द्रव्य का गतिज आणविक सिद्धांत तथा ठोस, द्रव, गैस की व्याख्या|hindi


द्रव्य का गतिज आणविक सिद्धांत (Kinetic Molecular Theory of Matter)
द्रव्य का गतिज आणविक सिद्धांत तथा ठोस, द्रव, गैस की व्याख्या|hindi

द्रव्य  का गतिज आणविक सिद्धान्त से ठोस द्रव तथा गैस के गुणों की व्याख्या करने में अत्यन्त उपयोगी है।

द्रव्य के गतिज आणविक सिद्धान्त के अनुसार
  • द्रव्य अत्यन्त छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है जो स्वतन्त्र अवस्था में रह सकते हैं। इन कणों को अणु (molecules) कहते हैं।
  • अणु कठोर, चिकने तथा पूर्णतया प्रत्यास्थ गोले की भाँति होते हैं।
  • द्रव्य के अणुओं के मध्य कुछ रिक्त स्थान रहता है जिसे अन्तरा-आणविक स्थान या अन्तरा आणविक आकाश (intermolecular space) कहते हैं।
  • द्रव्य के अणुओं के मध्य आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल कार्य करते हैं। द्रव्य के अणुओं के मध्य आकर्षण को अन्तरा-आणविक आकर्षण (intermolecular attraction) या संसंजक बल (cohesive force) या स्थितिज ऊर्जा ) (potential energy) कहते हैं।
  • द्रव्य के अणु निरन्तर गति करते रहते हैं जिसके कारण उनमें गतिज ऊर्जा (kinetic energy) होती है। 
  • द्रव्य का ताप बढ़ाने से उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है।

गतिज आणविक सिद्धान्त के आधार पर द्रव्य की ठोस अवस्था की व्याख्या -
द्रव्य की ठोस अवस्था में द्रव्य के अणु एक-दूसरे के बहुत निकट होते हैं अर्थात् इनमें अन्तरा-अणुक स्थान कम होता है। अन्तरा-अणुक स्थान कम होने के कारण इनमें अन्तरा-अणुक आकर्षण बहुत अधिक होता है तथा इनके गति करने की स्वतन्त्रता बहुत कम रहती है। इस प्रकार इनकी स्थितिज ऊर्जा बहुत अधिक तथा गतिज ऊर्जा बहुत कम होती है तथा ये अपनी मध्यमान स्थिति के दोनों ओर सीमित स्थान में ही कम्पन करते रहते हैं। इस कारण ठोस का आकार तथा आयतन निश्चित रहते हैं।

गतिज आणविक सिद्धान्त के आधार पर द्रव्य की द्रव अवस्था की व्याख्या
द्रव के अणुओं के बीच अन्तरा-अणुक स्थान ठोस की अपेक्षा अधिक होता है। इस कारण द्रव के अणुओं के मध्य अन्तरा-अणुक आकर्षण कम होता है तथा द्रव के अणुओं की गति करने की स्वतन्त्रता अधिक होती है। इस प्रकार द्रव के अणुओं की स्थितिज ऊर्जा कम तथा गतिज ऊर्जा अधिक होती है।

द्रव के अणुओं की गतिज ऊर्जा अधिक होने के कारण वे अनियमित रूप से गति करते हुए परस्पर संघात करते रहते हैं तथा एक-दूसरे के ऊपर फिसलते रहते हैं। अतः द्रव में बहने का गुण होता है तथा इनकी कोई निश्चित आकृति नहीं होती है। इस कारण द्रव को जिस बर्तन में रखा जाता है वह उसी का आकार ग्रहण कर लेते हैं।

द्रव के अणुओं की गतिज ऊर्जा उनकी पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण तथा अन्तरा-अणुक आकर्षण के कारण उत्पन्न स्थितिज ऊर्जा से अधिक नहीं होती है, अतः वे अपना तल नहीं छोड़ सकते हैं तथा द्रव का आयतन निश्चित रहता है।



