गूदेदार या मांसल फल (Succulent or Fleshy Fruits)
इन फलों में फलभित्ति (pericarp), बाह्य फलभित्ति (epicarp), मध्य फलभित्ति (mesocarp) और अन्तः फलभित्ति (endocarp) में विभेदित हो जाती है तथा मध्य फलभित्ति (mesocarp) प्रायः सरस, गूदेदार (succulent) अथवा रेशेदार (fibrous) होती है। ये फल अस्फोटक (indehiscent) होते हैं जिस कारण बीज गूदा सड़ने के बाद ही अलग होते हैं।
गूदेदार या मांसल फल निम्नलिखित सात वर्गों में विभाजित किये गये हैं-
- अष्ठिफल (Drupe)
- सरस फल या बेरी (Berry or Bacca)
- पीपो (Pepo)
- हेस्पिरीडियम (Hesperidium)
- बालोस्टा (Balausta)
- एम्फीसारका (Amphisarca)
(I) अष्ठिफल (Drupe) : ये फल गूदेदार होते हैं जो एकाण्डपी अथवा बहुअण्डपी (mono or multicarpellary), syncarpous, superior ovary से विकसित होते हैं। ये फल एककोष्ठीय या बहुकोष्ठीय (unilocular or multilocular) तथा प्रायः one seeded, परन्तु कभी-कभी बहुबीजी (many seeded) होते हैं। इनकी बाह्य फलभित्ति (epicarp) फल का छिलका (rind) बनाती है तथा मध्य फलभित्ति (mesocarp) गूदेदार (succulent) अथवा रेशेदार (fibrous) तथा अन्तः फलभित्ति (endocarp) कठोर व काष्ठीय (hard and woody) होती है। बीज कठोर endocarp से घिरा रहता है, उदाहरण नारियल (Coconut), आम (Mango), आडू (Peach), चेरी (Cherry), अखरोट (Walnut), बेर (Indian jujube = Plum), बादाम (Almond), आदि।
इन फलों में बीज पहले तो बीजाण्डासन (placenta) पर लगे रहते हैं, परन्तु बाद में ये बीजाण्डासन से अलग होकर फल के गूदे में फैल जाते हैं, उदाहरण–टमाटर (Tomato), पपीता, चीकू, सुपारी, केला, खजूर, अंगूर, बैंगन (Brinjal), अमरूद (Psidium guajava = Guava), सुपारी में खाने योग्य भाग भ्रूणपोष (endosperm) होता है।
(3) पीपो (Pepo) : ये फल मांसल तथा गूदेदार (fleshy and succulent) होते हैं और बहुत कुछ बेरी के समान होते हैं, परन्तु ये फल प्रायः बहुअण्डपी (multicarpellary), syncarpous, भित्तीय बीजाण्डन्यास (parietal placentation) युक्त inferior ovary से विकसित होते हैं।
ये फल unilocular होते हैं तथा फूले हुए बीजाण्डासन (placenta) के गूदे से भरे रहते हैं और बहुबीजी (many seeded) होते हैं। बाह्य फलभित्ति (epicarp) एक दृढ़ छिलका (rind) बनाती है। मध्य फलभित्ति व अन्तः फलभित्ति में विभेदन नहीं होता है। बीजाण्डासन (Placenta) शाखित होता है। बाह्य फलभित्ति को छोड़कर शेष समस्त भाग खाया जाता है।
इस प्रकार का फल कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुलों में विशेष रूप से पाया जाता है, उदाहरण - लौकी (Bottle gourd), खीरा (Cucumber), खरबूजा (Musk melon) ।
(4) हेस्पिरीडियम (Hesperidium) : ये फल बहुअण्डपी (multi carpellary), syncarpous, superior ovary से विकसित होते हैं। अण्डाशय में स्तम्भीय बीजाण्डन्यास (axileplacentation) होता है। ये बहुकोष्ठीय (multilocular) होते हैं। फल के कोष्ठक अलग फाँकों के रूप में होते हैं। बाह्य फलभित्ति (epicarp) चमड़े के समान (leathery) मोटी, फल का अध्यावरण बनाती है जिसे दृढ़ छिलका (rind) कहते हैं, इसमें अनेक तेल ग्रन्थियाँ (oil glands) होती हैं।
