कोलाइडी अवस्था क्या है?: परिभाषा, प्रकार, वर्गीकरण, प्रावस्था|hindi


कोलाइडी अवस्था क्या है?: परिभाषा, प्रकार, वर्गीकरण, प्रावस्था
कोलाइडी अवस्था क्या है?: परिभाषा, प्रकार, वर्गीकरण, प्रावस्था|hindi

पदार्थों की एक विशेष अवस्था को कोलॉइडी अवस्था (colloidal state) कहते हैं। पदार्थों की यह अवस्था उनके कणों के आकार पर निर्भर करती है। जब किसी पदार्थ के कणों का आकार 10-⁴ से 10-⁷ से०मी० के क्षेत्र में होता है तथा पदार्थ के कण किसी माध्यम में परिक्षिप्त (वितरित, dispersed) होते हैं तो पदार्थ की इस अवस्था को कोलॉइडी अवस्था कहते हैं।

स्पष्ट है कि कोलॉइड कोई पदार्थ नहीं है वरन् किसी पदार्थ की एक विशेष अवस्था है जिसे कोलॉइडी अवस्था कहते हैं। अत: 'कोलॉइड' तथा 'कोलॉइडी पदार्थ' शब्दों के स्थान पर 'कोलॉइडी अवस्था' शब्द का प्रयोग अधिक उपयुक्त है।

किसी विलायक में किसी दूसरे पदार्थ के कणों को वितरित करने पर तीन प्रकार के तन्त्र (निकाय, systems) प्राप्त होते हैं-
  1. वास्तविक विलयन 
  2. निलम्बन 
  3. कोलॉइडी निकाय 
  1. वास्तविक विलयन (True Solution) - यह एक समांगी मिश्रण (homogeneous mixture) होता है। इसमें विलेय तथा विलायक के कणों का आकार (व्यास) लगभग बराबर होता है तथा लगभग 10-⁸ से०मी० की श्रेणी में होता है। इन्हें शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी से भी नहीं देखा जा सकता है। उदाहरणार्थ-नमक का जल में विलयन एक वास्तविक विलयन है।
  2. निलम्बन (Suspension) - यह एक विषमांगी मिश्रण (heterogeneous mixture) होता है। इसमें विलायक के कणों का आकार 10-⁸ से०मी० की श्रेणी में तथा निलम्बित पदार्थ के कणों का आकार 10-³ से 10-⁴ से०मी० के क्षेत्र में होता है। निलम्बित पदार्थ के कणों को नग्न आँखों से भी देखा जा सकता है। उदाहरणार्थ-मिट्टी अथवा बालू के कणों को जल में डाल कर हिलाने पर इन पदार्थों के जल में निलम्बन प्राप्त हो जाते हैं।
  3. कोलॉइडी निकाय (Colloidal System) - कोलॉइडी निकाय को कोलॉइडी विलयन भी कहते हैं। यह एक विषमांगी मिश्रण होता है। इसमें विलायक के कणों का आकार 10-⁸ से०मी० की श्रेणी में तथा दूसरे पदार्थ के कणों का आकार 10-⁴ से 10-⁷ से०मी० के क्षेत्र में होता है। दूसरे पदार्थ के कणों को नग्न आँखों या साधारण सूक्ष्मदर्शी की सहायता से नहीं देखा जा सकता है लेकिन शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी (ultra-microscope) की सहायता से देखा जा सकता है। उदाहरणार्थ – गोंद, स्टार्च तथा जिलेटिन को जल में घोलने पर इनके कोलॉइडी विलयन प्राप्त हो जाते हैं।

स्पष्ट है कि कोलॉइडी विलयन के कणों का आकार वास्तविक विलयन तथा निलम्बन के कणों के आकार के मध्य होता है। वास्तविक विलयन, कोलॉइडी विलयन तथा निलम्बन के कणों के आकार के अन्तर को नीचे चित्र में प्रदर्शित किया गया है-
कोलाइडी अवस्था क्या है?: परिभाषा, प्रकार, वर्गीकरण, प्रावस्था|hindi


परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेषण माध्यम - सन् 1903 में जिगमाण्डी नामक वैज्ञानिक ने शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी (ultra microscope) द्वारा कोलॉइडी विलयनों का निरीक्षण किया तथा यह पाया कि इन विलयनों में दो प्रावस्थायें (phases) होती हैं। इनमें से एक सतत प्रावस्था (continuous phase) होती है जिसमें दूसरे पदार्थ के कण परिक्षिप्त (वितरित, dispersed) रहते हैं। सतत् प्रावस्था को परिक्षेपण माध्यम (dispersion medium) तथा दूसरी प्रावस्था को परिक्षिप्त प्रावस्था (dispersed phase) कहते हैं। उदाहरणार्थ-जिलेटिन को जल में घोलने पर जिलेटिन का कोलॉइडी विलयन प्राप्त होता है। इस विलयन में जल एक सतत प्रावस्था के रूप में होता है तथा उसमें जिलेटिन के कण परिक्षिप्त रहते हैं। इस विलयन में जल परिक्षेपण माध्यम तथा जिलेटिन परिक्षिप्त प्रावस्था के रूप में रहते हैं।


कोलॉइडी विलयनों का वर्गीकरण (Classification of Colloidal Solutions)

कोलॉइडी विलयन में दो प्रावस्थायें होती हैं-
  1. परिक्षेपण माध्यम
  2. परिक्षिप्त प्रावस्था

यह आवश्यक नहीं है कि परिक्षेपण माध्यम सदैव द्रव हो तथा परिक्षिप्त प्रावस्था सदैव ठोस हो। ये प्रावस्थायें ठोस, द्रव तथा गैस में से किसी भी भौतिक अवस्था में हो सकती हैं परन्तु किसी भी गैस को किसी दूसरी गैस में परिक्षिप्त करने पर सदैव वास्तविक विलयन प्राप्त होता है। इस आधार पर कुल आठ प्रकार के कोलॉइडी विलयन होते हैं।
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द्रव में ठोस के कोलॉइडी विलयन को सॉल (sol) कहते हैं। इस प्रकार के कोलॉइडी विलयनों के नाम परिक्षेपण माध्यम के नाम पर आधारित होते हैं। उदाहरणार्थ- यदि परिक्षेपण माध्यम जल, ऐल्कोहॉल या बेंजीन है तो कोलॉइडी विलयन को क्रमश: हाइड्रोसॉल (hydrosol), ऐल्कोसॉल (alcosol) या बेन्जोसॉल (benzosol) कहते हैं। 



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