कोलॉइडी विलयनों (Colloidal Solutions)के गुण तथा अनुप्रयोग|hindi


कोलॉइडी विलयनों के गुण तथा अनुप्रयोग (Properties and Applications of Colloidal Solutions)
कोलॉइडी विलयनों (Colloidal Solutions)के गुण तथा अनुप्रयोग|hindi

कोलॉइडी विलयनों के गुण (Properties of Colloidal Solutions)
हम जानते हैं कि पदार्थों की एक विशेष अवस्था को कोलॉइडी अवस्था (colloidal state) कहते हैं। पदार्थों की यह अवस्था उनके कणों के आकार पर निर्भर करती है। जब किसी पदार्थ के कणों का आकार 10-⁴ से 10-⁷ से०मी० के क्षेत्र में होता है तथा पदार्थ के कण किसी माध्यम में परिक्षिप्त (वितरित, dispersed) होते हैं तो पदार्थ की इस अवस्था को कोलॉइडी अवस्था कहते हैं। इन्हीं पदार्थों को मिलाने पर हमें कोलाइडी विलयन प्राप्त होते हैं। इन कोलाइडी विलयन के कई गुण होते हैं जिनका वर्णन हम आज नीचे करेंगे-
  1. आकार (Size) - कोलॉइडी विलयनों में विलेय के कणों का आकार 10-⁴ से 10-⁷ से०मी० के बीच होता है। 
  2. रंग (Colour) — इनका रंग कोलॉइडी विलयन में उपस्थित विलेय के कणों द्वारा प्रकीर्णित (scattered) प्रकाश की तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करता है तथा प्रायः विलेय की मूल अवस्था के रंग से भिन्न होता है। 
  3. विषमांगी प्रकृति - ये विषमांग होते हैं तथा इनमें दो प्रावस्थायें (phases) होती हैं। इनमें एक प्रावस्था सतत (continuous) होती है जिसे परिक्षेपण माध्यम (dispersion medium) कहते हैं तथा दूसरी प्रावस्था को परिक्षिप्त प्रावस्था (dispersed phase) कहते हैं।
  4. दृश्यनीयता (Visibility) - कोलॉइडी विलयन में परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों को नग्न आँखों या साधारण सूक्ष्मदर्शी की सहायता से नहीं देखा जा सकता है लेकिन शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है।
  5. फिल्टरनीयता (Filtrability) - साधारण फिल्टर पेपर के छिद्र कोलॉइडी कणों के आकार से बड़े होते हैं। अतः कोलॉइडी विलयन को साधारण फिल्टर पेपर में से छानने पर सम्पूर्ण विलयन फिल्टर पेपर के दूसरी ओर चला जाता है।
  6. सतही क्षेत्रफल (Surface Area) - कोलॉइडी विलयन में उपस्थित कोलॉइडी कणों का कुल सतही क्षेत्रफल बहुत अधिक होता है जिसके कारण कोलॉइडी विलयन उत्तम अधिशोषक (adsorbent) की भाँति कार्य करते हैं तथा प्रभावशाली उत्प्रेरक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
