई कोशिकीय संरचना नहीं होती है।
• वायरस केवल अपने परपोषी जीवों की कोशिकाओं में ही प्रजनन करते हैं जिसके कारण यह मनुष्य में चेचक, ल्यूकेमिया, एड्स, जुकाम तथा जानवरों में खुर तथा मुंह की बीमारियां फैलाते हैं।
• वायरस का माप 0.015 माइक्रोन से 0.2 माइक्रोन तक हो सकता है।
यह कुछ सूक्ष्मजीवों के बारे में ऐसे तथ्य हैं जिनके द्वारा इनकी संरचना इनके गुण इत्यादि का पता चलता है।



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