राडार (RADAR) का सिद्धांत : रचना, कार्यविधि|hindi


राडार (RADAR) का सिद्धांत

राडार (RADAR) का सिद्धांत : रचना, कार्यविधि|hindi


राडार (RADAR) शब्द रेडियो संसूचन एवं सर्वेक्षण (Radio Detection and Ranging) का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ है कि दूर की वस्तुओं की स्थिति, इनकी दूरी तथा चलने की दिशा का पता लगाना। राडार का सिद्धान्त प्रतिध्वनि (echo) के सिद्धान्त से मिलता-जुलता है। इसमें ध्वनि तरंगों के स्थान पर कम तरंगदैर्घ्य (1 सेमी) की वैद्युत-चुम्बकीय रेडियो तरंगें (माइक्रो तरंगे) प्रयोग की जाती हैं। इन तरंगों को लगातार नहीं भेजा जाता, बल्कि थोड़े-थोड़े समय (लगभग 1/1000 सेकण्ड ) पश्चात् तरंगों को स्पन्द (pulses) के रूप में भेजा जाता है। ये तरंगें एक सीधी तथा पतले पुंज के रूप में बहुत दूर तक चली जाती हैं तथा मार्ग में इनकी शक्ति क्षीण नहीं होती।


रचना एवं कार्यविधि

इसमें एक प्रेषी (transmitter) तथा एक ग्राही (receiver) होता है। ये दोनों एक ही एरियल से सम्बन्धित होते हैं और एक ही स्थान पर लगे रहते हैं। transmitter में मैगनेट्रॉन (magnetron) के द्वारा माइक्रो तरंगों के स्पन्द उत्पन्न किये जाते हैं तथा वस्तु की ओर प्रेषित किये जाते हैं। ये तरंगें वस्तु से टकराती हैं तथा परावर्तित होकर वापस उसी एरियल पर आती हैं और receiver द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं।

receiver के साथ एक C.R.O, लगा रहता है जिसमें प्रेषित एवं परावर्तित दोनों तरंग स्पन्द प्राप्त होते हैं। ग्राही से लगे C.R.O. की X- प्लेटों के बीच एक समयाधार वोल्टता लगायी जाती है जिससे C.R.O. के पर्दे पर एक चमकीली क्षैतिज रेखा प्राप्त हो जाती है।

राडार (RADAR) का सिद्धांत : रचना, कार्यविधि|hindi


Transmitter से भेजी गयी माइक्रो तरंगों के स्पन्द C.R.O की y-प्लेटों को दिये जाते हैं। अत: जब स्पन्द प्रेषित किया जाता है उस समय C.R.O. के पर्दे पर बायीं ओर एक शीर्ष प्राप्त होता है तथा जब यह स्पन्द किसी वायुयान से परावर्तित होकर वापस आता है तो एक और शीर्ष पहले शीर्ष से दायीं ओर प्राप्त होता है। 

क्षीण होने के कारण परावर्तित स्पन्द का शीर्ष कुछ छोटा होता है। यद्यपि ये दोनों शीर्ष C.R.O. के पर्दे पर भिन्न-भिन्न समयों पर थोड़े-थोड़े समय के लिए बनते हैं, परन्तु यह सब इतनी तेजी से होता है कि दोनों शीर्ष एक साथ दिखाई पड़ते हैं। दोनों शीघ्रों के बीच की दूरी ज्ञात कर वायुयान की दूरी ज्ञात कर ली जाती है। आधुनिक राडार में कम्प्यूटर लगे होते हैं तथा C.R.O. का पर्दा सीधे किलोमीटर में अंशांकित होता है। वायुयान की दिशा का पता लगाने के लिए भी राडार में प्रबन्ध होता है।


उपयोग

1. राडार का उपयोग शत्रु के हवाई जहाजों का पता लगाने, उन्हें नष्ट करने तथा शत्रु के शस्त्रागारों का पता लगाने में होता है।

2. राडार के कारण अन्तरिक्ष में वायुयानों का तथा समुद्रों में जलयानों का चलना सुरक्षित हो गया है। राडार द्वारा वायुयान चालक सामने आने वाली रुकावटें; जैसे- पहाड़, मीनार, आइसबर्ग आदि का चित्र देख लेते हैं और उनसे बचकर चलते हैं। खराब मौसम में राडार की सहायता से वायुयान सुरक्षित जमीन पर उतारे जा सकते हैं। वायुयान चालक राडार द्वारा हवाई अड्डे से ठीक निर्देश पाकर नीचे उतरता है।

3. जलवायु-विज्ञान में का बहुत महत्त्व है। जल की बूँदों से परावर्तित रेडियो तरंगों से बादलों की स्थिति तथा दूरी का पता लगाकर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।

4. राडार के प्रयोग से पृथ्वी तल के नीचे स्थित धातु, तेल तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं का पता लगाया जाता है।

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