गतिज आणविक सिद्धान्त के आधार पर द्रव्य की गैस अवस्था की व्याख्या
गैस के अणुओं के बीच अन्तरा-अणुक स्थान ठोस तथा द्रव की तुलना में बहुत अधिक होता है। इस तथ्य का अनुमान कि गैसों में अन्तरा-अणुक स्थान अधिक होता है, इस उदाहरण से लगाया जा सकता है कि 18 मि० लि० जल की वाष्पों का आयतन सामान्य ताप तथा दाब पर लगभग 22400 मि० लि० होता है। गैस के अणुओं के मध्य अत्यधिक रिक्त स्थान रहने के कारण उनके मध्य अन्तरा-अणुक आकर्षण बहुत कम होता है तथा उनके अणुओं की गति करने की स्वतन्त्रता बहुत अधिक होती है। इस प्रकार गैस के अणुओं की स्थितिज ऊर्जा बहुत कम तथा गतिज ऊर्जा बहुत अधिक होती है तथा वे लगभग पूर्ण रूपेण स्वतन्त्र रहते हैं।

गतिज ऊर्जा अधिक होने के कारण गैस के अणु परस्पर तथा बर्तन की दीवारों से टकराते रहते हैं तथा सभी दिशाओं में अनियमित रूप से तीव्रतापूर्वक गति करते रहते हैं। इस कारण गैसों में भी द्रवों की भाँति बहने का गुण पाया जाता है तथा उनकी आकृति निश्चित नहीं होती है। गैस के अणुओं की गतिज ऊर्जा इतनी अधिक होती है कि वे अपना तल छोड़ सकते हैं। अतः गैसों का आयतन भी अनिश्चित होता है।

गतिज आणविक सिद्धान्त के आधार पर द्रव्य की तीनों अवस्थाओं की व्याख्या करने पर यह ज्ञात होता है कि ठोस के अणुओं के मध्य दूरी सबसे कम तथा गैस के अणुओं के मध्य दूरी सबसे अधिक होती है।


गतिज आणविक सिद्धान्त के आधार पर द्रव्य की तीनों अवस्थाओं के गुणों की व्याख्या करने में निम्नलिखित निष्कर्ष अत्यन्त उपयोगी हैं

अन्तरा-अणुक स्थान का बढ़ता हुआ क्रम :

    ठोस < द्रव < गैस

अन्तरा-अणुक आकर्षण (स्थितिज ऊर्जा) का बढ़ता हुआ क्रम :

    गैस < द्रव < ठोस

अणुओं की गतिज ऊर्जा का बढ़ता हुआ क्रम :

    ठोस < द्रव < गैस


गतिज आणविक सिद्धान्त के आधार पर द्रव्य के घनत्व की व्याख्या
ठोस के अणुओं के मध्य अन्तरा-अणुक स्थान प्राय: सबसे कम तथा गैस के अणुओं के मध्य अन्तरा-अणुक स्थान सबसे अधिक होता है। अतः ठोस का घनत्व प्रायः सबसे अधिक तथा गैस का घनत्व सबसे कम होता है। यहाँ पर यह बात ध्यान रखना आवश्यक है कि जल का घनत्व बर्फ के घनत्व से अधिक होता है। इसका कारण हाइड्रोजन बन्धता होती है।
द्रव्य का गतिज आणविक सिद्धांत तथा ठोस, द्रव, गैस की व्याख्या|hindi




गतिज आणविक सिद्धान्त के आधार पर द्रव्य के आयतन पर ताप का प्रभाव
गतिज आणविक सिद्धान्त के अनुसार किसी द्रव्य को गरम करने पर उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। इस कारण अणुओं की गति करने की स्वतन्त्रता बढ़ जाती है, उनके मध्य की दूरी बढ़ जाती है तथा द्रव्य का आयतन बढ़ जाता है। गतिज आणविक सिद्धान्त के अनुसार किसी द्रव्य को ठण्डा करने पर उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा कम हो जाती है। इस कारण अणुओं की गति करने की स्वतन्त्रता कम हो जाती है, उनके मध्य की दूरी कम हो जाती है तथा द्रव्य का आयतन भी कम हो जाता है।


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