विज्ञान (SCIENCE) क्या है?: परिभाषा, विज्ञान का युग, विधि|hindi


विज्ञान (SCIENCE) क्या है?: परिभाषा, विज्ञान का युग, विधि
विज्ञान (SCIENCE) क्या है?: परिभाषा, विज्ञान का युग, विधि|hindi

सामान्यतः विज्ञान (L. scire = to know, या scientia= knowledge) शब्द का प्रयोग प्रत्येक "सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध ज्ञान या अनुभव (systematized and organized body of knowledge or experience)" के लिए किया जाता है। इसे हम प्रकृति विज्ञान (Natural or Basic Science) तथा सामाजिक विज्ञान (Social Science) में बाँट सकते हैं। प्रकृति विज्ञान में विश्व के सभी पदार्थ (matter) और विश्व में होने वाली प्रक्रियाओं में ऊर्जा (energy) की सभी अभिव्यक्तिओं (expressions) का विविध पहलुओं से अध्ययन किया जाता है। इसकी परिभाषा (definition) में ऐसा सुव्यवस्थित (well organized) ज्ञान या अनुभव आता है जो प्रयोगात्मक प्रेक्षणों (experimental observations) पर आधारित अन्वेषणों (researches = inquiry and investigations) के फलस्वरूप प्राप्त होता है।

"प्रकृति विज्ञान" की दो प्रमुख शाखाएँ हैं—भौतिक विज्ञान (Physical Sciences) एवं जीव विज्ञान (Life or Biological Sciences)

भौतिक विज्ञान में प्रकृति के पदार्थ एवं ऊर्जा की अभिव्यक्तिओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें भौतिकी (Physics), रसायन शास्त्र (Chemistry), भूगर्भ विज्ञान (Geology), खगोल विज्ञान (Astronomy), मौसम विज्ञान (Meteorology), खनिज विज्ञान (Mineralogy) आदि विषय आते हैं। जीव विज्ञान (Biology) के अन्तर्गत जीवधारियों के पदार्थ मतलब कि सजीव पदार्थ (living matter) और जीवों की जैव-क्रियाओं का अध्ययन होता है।

प्रकृति विज्ञान के विपरीत, सामाजिक विज्ञान में मनुष्य के अलग-अलग सामाजिक क्रियाकलापों का अध्ययन किया जाता है जो कि परम्पराओं (traditions) तथा तर्कसंगत विवेचनों (reasonings) पर आधारित होते हैं। इसमें समाज शास्त्र (Sociology), राजनीति शास्त्र (Political Science), नागरिक शास्त्र (Civics), अर्थशास्त्र (Economics), आदि विषय आते हैं।
गणित (Mathematics) एवं सांख्यिकी (Statistics) के विषय "अमूर्त विज्ञान (Abstract Sciences)" के अन्तर्गत आते हैं, क्योंकि इनके अन्तर्गत परिमाणों (magnitudes) और संख्याओं (numbers) के अमूर्त सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।

विज्ञान का युग (Age of Science)
वर्तमान सदी जो साइकिल, मोटर, रेल, हवाई जहाज, रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन, सिनेमा, बिजली, टेरीलीन, परमाणु ऊर्जा, अन्तरिक्ष यान, कम्प्यूटर, रोबॉट (यन्त्र मानव) आदि उपकरणों से भरपूर है इस ही "विज्ञान का युग" है। प्रकृति के तथ्यों अर्थात् “विज्ञान" से अनजान होकर आदिमानव अन्धविश्वासी होता था। वह वर्षा को देवताओं के आँसू, आँधी-तूफान को देवताओं का कोप, बादलों की गड़गड़ाहट को देवताओं के युद्ध की ध्वनि तथा शिशु के जन्म या पौधों की वृद्धि को ईश्वरीय देन मानता था। जीवित रहने के लिए उसे प्राकृतिक आपदाओं से संघर्ष करना पड़ता था। अतः मानव ने प्रकृति के रहस्यों को जानने का प्रयास किया, जिसके बाद "विज्ञान" का उदय हुआ और इसी के साथ उदय हुआ मानव-संस्कृति, मानव सभ्यता एवं समाज व्यवस्था का।