  7. टिण्डल प्रभाव (Tyndal Effect) - जब प्रकाश के किरण-पुंज (beam of light) को अँधेरे कमरे में वास्तविक विलयन में से गुजारते हैं तो विलयन में किरणों का पथ दिखाई नहीं देता है। जब प्रकाश के किरण-पुंज को अँधेरे कमरे में कोलॉइडी विलयन में से गुजारते हैं तो विलयन में प्रकाश का पथ स्पष्ट दिखाई देता है। इस प्रकाशीय प्रभाव को टिण्डल प्रभाव (Tyndal effect) कहते हैं। जब सूर्य की किरणें किसी अँधेरे कमरे में किसी छिद्र में से होकर आती हैं तो किरणों के पथ में उपस्थित धूल के कणों का दिखाई देना टिण्डल प्रभाव का उदाहरण है। इसी प्रकार सिनेमा हाल में जब प्रोजेक्टर द्वारा स्क्रीन पर प्रकाश डाला जाता है तो प्रकाश के पथ में उपस्थित धूल के कणों के कारण प्रकाश का पथ दीप्तिमान हो जाता है। टिण्डल प्रभाव का कारण यह है कि कोलॉइडी कण प्रकाश की किरणों को प्रकीर्णित (scattered) कर देते हैं। वास्तविक विलयन के कण बहुत छोटे होते हैं तथा प्रकाश की किरणों को प्रकीर्णित नहीं कर पाते हैं। इस कारण वास्तविक विलयन में से प्रकाश की किरणें गुजारने पर प्रकाश की किरणों का पथ दिखाई नहीं देता है।
  8. ब्राउनी गति (Brownian Motion)– कोलॉइडी विलयनों के कण सदैव विभिन्न दिशाओं में टेढ़े-मेढ़े तरीके से गति करते रहते हैं। कोलॉइडी विलयनों में होने वाली इस गति को बाउनी गति (Brownian movement) कहते हैं। 
  9. वैद्युत कण संचलन - कॉलॉइडी विलयनों में कोलॉइडी कण प्रायः धन या ऋण आवेश युक्त होते हैं। अतः विद्युतीय क्षेत्र के प्रभाव में कोलॉइडी कण ऐनोड या कैथोड की ओर गति करते हैं। विद्युतीय क्षेत्र के प्रभाव में कोलॉइडी कणों की गति करने की क्रिया को वैद्युत कण संचलन कहते हैं।
  10. स्कन्दन (Coagulation) - कोलॉइडी विलयनों में कोलॉइडी कण प्रायः धन या ऋण-आवेश युक्त होते हैं। अतः कोलॉइडी विलयन में किसी वैद्युत अपघट्य की अल्प मात्रा मिलाने पर वैद्युत अपघट्य के आयनों द्वारा कोलॉइडो विलयन के कणों का आवेश उदासीन हो जाता है जिससे वे एक-दूसरे से मिलकर बड़े कण बनाते हैं तथा अवक्षेपित हो जाते हैं। कोलॉइडी विलयन में से कोलॉइडी कणों के अवक्षेपण की क्रिया को स्कन्दन (coagulation) या ऊर्णन (flocculation) कहते हैं।
उदाहरणार्थ- रूधिर (blood) एक ऋणात्मक कोलॉइडी विलयन है। शरीर में किसी स्थान पर चोट लग जाने पर जब खून बहने लगता तो उस स्थान पर फेरिक क्लोराइड या फिटकरी लगाने से खून का बहना रोका जा सकता है। फेरिक क्लोराइड में फेरिक आयन (Fe³+) तथा फिटकरी में ऐलुमिनियम आयन (Al³+) होते हैं। ये घनायन रूधिर के ऋणात्मक कोलॉइडी कणों का स्कन्दन कर देते हैं। स्कन्दन के फलस्वरूप खून का बहना रूक जाता है। अधिक चोट लग जाने पर खून के बहने को रोकने की यह विधि प्रभावी नहीं होती है।



