कार्बन डाइऑक्साइड(CO2):उपस्थिति,उपक्रम की विधियां तथा गुण


कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide)

कार्बन डाइऑक्साइड(CO2):उपस्थिति,उपक्रम की विधियां तथा गुण

कार्बन डाइऑक्साइड को कृत्रिम रूप से सर्वप्रथम वेन हेल मोंटने 1630 में बनाया था। लैवाशिये ने 1783 में यह प्रतिपादित किया कि कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन का ही एक ऑक्सीकारक है। कार्बन दो ऑक्सीकारक बनाता है कार्बन मोनोऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड।

उपस्थिति (Occurrence)
कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में मुक्त अवस्था में पाई जाती है। पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन का आयतन 0.03% होता है। कार्बन डाइऑक्साइड जीवाश्म ईंधनों के दहन, श्वसन-प्रक्रिया, किण्वन तथा ज्वालामुखी उद्भेदन के समय उत्पन्न होती है। यह विभिन्न प्रकार के लवण युक्त जल में भी उत्पन्न रहती है।

उपक्रम की विधियां (Method of Preparation)
कार्बन डाइऑक्साइड को कई विधियों द्वारा बनाया भी जा सकता है, जैसे, कार्बन तथा हाइड्रोकार्बन के दहन द्वारा। इसमें कार्बन, कार्बन मोनो ऑक्साइड तथा हाइड्रोकार्बन के पूर्ण दहन द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड बनाई जा सकती है। इसके अलावा कार्बोनेट बनने तथा बाई कार्बोनेट को गर्म करके उनके अपघटन द्वारा भी कार्बन डाइऑक्साइड बनाई जा सकती है।


भौतिक गुण (Physical Properties)
कार्बन डाइऑक्साइड गैस उच्च दाब में द्रवीभूत हो जाती है। ठोस कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ के समान दिखती है जिसे शुष्क बर्फ कहते हैं। सामान्य स्थितियों में शुष्क बर्फ -78°C  के तापमान पर पिघल जाती है। अतः शुष्क बर्फ आइसक्रीम आदि जमाने के लिए शीतलक रूप में प्रयोग की जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड एक अन्य ऑक्सीकारक कार्बन मोनोऑक्साइड बनाती है। इसके कुछ गुण हैं जो इस प्रकार हैं जैसे,
  • यह एक उदासीन ऑक्सीकारक होता है।
  • यह कार्बन डाइऑक्साइड की अपेक्षा जल में कम घुलनशील होता है। 
  • यह अत्यंत विषैली गैस होती है।
कार्बन डाइऑक्साइड के कई भौतिक गुण होते हैं जो इस प्रकार हैं-
  1. भौतिक अवस्था (physical state) : कार्बन डाइऑक्साइड एक रंगहीन तथा गंधहीन गैस होती है। यह भाइयों से लगभग 1.5 गुना अधिक भारी होती है और द्रव रूप में पुनः धरती पर बरस जाती है।
  2. विलेयता (Solubility) : कार्बन डाइऑक्साइड जल में घुलनशील होती है। दाब में वृद्धि के साथ कार्बन डाइऑक्साइड की जल में विलय तभी बढ़ती जाती है। वातक पेयजल दाब के अंतर्गत जल में कार्बन डाइऑक्साइड के विलियन हैं।
  3. प्रकृति (Nature) : हालांकि कार्बन डाइऑक्साइड गैस विषैली नहीं होती है फिर भी यह जीवन को अवलंब नहीं देती है। पशु तथा मनुष्य व अन्य जीवित जंतुओं कार्बन डाइऑक्साइड युक्त वातावरण में सांस नहीं ले पाते हैं और वह मर जाते हैं। लेकिन पौधों के लिए कार्बन डाइऑक्साइड जीवन का कार्य करता है।
  4. उर्ध्वपातन (Elevation) : कार्बन डाइऑक्साइड को जब सामान्य दाब तथा -78 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ठंडा किया जाता है तब इसका बर्फ जैसा ठोस पदार्थ में ठोसीकरण हो जाता है जिसे शुष्क बर्फ कहते हैं।द्रव कार्बन डाइऑक्साइड केवल उच्च दबाव में विद्यमान रहता है। अतः ठोस कार्बन डाइऑक्साइड जब सामान दबाव में रखा जाता है तब वह -78 डिग्री सेल्सियस पर उर्ध्वपातित हो जाता है।


