फल की परिभाषा (Definition of Fruit), स्फुटन की विधि|hindi


फल की परिभाषा (Definition of Fruit), स्फुटन की विधि
फल की परिभाषा (Definition of Fruit), स्फुटन की विधि|hindi

फल परिपक्व अण्डाशय (ovary) को कहते हैं। निषेचन (fertilization) का अण्डाशय पर दोहरा प्रभाव (double effect) पड़ता है। युग्मक-संलयन (syngamy) के फलस्वरूप बीजाण्ड (ovule) बीज में परिवर्तित हो जाता है। साथ ही अंकुरित परागकणों (pollen grains) की नलिका के कारण अण्डाशय की भित्ति में कुछ परिवर्तन होते हैं जिससे वृद्धि नियामक हॉरमोन (growth hormones) बहुत अधिक मात्रा में संश्लेषित होने लगते हैं जिस कारण अण्डाशय की physiology में परिवर्तन हो जाता है जिससे अण्डाशय में प्रायः गूदेदार मृदूतक (succulent parenchyma) बहुत अधिक विकसित हो जाता है। इन मृदूतक कोशाओं में बहुत से अम्ल, शर्करा तथा कुछ दूसरे स्वादिष्ट पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं और अण्डाशय की भित्ति पककर फलभित्ति (pericarp) के रूप में बदल जाती है। pericarp पतली या मोटी हो सकती है। मोटी pericarp में प्रायः तीन स्तर होते हैं। बाहरी स्तर को बाह्य फलभित्ति (epicarp), मध्य स्तर को मध्य फलभित्ति (mesocarp) और सबसे अन्दर के स्तर को अन्तः फलभित्ति (endocarp) कहते हैं।

यदि फल के बनने में पुष्प का केवल अण्डाशय (ovary) ही भाग लेता है तो उस फल को सत्य फल (true fruit) कहते हैं, जैसे मटर (Pea) तथा आम (Mango), आदि। परन्तु कभी-कभी फल के बनने में अण्डाशय के अतिरिक्त पुष्प के अन्य भाग, जैसे पुष्पासन (thalamus), बाह्यदल (sepals), इत्यादि भी भाग लेते हैं, ऐसे फलों को कूट फल (false fruit) कहते हैं, जैसे सेब (Apple) व नाशपाती (Pear) में फल के बनने में पुष्पासन (thalamus) भाग लेता है।

फल पौधों के लिए लाभदायक है, क्योंकि यह तरुण बीजों की रक्षा करता है और बीजों के प्रकीर्णन (dispersal) में सहायता करता है।

अनिषेकफलन (Parthenocarpy): कभी-कभी पौधों में निषेचन (fertilization) क्रिया न होने पर भी अण्डाशय फल में बदल जाता है, ऐसे फलों को अनिषेकफलनी फल (parthenocarpic fruits) तथा इस क्रिया को अनिषेकफलन (parthenocarpy) कहते हैं। ये फल प्रायः बीजरहित (seedless) होते हैं, यदि बीज होते भी हैं तो उनमें अंकुरण की क्षमता नहीं होती (non-viable) है। केला (Banana), अमरूद (Guava), अंगूर (Grape), सन्तरा (Orange), आदि अनिषेकफलन के प्रमुख उदाहरण हैं। आजकल ऑक्सिन व जिबरेलिन की उचित सान्द्रता के विलयन को पुष्पों के ऊपर छिड़कने से बीजरहित (seedless) फल प्राप्त किये जाते हैं।



फलों का स्फुटन (Dehhiscence of Fruits)
कुछ फल अस्फोटक (indehiscent) होते हैं तथा कुछ फल स्फोटक (dehiscent) होते हैं। स्फोटक फल (dehiscent fruit) निम्नलिखित विधियों द्वारा स्फुटित होते हैं और अपने बीजों का प्रकीर्णन (dispersal) करते हैं—
  1. सीवनी स्फुटन (Sutural dehiscence)
  2. छिद्रित स्फुटन (Porous dehiscence)
  3. अनुप्रस्थ स्फुटन (Transverse dehiscence)
  4. कोष्ठ-विदारक स्फुटन (Loculicidal dehiscence)
  5. पट-विदारक स्फुटन (Septicidal dehiscence)
  6. पट-भंजक स्फुटन (Septifragal dehiscence)

(1) सीवनी स्फुटन (Sutural dehiscence): ये फल एक सीवन से, उदाहरण–फॉलिकिल (follicle) [मदार (Calotropis procera = Madar)] अथवा दो सीवन से फटते हैं, उदाहरण-फली (legume or pod) [मटर (Pea), सेम (Bean)] तथा बीज फलभित्ति से बाहर आ जाते हैं।

(2) छिद्रित स्फुटन (Porous dehiscence) : इस प्रकार का स्फुटन अधिकतर सम्पुट अर्थात् कैप्सूल (capsule) फलों में होता है। इस स्फुटन में फल के ऊपरी सिरे पर छिद्र हो जाते हैं, जिनमें से होकर बीज बाहर आकर वायु द्वारा प्रकीर्णित होते रहते हैं, उदाहरण-पोस्त (Papaver somniferum = Opium poppy), आदि।

(3) अनुप्रस्थ स्फुटन (Transverse dehiscence): इस प्रकार का स्फुटन भी अधिकतर सम्पुट अर्थात् कैप्सूल (capsule) फलों में ही होता है। इस प्रकार के स्फुटन में pericarp अनुप्रस्थ तल में स्फुटित होकर दो भागों में विभाजित हो जाती है। ऊपर का भाग टोपी के रूप में वायु द्वारा उड़ जाता है और नीचे के भाग में रखे हुए बीज वायु द्वारा प्रकीर्णित हो जाते हैं, उदाहरण–जटाधारी (Celosia = Cock's comb), यूकेलिप्टस (Eucalyptus), आदि।

(4) कोष्ठ-विदारक स्फुटन (Loculicidal dehiscence) : इस प्रकार के स्फुटन में pericarp कोष्ठकों (locules) के मध्य से फटती है तथा बीजाण्डासन (placenta) भी विभाजित हो जाता है। इसमें कपाटों (valves) की संख्या कोष्ठकों (locules) की संख्या के बराबर होती है, उदाहरण—कपास (Gossypium species = Cotton), भिण्डी (Abelmoschus esculentus = Lady's finger), आदि।

फल की परिभाषा (Definition of Fruit), स्फुटन की विधि|hindi


(5) पट-विदारक स्फुटन (Septicidal dehiscence) : इस प्रकार के स्फुटन में पट (septa) फटकर वेश्म अलग हो जाते हैं तथा फलावरण कपाटों (valves) के रूप में पृथक् हो जाते हैं, उदाहरण—अलसी (Linseed = Flax), सरसों (Mustard), अरण्डी (Castor), आदि।

(6) पट-भंजक स्फुटन (Septifragal dehiscence) : इस प्रकार के स्फुटन में बीजाण्डासन (placenta) विभाजित फल के केन्द्र में लगा रह जाता है तथा pericarp के फलांशुक (mericarp) अलग हो जाते हैं। इस प्रकार, यह वास्तव में पट विदारक (septicidal) तथा कोष्ठ-विदारक (loculicidal) स्फुटन का ही रूपान्तरण है, उदाहरण-धतूरा (Datura alba = Datura), तून (Cedrela toona = Tun), आदि। 

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