रम्भ (stele) में पाये जाने वाले अनेक संवहन बण्डल (vascular bundle) मिलकर संवहन ऊतक तन्त्र का निर्माण करते हैं। अन्तस्त्वचा से घिरे बेलनाकार भाग को जिसमें संवहन बण्डल, परिरम्भ, पिथ तथा पिथ किरणें आती हैं रम्भ (stele) कहते हैं।
प्रत्येक संवहन बण्डल (vascular bundle) कैम्बियम सहित तथा कैम्बियम रहित जाइलम (xylem) तथा फ्लोएम (phloem) का बना होता है। संवहन बण्डल द्विबीजपत्री तनों में एवं दोनों प्रकार की जड़ों में एक या अधिक (कुछ द्विबीजपत्री तनों में) घेरों में और एकबीजपत्री तनों में बिखरी हुई अवस्था में पाये जाते हैं।
प्रत्येक संवहन बण्डल (vascular bundle) कैम्बियम सहित तथा कैम्बियम रहित जाइलम (xylem) तथा फ्लोएम (phloem) का बना होता है। संवहन बण्डल द्विबीजपत्री तनों में एवं दोनों प्रकार की जड़ों में एक या अधिक (कुछ द्विबीजपत्री तनों में) घेरों में और एकबीजपत्री तनों में बिखरी हुई अवस्था में पाये जाते हैं।
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एक संवहन बण्डल के भाग (Elements of a Vascular Bundle)
(अ) जाइलम (Xylem)
एक संवहन बण्डल के भाग (Elements of a Vascular Bundle)
- जाइलम अथवा काष्ठ (Xylem or wood)
- फ्लोएम अथवा बास्ट (Phloem or bast)
- कैम्बियम या एधा (Cambium)
(अ) जाइलम (Xylem)
➤ द्विबीजपत्री तनों में जाइलम का विकास रम्भ के भीतरी भाग की ओर से होता है अर्थात् प्रोटोजाइलम मध्य भाग की ओर बनता है तथा मेटाजाइलम (metaxylem) बाहर की ओर होता है। इसे अपकेन्द्री (centrifugal) जाइलम कहते हैं और यह अवस्था मध्यादिदारुक (endarch) कहलाती है। एकबीजपत्री तनों में भी इसी प्रकार का विकास होता है।
➤ जड़ों में जाइलम का विकास पौधे के रम्भ में बाहरी भाग की ओर से होता है। दूसरे शब्दों में प्रोटोजाइलम (protoxylem) बाहर (periphery) की ओर बनता है। इसे अभिकेन्द्री (centripetal) जाइलम कहते हैं तथा इस अवस्था को जाइलम की exarch अवस्था कहते हैं।
➤ जड़ों में जाइलम का विकास पौधे के रम्भ में बाहरी भाग की ओर से होता है। दूसरे शब्दों में प्रोटोजाइलम (protoxylem) बाहर (periphery) की ओर बनता है। इसे अभिकेन्द्री (centripetal) जाइलम कहते हैं तथा इस अवस्था को जाइलम की exarch अवस्था कहते हैं।
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(ब) फ्लोएम (Phloem)
➤ तनों में फ्लोएम मध्य से दूर, किनारे की ओर पाया जाता है और मेटाजाइलम के ऊपर स्थित होता है। द्विबीजपत्री तनों में चालनी कोशाएँ (sieve tubes), सह-कोशाएँ (companion cells), फ्लोएम मृदूतक एवं फ्लोएम तन्तु मिलकर फ्लोएम की रचना करते हैं।
➤ एकबीजपत्री तनों में फ्लोएम चालनी नलिकाओं, सह-कोशाओं तथा फ्लोएम तन्तु का बना होता है और इन पौधों में फ्लोएम मृदूतक नहीं पाया जाता है। प्रोटोफ्लोएम बाहर की ओर होता है और यह संकीर्ण चालनी नलिकाओं का बना होता है। भीतरी भाग मेटाफ्लोएम कहलाता है।
