कॉकरोच के पाचन तंत्र का सचित्र वर्णन (Digestive System of Cockroach)hindi


कॉकरोच के पाचन तंत्र का सचित्र वर्णन  (Digestive System of Cockroach)
कॉकरोच के पाचन तंत्र का सचित्र वर्णन (Digestive System of Cockroach)hindi

आहारनाल (Alimentary Canal)
कॉकरोच में मुखद्वार से गुदा तक फैली, लगभग 6-7 सेमी लम्बी, आहारनाल होती है। मुखद्वार से ठीक आगे, mouth parts से घिरी, छोटी-सी मुखाग्र गुहा (preoral cavity) होती है। हाइपोफैरिंक्स इसी में स्थित होती है। मुख के पास ही हाइपोफैरिक्स पर सहलार नली (common salivary duct) मुखाग्र गुहा में खुलती है।
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आहारनाल को तीन प्रमुख भागों में बाँट सकते हैं- 

  1. पूर्वान्त्र
  2. मध्यान्त्र
  3. पश्चान्त्र
1. पूर्वान्त्र (Foregut)
यह आहारनाल का लगभग एक-तिहाई सबसे अगला भाग होता है। इसकी उत्पत्ति भ्रूण के स्टोमोडियम (stomodaeum) से होती है। अतः इसमें भीतरी एपिथीलियम भ्रूणीय एक्टोडर्म (ectoderm) से बनी और cuticle से ढकी होती है। यह cuticle मुखद्वार पर देहभित्ति की cuticle से जुड़ी रहती है।
Foregut में चार भाग होते हैं—
  1. ग्रसनी
  2. ग्रासनली
  3. अन्नपुट या क्रॉप 
  4. पेषणी
(क) ग्रसनी या फैरिंक्स (Pharynx) : कॉकरोच का मुंह इसी में खुलता है। यह पीछे, ऑक्सिपिटल रन्ध्र के पास, ग्रासनली में खुलती है। ग्रसनी एवं ग्रासनली के बीच एक मोटी संकोचक पेशी (sphincter muscle) होती है जो मार्ग का नियन्त्रण करती है। ग्रसनी की दीवार अनेक प्रसार पेशियों (dilatory muscles) द्वारा सिर के अन्तःकंकाल (टेन्टोरियम) और सिर कोष की स्क्लीराइट्स से जुड़ी होती है।

(ख) ग्रासनली या इसोफैगस (Oesophagus): यह ग्रीवा में होती हुई वक्ष भाग में पहुँचकर चौड़ी होती जाती है और प्रोथोरैक्स के अन्तिम भाग में बड़े थैलीनुमा अन्नपुट में खुल जाती है। इसकी दीवार भीतर अत्यधिक folded होती है।


(ग) अन्नपुट (Crop) : यह बड़ा होने के कारण उदर भाग में कुछ दूर तक फैला होता है। इसकी दीवार महीन, पेशीय और भीतर folded होने के कारण लचीली होती है।

(घ) पेषणी या गिजर्ड (Proventriculus or Gizzard) : Crop पीछे की ओर अचानक सँकरा होकर छोटी, शंक्वाकार-सी थैलीनुमा पेषणी में खुल जाता है। पेषणी की दीवार मोटी एवं कठोर होती है, क्योंकि इसमें वर्तुल पेशी स्तर (circular muscle layer) बहुत मोटा होता है। इसीलिए, पेषणी कठोर गाँठ-जैसी दिखाई देती है। भीतरी संरचना में भी यह आहारनाल का सबसे जटिल भाग होता है, क्योंकि इसमें भोजन को पीसा जाता है। यह कार्य पेषणी के प्रमुख भाग में होता है जिसे शस्त्रागार (armarium) कहते हैं। 
कॉकरोच के पाचन तंत्र का सचित्र वर्णन (Digestive System of Cockroach)hindi

इसकी दीवार पर अंदर की ओर बहुत मोटी cuticle का स्तर होता है और पूर्ण दीवार छः अनुलम्ब folds में उठी होती है। armarium के अधिकांश अग्र भाग में प्रत्येक fold के स्वतन्त्र किनारे पर उपचर्म (cuticle) अत्यधिक मोटी एवं नुकीली होकर एक दाँत (cuticular tooth) के जैसा काम करती है। शस्त्रागार के कीपनुमा पश्च भाग में cuticle कुछ कम मोटी होती है। फिर, सबसे पिछले भाग में folds चौड़े होकर रोम या सीटीयुक्त गद्दियाँ (cushions or pads) बना लेते हैं। इन पर की cuticle कोमल होती है। शस्त्रागार के पीछे पेषणी की दीवार, एक दोहरी भित्ति की लम्बी एवं सँकरी नाल के रूप में मध्यान्त्र (midgut) में धँस जाती है जिसे स्टोमोडियल वाल्व (stomodaeal valve) कहते हैं। अनुलम्ब folds के बीच की दरारों (clefts) में असममित-से द्वितीयक उभार (secondary folds) होते हैं। ये दाँतों द्वारा पिसे भोजन को छानने के लिए छलनी-सी (strainer) बनाते हैं।

