ठोसों में ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Solids):उदाहरण तथा प्रकार|hindi


ठोसों में ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Solids) : उदाहरण तथा प्रकार
ठोसों में ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Solids):उदाहरण तथा प्रकार|hindi

ऐसा देखा गया है कि प्रायः सभी ठोस गर्म होने पर फैल जाते हैं हैं तथा ठण्डा होने पर सिकुड़ जाते हैं। किसी हम निम्न उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं कि एक धातु की गेंद जो साधारण ताप पर एक छल्ले में से होकर निकल जाती है, गर्म किये जाने पर नहीं निकल पाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि गेंद गर्म किये जाने पर सब दिशाओं में फैलती है। ठोसों के इस प्रसार को 'ऊष्मीय प्रसार' कहते है।

भिन्न-भिन्न ठोसों में ऊष्मीय प्रसार भिन्न-भिन्न होता है। इसे दिखाने के लिए, लोहे तथा ताँबे की एक ही आकार की दो छड़ें एक दूसरे के ऊपर रखकर रिवट (rivets) द्वारा आपस में जोड़ देते हैं (चित्र a) जब इस दोहरी छड़ को गर्म किया जाता है तो यह मुड़ जाती है तथा ताँबे की छड़ मोड़ के बाहरी ओर व लोहे की छड़ भीतर की ओर रहती है (चित्र b)। इससे स्पष्ट है कि समान रूप से गर्म किये जाने पर ताँबे में लोहे की अपेक्षा अधिक प्रसार होता है।
ठोसों में ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Solids):उदाहरण तथा प्रकार|hindi


यदि हम इसी दोहरी छड़ को कमरे के ताप से नीचे ठण्डा करें तब ताँबे की छड़ लोहे की अपेक्षा अधिक सिकुड़ेगी। इस दशा में छड़ विपरीत दिशा में मुड़ेगी।

कुछ पदार्थों के अपवाद: कुछ पदार्थ विशेष दशाओं में ऊष्मा पाकर सिकुड़ते भी हैं। उदाहरण के लिए, 0°C से 4°C तक जल, तथा 80°C से 142°C तक सिल्वर आयोडाइड गर्म करने पर सिकुड़ता है।

ऊष्मीय प्रसार के प्रकार 
ठोसों में तीन प्रकार के प्रसार होते हैं-
  1. रेखीय प्रसार' अथवा 'दैर्ध्य प्रसार' (linear expansion)
  2. क्षेत्रीय प्रसार' (superficial expansion)
  3. आयतन प्रसार' (volume expansion)
ठोसों का एक निश्चित आयतन व एक श्चित रूप होता है तथा गर्म किये जाने पर उनका सभी दिशाओं में प्रसार होता है। यदि हम किसी घनाकार ठोस को गर्म करें तो उसकी लम्बाई, चौड़ाई तथा मोटाई तीनों में समान वृद्धि होती है। परन्तु यदि हम किसी पदार्थ की छड़ को गर्म करें तो छड़ की चौड़ाई तथा मोटाई में वृद्धि, उसकी लम्बाई में वृद्धि की अपेक्षा बहुत कम होती है। अतः हम यह मान लेते हैं कि छड़ को गर्म करने पर केवल उसकी लम्बाई में ही वृद्धि होती है। इस प्रकार के प्रसार को 'रेखीय प्रसार' अथवा 'दैर्ध्य प्रसार' (linear expansion) कहते हैं।

यदि हम किसी पदार्थ के आयताकार पटल (lamina) को गर्म करते हैं तो उसकी मोटाई बहुत कम होने के कारण उसकी लम्बाई तथा चौड़ाई में ही वृद्धि होती है, अर्थात् उसका क्षेत्रफल बढ़ जाता है। इस प्रकार के प्रसार को 'क्षेत्रीय प्रसार' (superficial expansion) कहते हैं।

जब हम घनाकार ठोस को गर्म करते हैं तो उसकी लम्बाई, चौड़ाई व मोटाई तीनों में वृद्धि होती है, अतः उसका आयतन बढ़ जाता है। इस प्रकार के प्रसार को 'आयतन प्रसार' (volume expansion) कहते हैं।


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