प्रकाश के अपवर्तन के बारे में हम पहले पढ़ चुके हैं। आज हमें हम जानेंगे कि विभिन्न माध्यमों में प्रकाश का अपवर्तन कैसे होता है।
माना कि प्रकाश की कोई किरण OA वायु में चलकर पहले जल में तथा फिर काँच के समान्तर गुटके से होकर वायु में ही CD मार्ग से निकल आती है (चित्र अनुसार)। ⬇
माना कि पहले तथा दूसरे माध्यमों के सीमा- पृष्ठ पर आपतन कोण i₁ तथा अपवर्तन कोण r₁ हैं। तब पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक
दूसरे और तीसरे माध्यमों के सीमा-पृष्ठ पर आपतन कोण r₁ ही होगा। माना कि अपवर्तन कोण r2 है। तब दूसरे माध्यम के सापेक्ष तीसरे माध्यम का अपवर्तनांक
₁n2 = sin i₁ sin r₁ ...(i)
दूसरे और तीसरे माध्यमों के सीमा-पृष्ठ पर आपतन कोण r₁ ही होगा। माना कि अपवर्तन कोण r2 है। तब दूसरे माध्यम के सापेक्ष तीसरे माध्यम का अपवर्तनांक
n = sin r₁ / sin r ...(ii)
तीसरे तथा अन्तिम माध्यम के सीमा- पृष्ठ पर आपतन कोण r2 होगा। चूँकि सभी सीमा- पृष्ठ समान्तर हैं तथा किरण पहले माध्यम (वायु) से चलकर अन्त में उसी माध्यम (वायु) में ही निकलती है, अतः निर्गत कोण CD, आपतित किरण OA के समान्तर होगी, अर्थात् निर्गत कोण i1 ही होगा। अतः तीसरे माध्यम के सापेक्ष अन्तिम माध्यम (जो कि पहला माध्यम ही है)का अपवर्तनांक
3n1 = sin r2 / sin i1 ... (iii)
समीकरण (i), (ii) तथा (iii) की गुणा करने पर
अथवा
उदाहरणार्थ, यदि माध्यम 1, 2 तथा 3 क्रमश: वायु, जल तथा काँच हों, तो जल के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक
1n2 × 2n3 × 3n1 = sin i1 / sin r1 × sin r1 / sin r2 × sin r2 / sin i1 = 1
2n3 = 1 / 1n2 × 3n1
= 1n3 / 1n2 [1n3 = 1/ 3n1]
wng = ang / anw
निम्न सूत्रों के द्वारा हम समांतर पारदर्शी माध्यमों जैसे वायु ,जल तथा कांच में प्रकाश के अपवर्तन को निकाल सकते हैं।
प्रकाश के अपवर्तन के अंतर्गत जिस रंग का अपवर्तन सबसे अधिक होता है वह बैंगनी रंग का होता है।
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