अनावृतबीजी पौधों का आर्थिक महत्त्व (Economic importance of Gymnosperms plants)|hindi


अनावृतबीजी पौधों के आर्थिक महत्त्व (economic importance)

अनावृतबीजी पौधों का आर्थिक महत्त्व (Economic importance of Gymnosperms plants)|hindi

इसके आर्थिक महत्त्व (economic importance) निम्नलिखित हैं-

1.  सजावट के लिये ( Ornamental plants)- अधिकतर अनावृतबीजी पौधे जैसे साइकस (Cycas), पाइनस (Pinus), एरोकेरिया (Araucaria), गिंगो (Ginkgo), थूजा (Thuja), एबीस (Abies), टैक्सस (Taxus), क्रिप्टोमेरिया (Cryptomeria), आदि को मकानों एवं उद्यानों में सजावट के लिये लगाये जाते हैं।

2.  भोज्य पदार्थों के लिये (Plants of food value) — कुछ अनावृतबीजी पौधे जैसे जैमिया (Zamia) से मण्ड प्राप्त किया जाता है। 

 🔸  साइकस से भी एक प्रकार का सागू (sago) प्राप्त किया जाता है। यह एक प्रकार का स्टार्च है जो सस्ती डबलरोटी बनाने में प्रयुक्त होता है। 

 🔸  एनसिफलारटोस (Encephlartos) से कैफ्फर ब्रेड (Kaffer bread) तैयार की जाती है। 

 🔸  अनावृतबीजी के कुछ पौधों की माँसल पत्तियाँ शाकभाजी के रूप में खाई जाती हैं। 

  🔸  जापान में साइकस रिवोलुटा (Cycas revoluta) नामक अनावृतबीजी पौधे की जड़ व तने से एक प्रकार की शराब निकाली जाती है। 

  🔸  चिलगोजा (Pinus gerardiana) के बीज के भ्रूणपोष (endosperm) व embryo खाये जाते हैं। 

  🔸  नीटम नीमोन (Gnetum gnemon) के बीजों से मलाया इन्डोनेशिया में बिस्कुट बनाये जाते हैं। इसी पौधे के तने एवं पुष्पक्रम को सब्जी के रूप में खाया जाता है। 

  🔸  गिंगो बाइलोबा (Ginkgo biloba) व साइकस के बीजों को भून कर खाया जाता है।


3. कागज बनाने में (Paper industry)– कुछ अनावृतबीजी पौधे जैसे नीटम (Gnetum) एवं पाइसिया (Picea) से कागज की लुग्दी एवं कागज बनाया जाता है।


4. फर्नीचर के लिए लकड़ी (wood) के रूप में - अनावृतबीजी पौधों के अंतर्गत कुछ ऐसे पौधे आते हैं जिनका उपयोग फर्नीचर बनाने के लिए किया जाता है इनमें से कुछ पौधे जैसे पाइनस वालिचिआना (Pinus wallichiana = कैल), पाइनस रॉक्सबर्धी (Pinus roxburghii = चीड़), एबीस (Abies = फर), सिड्रस देवदार (Cedrus deodara = दयार), सिक्युआ (Sequoia 7 = red wood tree) इत्यादि से लकड़ी प्राप्त होती है जो दरवाजे, खिड़कियाँ तथा हल्का फर्नीचर बनाने में काम आती है। 

🔸 जूनिपेरस (Juniperus) की लकड़ी से पेन्सिल, फीटे (scales)होल्डर बनाये जाते हैं। 

🔸 थूजा (Thuja) = बायोटा (Biota) की लकड़ी का प्रयोग बिजली व टेलीफोन के खम्बे बनाने में होता है। 
पाइनस (Pinus) की लकड़ी से दियासलाई की तिलियाँ बनाई जाती हैं।



5. औषधि के रूप में (In medicines) - अनावृतबीजी पौधे जैसे साइकस सिर्सिनेलिस (C. circinalis) की पत्तियाँ महत्त्वपूर्ण हैं। इनकी ताजी पत्तियों से निकाला गया रस, पेट के रोगों, उल्टी तथा त्वचा रोगों में लाभप्रद होता है। 

🔸 साइकस के बीज, छाल व महाबीजाणुपर्ण को पीसकर तेल के साथ पुल्टिस (poultice) बनाई जाती है जो घाव व सूजन पर बाँधी जाती है।
 
🔸 टेक्सस बेवफोलिया (Taxus brevfolia) से 'टेक्साल' नामक औषधि प्राप्त होती है जिसका प्रयोग कैन्सर उपचार हेतु किया जाता है।

🔸 फेड्रा (Ephedra) पौधे से इफेड्रीन (Ephedrine) नामक औषधि प्राप्त होती है जो जुकाम, खाँसी रोगों से निदान के लिये प्रयुक्त होती है। 

🔸 थूजा (Thuja) की पत्तियों को उबालकर बुखार, खाँसी व गठिया रोगों से निदान के लिये प्रयोग किया जाता है। 