इस प्रकार का फल कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुलों में विशेष रूप से पाया जाता है, उदाहरण - लौकी (Bottle gourd), खीरा (Cucumber), खरबूजा (Musk melon) ।
(4) हेस्पिरीडियम (Hesperidium) : ये फल बहुअण्डपी (multi carpellary), syncarpous, superior ovary से विकसित होते हैं। अण्डाशय में स्तम्भीय बीजाण्डन्यास (axileplacentation) होता है। ये बहुकोष्ठीय (multilocular) होते हैं। फल के कोष्ठक अलग फाँकों के रूप में होते हैं। बाह्य फलभित्ति (epicarp) चमड़े के समान (leathery) मोटी, फल का अध्यावरण बनाती है जिसे दृढ़ छिलका (rind) कहते हैं, इसमें अनेक तेल ग्रन्थियाँ (oil glands) होती हैं।
मध्य फलभित्ति (mesocarp) एक सफेद रेशेदार भाग के रूप में बाह्य फलभित्ति (epicarp) से जुड़ी रहती है। अन्तः फलभित्ति (endocarp) एक झिल्ली के रूप में प्रत्येक फाँक के ऊपर रहती है। endocarp के अन्दर की सतह से अनेक एककोशीय रस भरे रोम निकले रहते हैं जो खाये जाते हैं, उदाहरण – सन्तरा (Orange), नींबू (Lemon), चकोतरा तथा मौसमी, आदि। इन फलों को सिट्रस (citrus) फल भी कहते हैं।
(5) बालोस्टा (Balausta) : यह एक बहुकोष्ठीय (multilocular) तथा बहुबीजी (many seeded) फल है। इसका विकास multicarpellary, syncarpous, inferior ovary से होता है। बीजों की बाह्यचोल (testa) लाल, सरस (juicy) व गूदेदार (succulent) और खाने योग्य (edible) होती है तथा अन्तःचोल (tegmen) सख्त होती है। फल के अन्दर अण्डपों (carpels) की एक के ऊपर एक व्यवस्थित दो पंक्तियाँ होती हैं जिन पर अभ्रूणपोषी (non-endospermic) बीज अनियमित रूप से लगे रहते हैं। इनमें फलभित्ति (pericarp) तीन स्तरों में विभाजित रहती है।
बाह्य फलभित्ति (epicarp) मोटी, चमड़े जैसी (leathery) व कठोर (hard) हो जाती है, मध्य फलभित्ति (mesocarp) पतली तथा कागज के समान होती है जो बीजों को ढके रहती है तथा अन्तः फलभित्ति (endocarp) जो कठोर (hard) होती है, कोष्ठकों के अन्दर बीजों के बीच-बीच में पटों (septa) के रूप में फैल जाती है। फल के शीर्ष पर चिरलग्न बाह्यदल-चक्र (persistent calyx) पाया जाता है, उदाहरण–अनार (Pomegranate)।
(6) एम्फीसारका (Amphisarca): यह बहुअण्डपी (multicarpellary), syncarpous, multilocular, superi or ovary से विकसित होने वाला फल है। इन फलों में बाह्य फलभित्ति (epicarp) कठोर होती है, मध्य फलभित्ति (mesocarp) एवं अन्तःफलभित्ति (endocarp) मांसल हो जाती हैं, जिनमें बहुत से बीज बिखरे रहते हैं। मध्य फलभित्ति (meso carp), अन्तःफलभित्ति (endocarp) एवं बीजाण्डासन (placenta) खाया जाता है, उदाहरण- बेल (Aegle marmelos = Bel=Wood apple)।
(7) पोम (Pome) : यह फल द्वि अथवा बहुअण्डपी (bi or multicar pellary), syncarpous, inferior ovary के चारों ओर मांसल तथा गूदेदार (fleshy and succulent) पुष्पासन (thalamus) के विकास से बनता है। इस कारण इसे कूट (false) फल भी कहते हैं। वास्तविक फल फूले हुए पुष्पासन के अन्दर होता है। अण्डाशय-भित्ति कागज के समान पतली होती है और बीज कोष्ठक के अन्दर विकसित होते हैं। इस फल में पुष्पासन का गूदेदार फूला हुआ भाग खाया जाता है, उदाहरण - सेब (Apple), नाशपाती (Pear) तथा लौकाट (Eriobo-tryajaponica = Loquat), आदि।
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