वर्तमान समय में तो "विज्ञान" का मानव जीवन से इतना गहरा सम्बन्ध हो गया है कि हमारी पूरी जीवनचर्या (खान-पान, पहनावे, मनोरंजन, आराम, व्यवसाय, स्थान परिवर्तन, पर्यटन, खेल-कूद, ज्ञानोपार्जन, बौद्धिक विकास, जनन आदि) में ही इसका समावेश है। इसीलिए, वर्तमान काल "विज्ञान का युग" है। इसमें किसी देश या समाज की उन्नति उसकी वैज्ञानिक प्रगति पर ही निर्भर करती है। अतः अब भारत जैसे प्रगतिशील देश के प्रत्येक नागरिक के लिए "विज्ञान" का कुछ-न-कुछ ज्ञान तो आवश्यक है ही।

विज्ञान की विधि (Method of Science)
प्रकृति विज्ञान के अंतर्गत प्रकृति के विविध पहलुओं का, इसमें उपस्थित पदार्थों एवं वस्तुओं का तथा इसमें होती रहने वाली विविध प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। सरल भाषा में कहें तो प्रकृति विज्ञान के अंतर्गत समस्त प्राकृतिक तथ्यों (Natural facts) का अध्ययन किया जाता है। ये तथ्य वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा प्रमाणित होते हैं। कोई भी वैज्ञानिक आवश्यक सामग्री एवं परिस्थितियाँ जुटाकर स्वयं इनकी जाँच कर सकता है। प्रयोगों एवं प्रेक्षणों (experiments and observations) द्वारा सुव्यवस्थित ढंग से प्राकृतिक तथ्यों का ज्ञान प्राप्त करने की विधि "विज्ञान की विधि (method of science)" कहलाती है।

इसे हम पाँच, क्रमबद्ध चरणों में बाँट सकते हैं-
  1. अवलोकन या प्रेक्षण (Observation) : प्रत्येक प्राकृतिक तथ्य पहले प्रकृति में दिखने वाली किसी अनजान वस्तु या इसमें होने वाली किसी अनजान प्रक्रिया के रूप में वैज्ञानिकों के सामने आता है।
  2. समस्या की परिभाषा (Defining the Problem) : उस अनजान वस्तु या प्रक्रिया की जरूरत के हिसाब से, तर्कसंगत Discussion करके इससे सम्बन्धित प्राकृतिक तथ्य को खोज निकालने के लिए वैज्ञानिक आवश्यक प्रयोग की एक रूपरेखा बनाता है।  ऐसी विवेचना में वैज्ञानिक अनजान वस्तु या प्रक्रिया के सम्बन्ध में ऐसे प्रश्नों के उत्तर ढूँढने का प्रयास करता है जैसे कि यह वस्तु या प्रक्रिया क्या है, कैसे है और क्यों है।
  3. परिकल्पना (Hypothesis) : अपनी Discussion के आधार पर वैज्ञानिक अनजान वस्तु या उस प्रक्रिया के सम्बन्ध में अपनी एक अन्तरिम या प्रारम्भिक (tentative) धारणा या परिकल्पना बनाता है।
  4. प्रयोग (Experimentation): फिर वैज्ञानिक, प्रयोगशाला में या उसके बाहर, उपयुक्त प्रयोगों के द्वारा उस अनजान वस्तु या प्रक्रिया के सम्बन्ध में अपनी परिकल्पना या अपनी दी हुई Hypothesis की जाँच करता है।
  5. सिद्धान्त या मत (Theory) : आवश्यक प्रयोगों द्वारा बार-बार अपनी परिकल्पना की जाँच करके और आवश्यक हुआ तो इसमें जरूरी फेर-बदल करके, वैज्ञानिक सम्बन्धित तथ्य को अपने मत या सिद्धान्त के रूप में अन्य वैज्ञानिकों के सामने प्रस्तुत कर देता है।
अन्य वैज्ञानिकों द्वारा ऐसे सिद्धान्तों या मतों की पुष्टि हो जाने के बाद ये वैज्ञानिक मत या सिद्धान्त, प्राकृतिक तथ्यों (प्रकृति की वस्तुओं एवं प्रक्रियाओं) का स्पष्टीकरण करने वाले व्यापक नियम (General Principles or Laws) बन जाते हैं। प्रकृति के कुछ तथ्य ऐसे हैं जिसकी खोज वैज्ञानिक विधि के बिना ही आकस्मिक संयोग से हुई है। इसे सिरेन्डीपिटी (serendipity) कहते हैं।

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