शुष्क फल (Dry fruits) किसे कहते हैं?
शुष्क फल (Dry fruits) : इन फलों में फलभित्ति (pericarp) विभिन्न स्तरों में विभेदित नहीं होती और ये गूदेदार (succulent) नहीं होते हैं।
शुष्क फल निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किये गये हैं—
- स्फोटक फल अथवा सम्पुटी फल (Dehiscent fruits or Capsular fruits) : इन फलों की फलभित्ति (pericarp) परिपक्व (mature) होने पर फट जाती है और बीज फलभित्ति (pericarp) से बाहर आ जाते हैं।
- अस्फोटक या ऐकीनियल फल (Indehiscent or Achenial fruits) : ये फल परिपक्व (mature) होने पर फटते नहीं हैं तथा बीज फलभित्ति (pericarp) के अन्दर ही रहते हैं।
- भिदुर फल (Schizocarpic or Splitting fruits) : ये फल परिपक्व (mature) होने पर, बहुत से एकबीजी फलांशुकों (mericarps) में विभक्त हो जाते हैं। फलांशुकों का निर्माण दो बीजों के बीच की फलभित्ति (pericarp) के अन्दर की ओर धँस जाने से होता है। किन्तु ये फलांशुक फिर फटते नहीं हैं। इस प्रकार, यह वर्ग स्फोटक (dehiscent) तथा अस्फोटक (indehiscent ) फलों की मध्य अवस्था है।
(अ) स्फोटक (Dehiscent) फल अथवा सम्पुटी (Capsular) फल
इन फलों में, फलों के पकने पर, फलभित्ति (pericarp) स्वयं फट जाती है। इस प्रकार के फलों को निम्नलिखित पाँच भागों में बाँटा गया है-
- फली (Legume or Pod)
- फॉलिकिल (Follicle)
- सिलिक्यूआ (Siliqua)
- सिलिक्यूला (Silicula)
- सम्पुट या कैप्सूल (Capsule)
(1) फली (Legume or Pod) : ये फल एकाण्डपी (monocarpellary), unilocular तथा superior ovary से विकसित होते हैं। अण्डाशय में सीमान्त बीजाण्डन्यास (marginal placentation) होता है और बहुत से बीजाण्ड (ovule) होते हैं। फल के पृष्ठ तल (dorsal side) तथा अधर तल (ventral side) में दोनों ओर एक-एक सीवन (suture) होती है। परिपक्व फल शिखर (apex) से आधार (base) की ओर दोनों सीवन (sutures) से फटते हैं। फली (legume or pod), कुल-फेबेसी (family-Fabaceae) अथवा पेपिलियोनेसी (Papilionaceae) का विशेष लक्षण है, उदाहरण—मटर (Pea), सेम (Bean) तथा दालें (Pulses), आदि। जब फल में केवल एक या दो बीज हों तब इसे पौड़ (pod) भी कहते हैं, उदाहरण—चना।
(2) फॉलिकिल (Follicle) : इनमें केवल एक सीवन (suture) होती है जिसे अधर सीवन (ventral suture) कहते हैं। फल इसी सीवन से फटता है। शेष सब गुणों में ये फली के समान होते हैं। ये फल प्रायः जोड़े में या दो-से-अधिक एक साथ पाये जाते हैं, उदाहरण–मदार-आक (Calotropis procera = Madar), चम्पा (Michelia champaca = Champa), पैरिविंकल (Periwinkle), आदि।
(3) सिलिक्यूआ (Siliqua) : यह एक शुष्क (dry), लम्बा (long), पतला (narrow), बहुबीजी (many seeded) तथा द्विकोष्ठीय (bilocular) फल होता है जो bicarpellary, syncarpous, superior ovary से विकसित होता है। ऐसे अण्डाशय में भित्तीय बीजाण्डन्यास (parietal placentation) होता है। आरम्भ में अण्डाशय एककोष्ठीय (unilocular) होता है, परन्तु बाद में कूट पट (false septum) बन जाने के कारण द्विकोष्ठीय (bilocular) हो जाता है।
प्रत्येक कोष्ठक में बहुत से बीज पाये जाते हैं। परिपक्व (mature) होने पर फलभित्ति (pericarp) दो कपाटों (valves) के रूप में फट जाती है। स्फुटन नीचे से प्रारम्भ होकर ऊपर की ओर बढ़ता है। मध्य में भित्तीय बीजाण्डन्यास (parietal placentation) के ढाँचे पर कूट पट (false septum) तना हुआ (tensile) रह जाता है जो रेप्लम (replum) कहलाता है।
रेप्लम पर बीज लगे रहते हैं। भित्तीय बीजाण्डन्यास से बीज पृथक् होकर वायु द्वारा प्रकीर्णित होते रहते हैं। इस प्रकार का फल कुल क्रुसीफेरी (family-Cruciferae) का विशिष्ट गुण है, उदाहरण—सरसों (Mustard)।