रासायनिक गुण (Chemical Properties)
कार्बन डाइऑक्साइड के कुछ सामान्य रासायनिक गुण इस प्रकार है-
  1. स्थिरता (The stability) : कार्बन डाइऑक्साइड एक स्थिर योगिक होता है 1775 k तापमान पर गर्म करने पर इस गैस का केवल 0.32 प्रतिशत ही अपघटित होता है।
  2. दहनशीलता (Combustibility) : सामान्य स्थितियों में कार्बन डाइऑक्साइड ना तो दहनशील होता है और ना ही दहन का सहायक होता है। कुछ अत्यंत क्रियाशील धातु होते हैं जैसे मैग्नीशियम सोडियम तथा पोटेशियम जो कि कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति में जलते रहते हैं।
  3. अम्लीय प्रकृति (Acidic nature) : कार्बन डाइऑक्साइड जल में घुलकर कार्बनिक अम्ल देती है। अतः कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बोनेट ऐनहाइड्राइट भी कहा जाता है।
  4. क्षार के साथ (With alkali) : कार्बन डाइऑक्साइड हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया करके कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट बनाता है।
  5. चूने के साथ (With lime) : जब कार्बन डाइऑक्साइड को चूने के पानी के साथ खौलाया जाता है तब यह कैल्शियम कार्बोनेट बनने के कारण दूधिया रंग का हो जाता है। जब और अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को खौलाया आया जाता है तब कैल्शियम बाइकार्बोनेट बनने के कारण यह विलियन साफ हो जाता है। जब इसे दोबारा उबलते हैं तब दूधिया रंग पुनः आ जाता है क्योंकि कैलशियम कार्बोनेट दोबारा बनने लगता है।
  6. प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) : पौधे क्लोरोफिल तथा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करके शर्करा स्टाफ तथा सैलूलोज उत्पन्न करते हैं। पौधों द्वारा की जाने वाली यह प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है।कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग वातक पेयजलों के निर्माण में अग्निशामक बनाने में सोडियम कार्बोनेट तथा सोडियम बाई कार्बोनेट बनाने में तथा शुष्क बर्फ के रूप में शीतलन के लिए प्रयोग किया जाता है।


सोडा अम्ल अग्निशामक (Soda-Acid Fire Extinguisher)
कार्बन डाइऑक्साइड दहन की प्रक्रिया में सहायक नहीं होते हैं अतः इनका प्रयोग अग्नि बुझाने के काम में किया जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड के इस गुण का प्रयोग अग्निशमन में किया जाता है।
अग्निशामक में सोडियम बाई कार्बोनेट का सांद्र विलयन लिया जाता है जिसे स्टील के बेलनाकार बर्तन में रखा जाता है। तनु सल्फ्यूरिक अम्ल को एक विशेष ढीले ढक्कन युक्त बोतल में डाल कर इस बेलना कार बर्तन में रखा जाता है।
कार्बन डाइऑक्साइड(CO2):उपस्थिति,उपक्रम की विधियां तथा गुण

आवश्यकता के समय दोनों प्रतिकर्मकों की नाॅब पर प्रहार कर अभिक्रिया कराई जाती है। इस अभिक्रिया के कारण कार्बन डाइऑक्साइड तुरंत उत्पन्न होती है। घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड सोडियम सल्फेट के विलयन को धक्का देते हुए छिद्र से बाहर निकलती है।





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