कॉकरोच के पाचन तंत्र का सचित्र वर्णन (Digestive System of Cockroach)hindi


2. मध्यान्त्र या मीसेन्ट्रॉन (Midgut or Mesenteron)
यह आहारनाल का, लगभग एक-तिहाई, मध्य भाग होता है। यह कुछ सँकरी एवं समान मोटाई की एक कोमल नलिका के रूप में होता है।  इसके आगे का भाग, जो स्टोमोडियल वाल्व को घेरे रहता है, कार्डिया (cardia) कहलाता है।
कार्डिया के आगे वाले हिस्से से 8 पतले, लम्बे एवं नालवत्, लेकिन सिरों पर बन्द, अँगुली - समान प्रवर्ध निकले रहते हैं। इन्हें हिपैटिक सीका (hepatic caeca) कहते हैं। मध्यान्त्र की दीवार का भीतरी स्तर भ्रूणीय एन्डोडर्म (endoderm) से बनी स्तम्भी एपिथीलियम होती है। इस पर छोटे-छोटे रसांकुरों जैसे (villi-like) उभार होते हैं। इस पर उपचर्म (cuticle) का आवरण नहीं होता है, परन्तु काइटिन एवं प्रोटीन की बनी एक महीन एवं पारदर्शक परिपोष या पेरीट्रॉफिक झिल्ली (peritrophic membrane) होती है। यह झिल्ली midgut की दीवार के अग्र छोर की एपिथीलियमी कोशिकाओं के स्राव से निरन्तर बनती रहती है और पीछे, Hindgut के अग्र भाग में, टूट-टूटकर समाप्त होती रहती है। यह midgut की कोमल दीवार को भोजन कणों की रगड़ से बचाती है।
Midgut की दीवार में, एपिथीलियम से बाहर की ओर, वर्तुल एवं अनुलम्ब पेशी स्तर होते हैं। एपिथीलियमी कोशाएँ Midgut के अग्र भाग में मुख्यतः ग्रन्थिल तथा पश्च भाग में अवशोषी (absorptive) होती हैं। सीका की एपिथीलियम में भी ऐसी ही कोशिकाएँ होती हैं, परन्तु दीवार पर भीतर बहुत-से folds होते हैं।

Midgut के पश्च छोर से लगभग 60-150 महीन एवं लम्बी, पीली नलिकाएँ निकलकर देहगुहा में फैली होती हैं। इन्हें मैल्पीघी नलिकाएँ (Malpighian tubules) कहते हैं। यद्यपि ये आहारनाल में खुलती हैं, परन्तु इनका कार्य उत्सर्जन (excretion) से सम्बन्धित होता है।


3. पश्चान्त्र (Hindgut)
यह Midgut के पीछे गुदा तक फैला, आहारनाल का शेष एक-तिहाई भाग होता है। यह Midgut से कुछ मोटा होता है। इसकी उत्पत्ति भ्रूण के प्रोक्टोडियम (proctodaeum) से होती है। अतः पूर्वान्त्र की भाँति, इसकी भीतरी एपिथीलियम भी भ्रूणीय एक्टोडर्म से बनी और उपचर्म से आच्छादित होती है। Hindgut में तीन निम्नलिखित भाग होते हैं-
  • क्षुद्रान्त्र या इलियम (Ileum) : यह Midgut के ठीक पीछे छोटी-सी नलिका होती है। इसकी महीन दीवार पर भीतर भंज होते हैं। cuticle पर सूक्ष्म शूक (spines) होते हैं जो मध्यान्त्र की परिपोष झिल्ली को तोड़ने का काम करते हैं।
  • बृहदान्त्र या कोलन (Colon) : यह Hindgut का सबसे लम्बा, कुछ मोटा एवं कुण्डलित मध्य भाग होता है। इसकी दीवार पर भी भीतर भंज होते हैं, परन्तु cuticle पर spines नहीं होते हैं।
  • मलाशय (Rectum): यह आहारनाल का अन्तिम, छोटा एवं चौड़ा, कक्षनुमा भाग होता है जो गुदा (anus) से बाहर खुलता है। इसकी दीवार पर भीतर छः अनुलम्ब भंज होते हैं जिन्हें रेक्टल पैपिली (rectal papillae) कहते हैं। पैपिली पर एपिथीलियम मोटी, परन्तु cuticle महीन होती है। सम्भवतः मल से जल सोखने के लिए ऐसा होता है।

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