(स) कैम्बियम या एधा (Cambium)
द्विबीजपत्री तनों में जाइलम तथा फ्लोएम के बीच प्राथमिक विभज्योतक (primary meristem) की एक पतली पट्टी पायी जाती है जिसे कैम्बियम (cambium) कहते हैं। कैम्बियम की कोशिकाएँ आयताकार (rectangular) तथा पतली भित्तियुक्त होती हैं। कैम्बियम पट्टिका एक पर्त की होती हैं। एकबीजपत्री पौधों में कैम्बियम नहीं पाया जाता है।
संवहन बण्डलों के प्रकार (Types of Vascular Bundles)
(i) अरीय (Radial)
- अरीय (Radial)
- संयुक्त (Conjoint)
- संकेन्द्री (Concentric)
जड़ों में जाइलम और फ्लोएम एक-दूसरे के एकान्तरित (alternate) भिन्न अर्धव्यासों (radii) पर पाये जाते हैं और तने की तरह एक स्थान में एकत्रित नहीं रहते हैं। इस प्रकार के संवहन बण्डलों को अरीय (radial) संवहन बण्डल कहते हैं।
(ii) संयुक्त (Conjoint)
तनों के जाइलम और फ्लोएम एक अर्धव्यास (radius) पर साथ साथ पाये जाते हैं। इस प्रकार के संवहन बण्डलों को संयुक्त (conjoint) कहते हैं। ये दो प्रकार के हो सकते हैं-
- बहि:फ्लोएमी (Collateral)
- उभयफ्लोएमी (Bicollateral)
जिन संवहन बण्डलों में कैम्बियम होता है उन्हें खुले (open) संवहन बण्डल कहते हैं। एकबीजपत्री तनों में कैम्बियम अनुपस्थित होता है। ऐसे संवहन बण्डल बन्द (closed) कहलाते हैं।
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(ब) उभयफ्लोएमी (Bicollateral) — इस प्रकार के संवहन बण्डलों में फ्लोएम, जाइलम के दोनों ओर स्थित होता है। साथ ही कैम्बियम की भी दो पट्टियाँ (strips) होती हैं। संवहन बण्डल में इनका विन्यास निम्न प्रकार से होता है—बाहरी फ्लोएम, बाहरी कैम्बियम, जाइलम, भीतरी कैम्बियम तथा भीतरी फ्लोएम उदा० कुकुरबिटा का तना।
(ब) उभयफ्लोएमी (Bicollateral) — इस प्रकार के संवहन बण्डलों में फ्लोएम, जाइलम के दोनों ओर स्थित होता है। साथ ही कैम्बियम की भी दो पट्टियाँ (strips) होती हैं। संवहन बण्डल में इनका विन्यास निम्न प्रकार से होता है—बाहरी फ्लोएम, बाहरी कैम्बियम, जाइलम, भीतरी कैम्बियम तथा भीतरी फ्लोएम उदा० कुकुरबिटा का तना।
इस प्रकार के संवहन बण्डलों में एक प्रकार के संवहन ऊतक (vascular tissue) दूसरे प्रकार के संवहन ऊतकों को पूर्णतः घेरे रखते हैं। संकेन्द्री (concentric) संवहन बण्डल दो प्रकार के होते हैं-
- पोषवाह केन्द्री (Amphivasal=leptocentric) — इसमें फ्लोएम मध्य में होता है तथा चारों ओर से जाइलम द्वारा में घिरा रहता है, जैसे ड्रैसीना (Dracaena) या यक्का (Yucca) के तनों में।
- दारुकेन्द्री (Amphicribral=hadrocentric) - इसमें जाइलम मध्य में होता है तथा चारों ओर से फ्लोएम द्वारा घिरा रहता है, जैसे फर्न के राइजोम में तथा फलों, फूलों और कुछ द्विबीजपत्री पत्तियों में छोटे संवहन बण्डल। इस प्रकार के बण्डल सदा बन्द (closed) होते हैं।
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