उद्देश्य (Objective) - अधिक क्रियाशील धातु द्वारा कम क्रियाशील धातु को उनके लवण विलेयन से विस्थापित कर सकते हैं किंतु इसका विपरीत क्रम संभव नहीं है यह दर्शना।
आवश्यक सामग्री (Material Required) - कॉपर सल्फेट विलियन परखनली या जिंक धातु जिंक सल्फेट विलियन कॉपर मैग्नीशियम तथा लोहा।
प्रक्रिया (Process) - प्रयोग को हमें लिखित चरणों में शुरू करेंगे-
- इसके लिए सबसे पहले लगभग 5 mL तनु कॉपर सल्फेट के विलेयन को परखनली में लेंगे और इसके रंग का प्रेक्षण करें। आप देखेंगे कि यह नीले रंग का है।
- अब विलेयन में एक पतली जिंक धातु की प्लेट रखेंगे और इस विलेयन को कुछ देर हिलाएंगे।
- आप देखेंगे कि विलेयन का नीला रंग धीरे-धीरे फ़ीका पड़ जाएगा और कॉपर का लाल अपक्षेप नीचे बैठ जाएगा। यह प्रयोग दर्शाता है कि जिंक कॉपर सल्फेट विलेयन से कॉपर को विस्थापित कर देता है।
- अब एक दूसरी परखलनली लेंगे और उसमें जिंक-सल्फेट का घोल डालेंगे। अब उसमें कॉपर (ताँबे) की तार डालें और इसे कुछ देर हिलाएंगे और यह ज्ञात करने की कोशिश करेंगे कि रंग में क्या परिवर्तन होता है अथवा अवक्षेप बनता है या नहीं?
- आप देखेंगे कि विलेयन का न तो रंग ही परिवर्तित होगा और न ही कोई अवक्षेप बनेगा। यह प्रयोग दर्शाता है कि कॉपर, जिंक-सल्फ़ेट विलेयन से जिंक को विस्थापित नहीं करता।
- ठीक इसी प्रकार आप इस प्रयोग को ऐलुमिनियम ,मैग्नीशियम ,जिंक तथा लोहे व कॉपर सल्फेट के विलयन के साथ दोहराएंगे।
- धातुओं की अभिक्रियाशीलता के क्रम से हम पाएँगे कि मैगनीशियम, जिंक तथा लोहा, कॉपर सल्फ़ेट विलेयन से कॉपर को विस्थापित कर देते हैं। अतः ये सभी धातु कॉपर से अधिक क्रियाशील हैं।

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