अनावृतबीजी पौधों का वर्गीकरण (Classification of Gymnosperms)|hindi


अनावृतबीजी पौधों का वर्गीकरण (Classification of Gymnosperms)
अनावृतबीजी पौधों का वर्गीकरण (Classification of Gymnosperms)|hindi

अनावृतबीजी (gymnosperms) बीजीय पौधों (spermatophytes) का वह उपसंघ (subphylum) होता है जिसके अन्तर्गत वे पौधे आते हैं जिनमें बीज तो बनते हैं परन्तु वे बीज नग्न रूप से पौधे पर लगे रहते हैं, अर्थात् बीजाण्ड (ovules) अथवा उनसे विकसित बीज (seeds) किसी खोल, भित्ति या फल में बन्द नहीं होते हैं। इस वर्ग का वर्गीकरण आरम्भ से ही एक विवादग्रस्त विषय रहा है। चैम्बरलेन (Chamberlain) ने 1934 में नग्नबीजी पौधों के वर्ग को निम्न उपवर्गों में विभाजित किया था -

  • उपवर्ग I–साइकेडोफाइटा (Cycadophyta)
  • उपवर्ग II–कोनिफेरोफाइटा (Coniferophyta)

उपवर्ग I–साइकेडोफाइटा (Cycadophyta)

इस उपवर्ग के अंतर्गत पेड़ छोटे तथा प्रायः शाखाहीन स्तम्भ वाले होते हैं। इन पौधों की पत्तियाँ संयुक्त (compound) तथा बड़ी होती हैं। इनके तने की अनुप्रस्थ काट (T.S.) में पिथ एवं वल्कुट (cortex) बड़ा तथा काफी विकसित होता है जबकि जाइलम एवं फ्लोएम छोटा होता है। इसे निम्न गणों (orders) में विभाजित किया गया है-

  1. गण 1–साइकेडोफिलिकेल्स (Cycadofilicales)
  2. गण 2– बैनिटाइटेल्स (Bennetitales )
  3. गण 3–साइकेडेल्स (Cycadales)

1.  गण 1–साइकेडोफिलिकेल्स (Cycadofilicales)
- यह जीवाश्म नग्नबीजियों का गण है जिसमें कुछ लक्षण फर्न जैसे तथा कुछ लक्षण नग्नबीजी पौधों जैसे होते हैं, जैसे- मेडूलोसा (Medullosa)।


2.  गण 2– बैनिटाइटेल्स (Bennetitales ) - इस गण के सभी ज्ञात पौधे मीसोजोइक काल के जीवाश्म हैं। इनमें पर्णाधार स्थायी रूप से स्तम्भ पर लगे रहते हैं, जैसे- विलियमसोनिया (Williamsonia)। 

3.  गण 3–साइकेडेल्स (Cycadales) - इस गण में दोनों प्रकार के पौधे पाये जाते हैं, अर्थात् मीसोजोइक काल से लेकर आधुनिक काल तक के जीवित पौधे इस वर्ग में आते हैं। अशाखीय पाम की भाँति के पौधे इस गण में आते हैं जिनमें पत्तियाँ बड़ी, प्रायः तना अशाखित, तने में विरलदारुक काष्ठ (manoxylic wood) होती है तथा नर युग्मक पक्ष्माभी (ciliated) होते हैं, जैसे साइकस (Cycas)।


अनावृतबीजी पौधों के बारे में जानने के लिए यह लेख पढ़ें - अनावृतबीजी पौधे (Gymnosperms) : परिभाषा, लक्षण, चित्र|hindi



उपवर्ग II–कोनिफेरोफाइटा (Coniferophyta)

इस उपवर्ग में बड़े तथा शाखीय वृक्ष होते हैं। पत्तियाँ छोटी तथा सरल होती हैं। तने की अनुप्रस्थ काट में पिथ एवं वल्कुट (cortex) कम तथा जाइलम एवं फ्लोएम अधिक होता है। इस वर्ग को निम्न गणों (orders) में विभाजित किया गया है-

  1. गण 1–कोर्डेटेल्स (Cordaitales)
  2. गण 2–गिंगोएल्स (Ginkgoales)
  3. गण 3–कोनिफेरेल्स (Coniferales)
  4. गण 4–नीटेल्स (Gnetales)

1.  गण 1–कोर्डेटेल्स (Cordaitales) - इस गण के सभी पौधे पेलीओजोइक काल के जीवाश्म हैं। इनके तने तथा शाखाओं पर सर्पिल विधि से लगी पत्तियों में समानान्तर शाखा लगी होता है, जैसे कॉर्डेटीज (Cordaites)।

2.  गण 2–गिंगोएल्स (Ginkgoales) - इस गण में पेलीओजोइक काल से लेकर आज तक के पौधे हैं, अर्थात् जीवाश्म त दोनों प्रकार के पौधे हैं। इसमें प्रायः लघु तथा दीर्घ दोनों प्रकार के स्तम्भ होते हैं। लघु स्तम्भ (dथा जीवित भी। जीवित पौधों में एकमात्र पौधा है गिंगो बाइलोबा (Ginkgo biloba)। पंखे जैसी पत्तियाँ इस पौधे का मुख्य लक्षण हैं। गिंगो बाइलोबा को जीवित जीवाश्म (living fossil) भी कहते हैं। इसका सामान्य अंग्रेजी नाम Maiden hair tree है।

अनावृतबीजी पौधों के आर्थिक महत्त्व के बारे में जानने के लिए यह लेख पढ़ें - अनावृतबीजी पौधों का आर्थिक महत्त्व 


3.  गण 3–कोनिफेरेल्स (Coniferales) - यह अनावृतबीजीयों का सबसे बड़ा गण है। जिसमें जीवाश्म तथा जीवित dwarf shoot) पर पत्तियाँ लगी होती हैं, जो रेखित तथा त्रिकोणीय होती हैं तथा इनके तने में सघन दारुक काष्ठ (pycnoxylic wood) होती है, जैसे पाइनस (Pinus), एरोकेरिया (Araucaria christmas tree)

4.  गण 4–नीटेल्स (Gnetales) - यह सबसे अधिक विकसित गण है। इस गण के सभी पौधे जीवित, स्थायी तथा छोटे होते हैं। इन पौधों के जननांग एकलिंगी होते हैं। इनमें जाइलम में वाहिनियाँ (vessels) पायी जाती हैं, इसमें केवल तीन जातियाँ हैं- इफेड्रा (Ephedra), नीटम (Gnetum) तथा वेलविट्सचिआ (Welwitischia)। 


चैम्बरलेन (1934) पर आधारित अनावृतबीजी पौधों के इस वर्गीकरण द्वार हमें यह पता चलता हैं कि इन वर्गीकरण के द्वारा ऐसे कौन से पौधे हैं जो अवशेष के रूप में हैं तथा हम उन्हें और अच्छे से कैसे जान सकते है। 


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