कीटभक्षी पौधे (Insectivorous Plants)
तुम्बीलता या घटपर्णी (Nepenthes)
निपेन्थीज (Nepenthes) में पत्ती का पर्णफलक एक घड़े या पर्णघट या तुम्बी के आकार की रचना में रूपान्तरित हो जाता है। इसका अग्र भाग एक ढक्कन के रूप में, वृन्त प्रतान के रूप में तथा आधारीय भाग फैलकर पत्ती के रूप में बदल जाता है।पर्णघट के अन्दर एक प्रकार का तरल पदार्थ होता है। यह पाचक होता है। जैसे ही कोई कीट पर्णघट (तुम्बी) के अन्दर घुसता है, तो ढक्कन बन्द हो जाता है। यह तभी खुलता है जब कीट पर्णघट के अन्दर पचा लिया जाता है।
ये पौधे ऐसी भूमि में उगते हैं जहाँ मिट्टी में नाइट्रोजन यौगिकों की अत्यन्त कमी होती है या ये लगभग होते ही नहीं है। यद्यपि यह सम्पूर्ण पौधा हरा होता है और पर्णहरित (chlorophyll) की उपस्थिति के कारण पौधे खुद भोजन का निर्माण करते हैं इसलिए यह स्वपोषी होते है। प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) के द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करता है।
ड्रॉसेरा या सनड्यू (Drosera or Sundew)
1. यह पौधा दलदली भूमि में उगता है। प्रत्येक पौधे में 6 से 10 मूलज पत्तियाँ होती हैं जो भूमि पर शयान अवस्था में गुलाबवत् रचना बनाती हैं। इनके बीच में छोटा पुष्पदण्ड निकलता है।2. इसकी कुछ जातियों में एक बेलनाकार तना भी होता है जिस पर पत्तियाँ सर्पिल क्रम में लगी रहती हैं। प्रत्येक पत्ती में एक सँकरा पर्णवृन्त होता है जिसके सिरे पर लगभग गोल पर्णफलक होता है।
3. पर्णफलक पर अनेक रोम की तरह लाल रंगे की लगभग 200 संरचनाएँ होती हैं जिन्हें स्पर्शिकाएँ (tentacles) कहते हैं। ये स्पर्शिकाएँ एक चिपचिपा पाचक रस बनाती हैं।
4. यह रस पत्तियों पर ओस की बूँद की तरह, सूर्य के प्रकाश में चमकता है। इसीलिए पौधे को सनड्यू (sundew) कहा जाता है। जैसे ही कोई कोट पत्ती पर उसके रंग, चमक, गन्ध इत्यादि के आकर्षण के कारण बैठता है, चिपचिपे रस में फँस जाता है।
5. इसी समय कीट के ऊपर स्पर्शिकाएँ झुककर उसे उलझा लेती हैं। कीट शीघ्र ही अम्लीय रस के कारण मर कर पच जाता है और पत्ती के द्वारा ही अवशोषित हो जाता है। इसके बाद स्पर्शिकाएँ सीधी हो जाती हैं।
FAQs
1. कीटभक्षी पौधे कौन कौन से हैं?
कीटभक्षी पौधे वे पौधे होते हैं जो अपने भोजन के लिए जानवरों, खासकर कीड़ों पर निर्भर होते हैं। वे आमतौर पर नाइट्रोजन की कमी वाली मिट्टी में पाए जाते हैं, जहाँ वे मिट्टी से पर्याप्त पोषक तत्व नहीं प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, वे कीड़ों को खाकर अपने पोषण की जरूरतों को पूरा करते हैं।
यहाँ कुछ सामान्य कीटभक्षी पौधे इस प्रकार है:
• ड्रोसेरा: यह पौधा अपने पत्तियों पर चिपचिपे बूंदों को स्रावित करता है जो कीड़ों को आकर्षित करती हैं। जब कोई कीट पत्ती पर बैठता है, तो वह बूंदों में फंस जाता है और पौधा उसे पचा लेता है।
• नेपेंथीस: यह पौधा अपने पत्तों को घड़े के आकार में विकसित करता है जिसमें मीठे रस का स्राव होता है। यह रस कीड़ो को आकर्षित करते हैं जिससे कीड़े घड़े में गिर जाते हैं, जहाँ वे डूब जाते हैं और पौधा उन्हें पचा लेता है।
• डाययोनिया: यह पौधा अपने पत्तों को जाल के आकार में विकसित कर लेता है जिससे कीड़े आकर्षित होते हैं। जब कोई कीट जाल में फंस जाता है, तो पौधे की पत्तियां बंद हो जाती हैं और कीट को पचा लेती हैं।
• यूट्रीकुलरिया: यह पौधा अपने पत्तों को थैली के आकार में विकसित कर लेता है जिसमें कीड़ों को आकर्षित करने के लिए मीठे रस का स्राव होता है। जब कोई कीट थैली में फंस जाता है, तो पौधे की पत्ती बंद हो जाती है और कीट को पचा लेती है।
2. कौन सा पौधा कीटों को खाकर वृद्धि करते हैं?
ड्रोसेरा, डाययोनिया, यूट्रीकुलरिया, नेपेंथीस पौधे कीटों को खाकर वृद्धि करते हैं। यह पौधे नाइट्रोजन की कमी वाली मिट्टी में पाए जाते हैं, जहाँ वे मिट्टी से पर्याप्त पोषक तत्व नहीं प्राप्त कर पाते हैं। इसलिए, वे कीड़ों को खाकर अपने पोषण की जरूरतों को पूरा करते हैं।
3. कीटभक्षी पौधे कीड़े क्यों खाते हैं?
कीटभक्षी पौधे कीड़े खाते हैं ताकि वे अपने पोषण की जरूरतों को पूरा कर सकें। वे नाइट्रोजन की कमी वाली मिट्टी में पाए जाते हैं, जहाँ वे मिट्टी से पर्याप्त पोषक तत्व नहीं प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, वे कीड़ों को खाकर अपने पोषण की जरूरत को पूरा करते हैं।
4. क्या अमरबेल कीटभक्षी पौधे है?
नहीं, अमरबेल कीटभक्षी पौधा नहीं है। अमरबेल एक परजीवी पौधा है जो दूसरे पौधों की जड़ों पर उगता है। यह अपने भोजन के लिए दूसरे पौधों पर निर्भर करता है।
5. भारत में कीटभक्षी पौधे कहाँ पाए जाते हैं?
भारत में कीटभक्षी पौधे विभिन्न स्थानों पर पाए जाते हैं। वे अक्सर नमी वाली जगहों, जैसे दलदलों और झीलों के किनारे पाए जाते हैं। भारत में पाए जाने वाले कुछ सामान्य कीटभक्षी पौधों में ड्रोसेरा, नेपेंथीस, डायोनिया और यूट्रीकुलरिया शामिल हैं। कीटभक्षी पौधे हमारे पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
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