(4) सिलिक्यूला (Silicula): यह फल पूर्णतः सिलिक्यूआ (siliqua) के समान होता है, परन्तु आकार में लम्बा व पतला न होकर चौड़ा और चपटा (broad and flat) होता है, उदाहरण-कैप्सेला (Capsella=Shepherd's purse)।
(5) सम्पुट या कैप्सूल (Capsule) : ये फल बहुअण्डपी (multicarpellary), syncarpous, superior ovary तथा कभी-कभी अधोवर्ती अण्डाशय (inferior ovary) से विकसित होते हैं। अण्डाशय में स्तम्भीय बीजाण्डन्यास (axile placentation) होता है। ये फल बहुकोष्ठीय (multilocular) तथा बहुबीजी (many seeded) होते हैं और विभिन्न विधियों द्वारा स्फुटित होते हैं, उदाहरण-पोस्त (Papaver somniferum = Opium poppy), कपास (Gossypium species = Cotton), कटेली (Argemone), धतूरा (Datura alba = Datura), भिण्डी (Lady's finger)।
(ब) अस्फोटक या ऐकीनियल (Indehiscent or Achenial) फल
इस प्रकार के फलों को निम्नलिखित पाँच भागों में बाँटा गया है—
- ऐकीन (Achene)
- कैरिऑप्सिस (Caryopsis)
- सिप्सेला (Cypsela)
- नट (Nut)
- समारा (Samara)
(1) ऐकीन (Achene) : ये फल एकाण्डपी (monocarpellary), superior ovary से विकसित होते हैं। ये फल एककोष्ठीय (unilocular) तथा एकबीजी (one seeded) होते हैं। इनमें फलभित्ति (pericarp) बीजावरण (seed coat) से अलग होती है। अधिकतर ऐकीन, पुंज (etaerio) के रूप में पाये जाते हैं, क्योंकि ये सामान्यतः बहुअण्डपी (multicarpellary), वियुक्ताण्डपी (apocarpous) दशा से विकसित होते हैं, उदाहरण - क्लीमेटिस (Clematis), नारवेलिया (Narvelia)।
(2) कैरिऑप्सिस (Caryopsis) : ये फल एकाण्डपी (monocarpellary), ऊर्ध्व अण्डाशय (superior ovary) से विकसित होते हैं। ये एककोष्ठीय (unilocular) तथा एकबीजी (one seeded) होते हैं। इनकी फलभित्ति (pericarp) बीजावरण (seed coat) से सायुज्यित (fused) रहती है। ये फल कुल-ग्रैमिनी (family-Gramineae) के पौधों में पाये जाते हैं, उदाहरण— गेहूँ (Wheat), चावल (Rice), मक्का (Maize)। अतः गेहूँ, चावल व मक्का के दाने बीज न होकर वास्तव में फल हैं।
(3) सिप्सेला (Cypsela) : ये फल द्विअण्डपी (bicarpe llary), युक्ताण्डपी (syncarpous), अधोवर्ती अण्डाशय (inferior ovary) से विकसित होते हैं। ये एककोष्ठीय (unilocular) तथा एकबीजी (one seeded) होते हैं। इनकी फलभित्ति (pericarp), बीजावरण (seed coat) से अलग रहती है। इन फलों में रोमिल बाह्यदल-चक्र (hairy calyx) फल से लगा रहता है जिसे पेपस (pappus) कहते हैं।
यह फलों के वायु द्वारा प्रकीर्णन में पैराशूट (parachute) प्रक्रिया द्वारा सहायक होता है। यह फल कुल-कम्पोजिटी (family-Compositae) के पौधों में पाया जाता है, उदाहरण- सूरजमुखी (Sunflower), गेंदा ( Tagetes patula = Marigold), कॉस्मोस (Cosmos), डैण्डीलियोन (Taraxacum)।
(4) नट (Nut) : यह फल भी एककोष्ठीय (unilocular) तथा एकबीजी (one seeded) होते हैं और द्वि या बहुअण्डपी (bi or multicarpellary), युक्ताण्डपी (syncarpous), ऊर्ध्व अण्डाशय (superior ovary) से विकसित होते हैं। इनमें फलभित्ति (pericarp) कठोर और काष्ठीय (hard and woody) हो जाती है, उदाहरण—लीची (Litchi chinensis = Litchi), काजू (Anacardium occidentale = Cashew nut), आक (Oak), सिंघाड़ा (Trapa bispinosa = Water chestnut)।
सिंघाड़ा में फल के साथ लगे काँटे, बाह्यदलों (sepals) का रूपान्तरण है, लीची में बीजाण्डवृन्त (funiculus) से एक मांसल ऊतक निकलकर, बीज को चारों ओर से घेरे रहता है, इसे बीजचोल या एरिल (aril) कहते हैं, यह ही फल का खाने योग्य भाग है।
नोट :
नोट :
- सिंघाड़े में बीज खाया जाता है।
- लीची में फलभित्ति (pericarp) तथा बीज के बीच का सरस, मीठा, सफेद व मांसल भाग जिसे बीजचोल (aril) कहते हैं खाया जाता है।