🔸 साइकस रम्फाई (C. rumphii) से एक प्रकार का गोंद निकलता है जो दुर्दम अर्बुद (malignant tumours) के इलाज में काम आता है।



6. दूसरे विविध लाभ (Other miscellaneous uses) - कुछ अनावृतबीजी पौधे जैसे सूगा (Tsuga) हैमलौक (hemlock) की छाल से एक टैनिन निकाला जाता है जिससे स्याही (ink) बनाई जाती है व दवाई के रूप में प्रयोग किया जाता है। 

🔸 कैनाडा बालसम (Canada balsam) जो प्रयोगशाला में स्थायी स्लाइड बनाने में एक आरोपण माध्यम है, एबीस बालसेमिया (Abies balsamea) से तथा एम्बर (Amber) जिसका प्रयोग आभूषण बनाने में किया जाता है, 
पाइनस सक्सीनीफेरा (Pinus succinifera) से प्राप्त किया जाता है।

🔸 सिडार वुड ऑयल (cedar wood oil) जूनिपेरस विरजिनियाना (Juniperus virginiana) नामक अनावृतबीजी पौधे से प्राप्त किया जाता है। पाइनस से तारपीन का तेल प्राप्त किया जाता है। 

🔸 पाइनस सिल्वैस्ट्रिस नामक अनावृतबीजी पौधे से काष्ठ गैस (wood gas), काष्ठ तार (wood tar)काष्ठ एल्कोहॉल (wood alcohol) प्राप्त किये जाते हैं। 

🔸 साइकस (Cycas) की विभिन्न जातियों (species) की पत्तियों से झाडू व टोकरी बनाई जाती हैं।


अनावृतबीजी (gymnosperms) पौधों के बारे में विस्तार से जाने के लिए यह लेख पढ़ें - अनावृतबीजी पौधे (Gymnosperms) : परिभाषा, लक्षण, चित्र|hindi



विशेष अनुकूलन (Special Adaptations)

अनावृतबीजी पौधों में स्थल पर रहने के लिये अनेक अनुकूलन (adaptations) उत्पन्न हुए, जिनमें मुख्य अनुकूलन निम्नलिखित हैं-

1. बीजों का निर्माण (Formation of seeds) - अनावृतबीजी पौधों में बीजों का उत्पन्न होना एक विशेष अनुकूलन है। बीजों में भ्रूण सुरक्षित रहते हैं और उन पर प्रतिकूल वातावरणीय दशाओं, जैसे सूखा, कम तापक्रम तथा किन्हीं जातियों के बीजों में अग्नि का भी कोई प्रभाव नहीं होता है।

2मरुद्भिदी लक्षण (Xerophytic characters) – अनावृतबीजी पौधों की बाह्यत्वचा पर मोटी cuticle 
होती है। मोटी भित्ति की कोशाओं वाली बहुस्तरीय hypodermis, धँसे हुए रन्ध्र (sunken stomata) आदि मरुद्भिदी लक्षणों के कारण पौधे अत्यधिक कम ताप वाले क्षेत्रों तथा शुष्क मरुस्थलीय क्षेत्रों में भी जीवित रहते हैं।

3. रेजिन का निर्माण (Formation of resin) -  कोनीफर (conifers) नामक अनावृतबीजी पौधों की रेजिन नलिकाओं में रेजिन बनता है। इसमें तारपीन (turpentine) नामक विलायक तथा रोजिन (rosin) नामक मोमीय पदार्थ (waxy substance) होता है। 

वृक्ष में घाव हो जाने पर रेजिन स्रावित होता है तथा वायु के सम्पर्क में आते ही तारपीन उड़ जाता है और रोजिन का रक्षात्मक आवरण घाव पर बन जाता है। इस प्रकार घाव से जल का वाष्पन रुक जाता है और कवक आदि का संक्रमण भी नहीं हो पाता है। 


अनावृतबीजी (gymnosperms) पौधों के वर्गीकरण बारे में विस्तार से यहाँ जाएँ - अनावृतबीजी पौधों का वर्गीकरण (Classification of Gymnosperms)|hindi

4.  कवकमूलीय जड़ें (Mycorrhizal roots) - अनेक अनावृतबीजी पौधों की जड़ों पर कवक-जाल लिपटा रहता है। यह भूमि से जल व विभिन्न पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सहायक है।

5.  परागण व निषेचन (Pollination and fertilization)-आवृतबीजी पौधों में वायु द्वारा परागण तथा निषेचन क्रिया में पानी आवश्यक न होना भी इनका विशेष अनुकूलन है।


उपर्युक्त बिंदुओं के द्वारा हमें यर्ह पता चलता है कि इन पौधों में विशेष अनुकूलन किस प्रकार का पाया जाता हैऔर यह कितने प्रकार का होता है। 


अनावृतबीजी (gymnosperms) पौधों तथा आवृतबीजी पौधों के बीच के अंतर को जानने के लिए यह लेख पढ़ें - अनावृतबीजी (gymnosperms) vs आवृतबीजी पौधे

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