फिटकरी (Alum) : निर्माण विधि, सामान्य गुणधर्म तथा उपयोग|hindi


फिटकरी (Alum) 

फिटकरी (Alum) : निर्माण विधि, सामान्य गुणधर्म तथा उपयोग|hindi

रासायनिक नाम - पोटेशियम ऐलुमिनियम सल्फेट
अणु सूत्र - K2SO4 . Al2 (SO4 )3 . 24H2O

इसे साधारण फिटकरी या पोटाश ऐलम भी कहते हैं।

बनाने की विधियाँ
1. पोटैशियम सल्फेट तथा ऐलुमिनियम सल्फेट के गर्म विलयनों को सम-अणुक भार के अनुपात (equimolar Troportion by weight) में मिलाकर ठंडा करने पर साधारण फिटकरी के क्रिस्टल बन जाते हैं।

K2SO4 + Al2(SO4)3 + 24H2O K2SO4. Al2(SO4)3. 24H2O

2. बॉक्साइट (Bauxite) विधि - औद्यागिक निर्माण (Industrial preparation)- बॉक्साइट (Al2O3.2H2O) को सान्द्र H2SO4 में मिलाकर गर्म करते हैं तथा घोल को छान कर उसमें पोटैशियम सल्फेट की उचित मात्रा मिलाते हैं। ठण्डा करने पर फिटकरी के क्रिस्टल प्राप्त हो जाते हैं।
Al2O3 + 3H2SO4 3H2O + Al2(SO4)3

Al2(SO4 )3 + K2SO4 + 24H2O K2SO4. Al2(SO4)3. 24H2O


3. ऐलुनाइट (Alunite) विधि - औद्योगिक निर्माण - ऐलुनाइट या एलम स्टोन का रासायनिक सूत्र K2SO4. Al2(SO4)3.4AI(OH)3 है। इसे सान्द्र H2SO4 में मिला कर गर्म करते हैं तथा घोल को छान कर उसमें पोटैशियम सल्फेट की उचित मात्रा मिलाते हैं। ठण्डा करने पर फिटकरी के क्रिस्टल प्राप्त हो जाते हैं।
K2SO4 .Al2(SO4)3 .4AI(OH)3 + 6H2SO4 K2SO4 + 3Al2(SO4)3 + 12H2O

K2SO4 + Al2(SO4)3 + 24H2O K2SO4. Al2(SO4)3.24H2O



भौतिक गुण (Physical Properties)

यह सफेद क्रिस्टलीय पदार्थ है। यह पानी में विलेय है तथा ऐल्कोहॉल में अविलेय है। फिटकरी का पानी में घोल अम्लीय होता है।


रासायनिक गुण (Chemical Properties)


1. ऊष्मा का प्रभाव - 92°C तक गर्म करने पर यह पिघलती है तथा क्रिस्टलन जल (water of crystallisation) निकल जाता है तथा सूखा पदार्थ बचा रहता है जिसे जली फिटकरी (burnt alum) कहते हैं।
K2SO4.Al2(SO4)3. 24H2O Al2O3 + K2O + 4SO3 + 24H2O


2. जल का प्रभाव - जल में घुल कर यह आयनिक सिद्धान्त के अनुसार अपने आयनों में वियोजित हो जाती है। विलयन के गुण उसमें उपस्थित आयनों के गुणों पर ही निर्भर करते हैं।
K2SO4.Al2 (SO4)3 + 24H2O → K2SO4 + Al2(SO4)3 + 24H2O

K2SO4 2K+ ⇌ + SO4²-

Al2(SO4)3 ⇌  2Al3+ + 3SO4²-

जल की उपस्थिति में ऐलुमिनियम सल्फेट के आयनन के अतिरिक्त इसका जल अपघटन भी हो जाता है
Al2 (SO4)3 + 6H2O ⇌ 2Al(OH)3 + 3H2SO4


ऐलुमिनियम सल्फेट के जल - अपघटन के कारण Al(OH)3 तथा H2SO4 बनते हैं जो क्रमश: दुर्बल क्षार तथा प्रबल अम्ल हैं। अतः फिटकरी का जलीय विलयन अम्लीय होता है।


3. क्षारों का प्रभाव - फिटकरी के विलयन में NaOH विलयन मिलाने पर ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड का सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है, जो NaOH की अधिकता में घुल जाता है।
K2SO4 .Al2(SO4)3.24H2O K2SO4 + Al2 (SO4)3 + 24H2O

Al2(SO4)3 + 6NaOH 2Al(OH)3 + 3Na2 SO4

Al(OH)3 + NaOH → NaAlO2 + 2H2O


इसी प्रकार फिटकरी के विलयन में KOH विलयन मिलाने पर भी ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड का सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है, जो KOH की अधिकता में पोटैशियम मेटा-ऐलुमिनेट (KAIO2) बनने के कारण घुल जाता है।


फिटकरी NH4OH के साथ भी एक सफेद अवक्षेप ही देती है। इस सफेद अवक्षेप को फिल्टरित करके तथा पृथक करके H2SO4 में घोलने पर Al2(SO4)3 प्राप्त होता है तथा गर्म करने पर ऐलुमिना प्राप्त होता है।

    K2SO4 .Al2 (SO4)3.24H2O K2SO4 + Al2 (SO4)3 +24H2O

          Al2(SO4)3 + 6NH4OH 2AI(OH) + 3(NH4)2SO4

               2AI(OH)3 + 3H2SO4 Al2(SO4)3 + 6H2O

                                      गर्म करने पर
                            2Al(OH)3    Al2O3 + 3H2O



उपयोग (Uses)
  1. फिटकरी की स्कन्दन शक्ति (coagulating power) अधिक होती है। यह कोलॉइडी विलयनों का अवक्षेपण कर देती है। फिटकरी के इस गुण का उपयोग बहते हुए खून (blood) को रोकने में किया जाता है। यह खून का अवक्षेपण करके उसे बहने से रोकती है।
  2. फिटकरी की स्कन्दन शक्ति का उपयोग जल को शुद्ध करने में भी किया जाता है। यह जल में उपस्थित कोलॉइडी अपद्रव्यों का अवक्षेपण कर देती है जिन्हें छान कर पृथक किया जा सकता है।
  3. कैलिको-छपाई (calico-printing) में काम आती है।
  4. चमड़ा रंगने में तथा कागज के कारखानों में उपयोग की जाती है।
  5. आग बुझाने में तथा कपड़ों की रंगाई में रंग-बंधक (mordant) के रूप में काम आती है।

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