कोलॉइडों के अनुप्रयोग (Applications of Colloids)

कोलॉइडों का हमारे दैनिक जीवन तथा उद्योगों में महत्व बहुत अधिक है। कोलॉइडों के प्रमुख अनुप्रयोग इस प्रकार हैं-
  1. खाद्य पदार्थों में–कोलॉइडी रूप में खाद्य पदार्थ सुगमता से पच जाते हैं। अतः अनेक खाद्य पदार्थ इसी रूप में प्रयुक्त होते हैं। उदाहरणार्थ- दूध, पनीर, अण्डे, फलों की जैली, आइसक्रीम, आदि।
  2. औषधियों में - अधिक प्रभावकारी होने के कारण अनेक औषधियाँ कोलॉइडी रूप में ही प्रयुक्त की जाती हैं।
  3. उद्योगों में - सतही क्षेत्रफल (surface area) अधिक होने के कारण कोलॉइडी विलयन उत्प्रेरक के रूप में अधिक प्रभावकारी होते हैं। अनेकों उद्योगों में इन्हें उत्प्रेरक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
  4. जल शोधन में - अशुद्ध जल में धूल तथा मिट्टी के कण मिले रहते हैं। ये अशुद्धियाँ जल में कोलॉइडी विलयन के रूप में रहती हैं। इन्हें दूर करने के लिए जल में फिटकरी मिलाते हैं। कोलॉइडी कणों का स्कंदन अर्थात् अशुद्धियों का अवक्षेपण हो जाता है जिन्हें छानकर या निथार कर दूर कर देते हैं।
  5. धुएँ में से कोयले के छोटे-छोटे कणों को दूर में - धुआँ एक कोलॉइडी विलयन है जिसमें कोयले के छोटे-छोटे कण हवा में कोलॉइडी कणों के रूप में रहते हैं। फैक्टरियों से निकलने वाला धुआँ शहर की वायु को दूषित कर देता है। धुएँ में उपस्थित कार्बन के कण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। धुएँ को हानिकारक कणों से मुक्त करने के लिए धुएँ में से कार्बन का अवक्षेपण करा दिया जाता है।
  6. कपड़ों के साफ करने में - कपड़ों को साफ करने के लिए साबुन या डिटरजेण्ट का प्रयोग किया जाता प्रयोग से कोलॉइडी विलयनों के सिद्धान्त के आधार पर कपड़ों को साफ कर लिया जाता है। है। साबुन
  7. प्रकृति में - कोलॉइडों के अनेक प्राकृतिक अनुप्रयोग भी हैं। इन अनुप्रयोगों को हम निम्न उदाहरणों द्वारा समझ सकते हैं -
  • वर्षा - बादल भी कोलॉइडी विलयन ही होते हैं जिनमें जल के आवेश युक्त कण वायु में परिक्षिप्त रहते हैं। वर्षा जल के छोटे-छोटे कणों के आपस में मिल जाने के कारण होती है। कुछ वैज्ञानिक कृत्रिम वर्षा कराने में सफल रहे हैं। वायुयान से आवेश युक्त रेत बादलों पर गिराने से जल के कोलॉइडी कण आवेश मुक्त हो जाते हैं। आवेश मुक्त हो जाने के कारण जल के छोटे-छोटे कण जो विद्युतीय प्रतिकर्षण के कारण पास-पास नहीं आ सकते थे, पास आ जाते हैं तथा वर्षा के रूप में नीचे गिरने लगते हैं।
  • आकाश का नीला रंग - आकाशीय वायुमण्डल में घूल तथा अन्य पदार्थों के कोलॉइडी कण नीले रंग को छोड़कर अन्य सभी रंगों का अवशोषण कर लेते हैं तथा नीले रंग का प्रकीर्णन करते हैं जिससे आकाश का रंग नीला प्रतीत होता है।
  • डेल्टा का निर्माण - उन स्थानों पर जहाँ नदियाँ समुद्र में जाकर मिलती हैं मिट्टी की त्रिभुजाकार भूमि का निर्माण हो जाता है जिसे डेल्टा (delta) कहते हैं। नदियों में मिट्टी व रेत के कण कोलॉइडी कणों के रूप में विद्यमान होते हैं। समुद्र के जल में नमक तथा अन्य विद्युत्-अपघट्य घुले रहते हैं। उन स्थानों पर जहाँ नदियाँ समुद्र से मिलती हैं, नदियों में उपस्थित मिट्टी व रेत के कण समुद्र में उपस्थित विद्युत्-अपघट्यों के द्वारा स्कन्दित (coagulated) हो जाते हैं तथा अवक्षेप के रूप में प्राप्त हो जाते हैं। इस प्रकार नदियों व समुद्रों के मिलने के स्थानों पर डेल्टाओं का निर्माण हो जाता है।
  • रूधिर (Blood) - रूधिर भी जल में हीमोग्लोबिन तथा कुछ अन्य पदार्थों का कोलॉइडी विलयन होता है। इसमें उपस्थित कोलॉइडी कण ऋणावेशित होते हैं। शरीर में किसी स्थान पर चोट लग जाने पर जब खून बहने लगता है तो उस स्थान पर फेरिक क्लोराइड या फिटकरी लगाने से खून का बहना रोका जा सकता है। फेरिक क्लोराइड में फेरिक आयन (Fe³+ ) तथा फिटकरी में ऐलुमिनियम आयन (Al³+) होते हैं। ये धनायन रूधिर के ऋणात्मक कोलॉइडी कणों का स्कन्दन कर देते हैं। स्कन्दन के फलस्वरूप खून का बहना रूक जाता है। अधिक चोट लग जाने पर खून के बहने के रोकने की यह विधि प्रभावी नहीं होती है।



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