- काजू में बीजपत्र (cotyledons) तथा मांसल पुष्पवृन्त (pedicel) खाया जाता है।
(5) समारा (Samara) : ये फल एकबीजी (one seeded) होते हैं। ये द्विअण्डपी (bicarpellary), युक्ताण्डपी (syncarpous), ऊर्ध्व अण्डाशय (superior ovary) से विकसित होते हैं। इनकी फलभित्ति (pericarp) पंख के समान चपटी होती है। पंखवत् फलभित्ति (winged pericarp), फल के वायु द्वारा प्रकीर्णन में सहायक होती हैं, उदाहरण— चिलबिल (Holoptelea indica)।
नोट: कुछ फलों में पुष्प का बाह्यदलपुंज (calyx) पंखदार (winged) हो जाता है और यह फल समारा का भ्रम उत्पन्न करता है। समारा फलों के समान दिखायी देने वाले इन फलों को समाराभ (samaroid) कहते हैं। उदाहरण-होपिआ (Hopea) तथा साल (Shorea robusta = Sal), आदि।
(स) भिदुर (Schizocarpic or Splitting) फल
इस प्रकार के फलों को पाँच भागों में बाँटा गया है-
- लोमेण्टम (Lomentum)
- क्रीमोकार्प (Cremocarp)
- रेग्मा (Regma)
- कार्सेरुलस (Carcerulus)
- द्विपक्ष समारा (Double samara)
(1) लोमेण्टम (Lomentum) : ये फल एकाण्डपी (monocarpellary), एककोष्ठीय (unilocular) तथा ऊर्ध्व अण्डाशय (superior ovary) से विकसित होते हैं। वास्तव में ये फल, फली (legume) के रूपान्तरण हैं। ये बहुबीजी (many seeded), ऐसे द्विसीवनी फल हैं जो एकबीजी (one seeded) फलांशुकों (mericarps) में संकुचित या विभाजित हुए रहते हैं।
इन फलों में दो बीजों के बीच की फलभित्ति (pericarp) अन्दर की ओर धँसकर बहुत से एकबीजी (one seeded) फलांशुक (mericarps) अथवा खण्ड बनाती हैं, उदाहरण–बबूल (Acacia nilotica = Acacia), मूँगफली (Arachis hypogea = Groundnut), अमलतास (Indian laburnum), इमली (Tamarind), छुईमुई (Mimosa pudica)।
(2) क्रीमोकार्प (Cremocarp) : ये फल द्विकोष्ठीय (bilocular) तथा द्विबीजी (two seeded) होते हैं और द्विअण्डपी (bicarpellary), युक्ताण्डपी (syncarpous), अधोवर्ती अण्डाशय (inferior ovary) से विकसित होते हैं। परिपक्व होने पर ये फलधर (carpophore) (जो पुष्पासन का आगे की ओर वृद्धि किया हुआ भाग है) के साथ-साथ दो फलांशुकों (mericarps) में विभाजित हो जाते हैं। प्रत्येक फलांशुक में एक बीज होता है। ये फल कुल-अम्बेलीफेरी (family-Umbelliferae) में पाये जाते हैं, उदाहरण—धनिया (Coriander), गाजर (Carrot), आदि।
(3) रेग्मा (Regma) : ये फल त्रिअण्डपी (tricarpellary), युक्ताण्डपी (syncar pous), ऊर्ध्व अण्डाशय (superior ovary) से विकसित होते हैं। ये फल बहुकोष्ठीय (multilocular) होते हैं और फटने पर उतने ही भागों में विभक्त हो जाते हैं जितने कि उसमें अण्डप (carpels) होते हैं। प्रत्येक भाग को गोलाणु अथवा कॉकस (coccus) कहते हैं। प्रत्येक कॉकस एकबीजी (one seeded) होता है। फल के चारों ओर काँटे (spines) होते हैं, उदाहरण—अरण्डी (Castor) (इसमें तीन गोलाणु होते हैं), जिरेनियम (Geranium) (इसमें पाँच गोलाणु (cocci) होते हैं)।
(4) कार्सेरुलस (Carcerulus) : ये फल द्विअण्डपी अथवा बहुअण्डपी (bicarpellary or multicarpellary), युक्ताण्डपी (syncarpous) तथा ऊर्ध्व अण्डाशय (superior ovary) से विकसित होते हैं। कूट पट (false septum) के बन जाने से इनमें अनेक एकबीजी (one seeded) फलांशुक (mericarps) बन जाते हैं। इस प्रकार के चार एकबीजी दृढ़फलिका (nutlets) कुल-लेबिएटी (family-Labiatae) के फलों में होते हैं। उदाहरण—तुलसी (Ocimum) । मालवेसी (Malvaceae) कुल के हॉलीहॉक (Hollyhock) और ऐबूटीलोन (Abutilon) के फल बहुअण्डपी (multicarpellary) जायांग (gynoecium) से विकसित होते हैं। अतः इनमें फलांशुकों (mericarps) की संख्या अधिक होती है।
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