प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)
प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) हरे पौधों में होने वाली ऐसी उपचयिक क्रिया है जिसके द्वारा अकार्बनिक सरल यौगिकों, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड को प्रकाशीय ऊर्जा के द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स के रूप में बदल दिया जाता है। प्रकाशीय ऊर्जा का उपयोग पर्णहरित (chlorophyll) की उपस्थिति में किया जाता है तथा इसमें ऑक्सीजन (oxygen) सह-उत्पाद के रूप में निकलती है।
सूर्य का प्रकाश
6CO2 + 12H2O → C6H12O6 + 6O2↑ + 6H2O
क्लोरोफिल ग्लूकोज
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया-विधि (Mechanism of Photosynthesis)
प्रकाश संश्लेषण एक ऑक्सीकरण-अवकरण प्रक्रिया है। इसमें जल का ऑक्सीकरण तथा कार्बन डाइऑक्साइड का अवकरण होता है। यह प्रमुखतः दो पदों में सम्पन्न होती है-(1) प्रकाशीय अभिक्रियाएँ
(2) अप्रकाशीय अभिक्रियाएँ
(1) प्रकाशीय अभिक्रियाएँ (Light reactions)
जल के विच्छेदन (amputation) से हाइड्रोजन उपलब्ध होता है इसलिए ये क्रियाएँ प्रकाश की उपस्थिति में हरितलवक (chloroplast) के अन्दर उपस्थित ग्रैना (grana) में होती हैं। ग्रैना में पर्णहरित या क्लोरोफिल (chlorophyll) नामक पदार्थ होता है। संक्षेप में क्रियाएँ निम्नवत् सम्पन्न होती हैं-(i) सूर्य के प्रकाश की विकिरण ऊर्जा के कारण क्लोरोफिल के अणु सक्रिय हो जाते हैं और उत्तेजित इलेक्ट्रॉन्स का निष्कासन करते हैं।
(ii) सक्रिय क्लोरोफिल की उपस्थिति में आवश्यक ऊर्जा प्राप्त कर जल के अणुओं का विच्छेदन होता है जिससे हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन प्राप्त होते हैं-
2H2O ⇌ 2H+ + 2OH-
2OH- → H2O + ½O2
(iv) मुक्त ऑक्सीजन पौधे से बाहर निकल जाती है।
(v) मुक्त हाइड्रोजन NADP नामक हाइड्रोजन माही के द्वारा ग्रहण कर ली जाती है। इसमें NADP.H2 का निर्माण होता है।
(2) अप्रकाशीय अभिक्रियाएँ (Dark reactions)
इन क्रियाओं के लिए प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है। इन अभिक्रियाओं को इनकी खोज करने वाले वैज्ञानिक के नाम के आधार पर इसे सरिक ब्लैकमैन अभिक्रियाएँ (Blackmann's reactions) भी कहते हैं। ये क्रियाएँ हरितलवक की पीठिका या स्ट्रोमा (stroma) में होती हैं। इन समस्त क्रियाओं को जो एक विशेष पदार्थ रिबुलोस बाइफॉस्फेट (ribulose biphosphate = RuBP) की उपस्थिति में एक चक्र के रूप में होती हैं, कैल्विन चक्र (Calvin cycle) कहते हैं। संक्षेप में, ये अभिक्रियाएँ निम्नवत् सम्पन्न होती है-(i) कुछ विशेष पदार्थों की उपस्थिति में वातावरण से प्राप्त CO₂ का-प्रकाशीय क्रियाओं से निर्माण प्राप्त NADP.H₂ के H+ से अवकरण होता है और PGAL नामक पदार्थ बनता है। इन क्रियाओं निर्माण में निम्नलिखित अभिक्रियाएँ सम्मिलित हैं-
• 5 कार्बन वाले यौगिक RuBP (रिबुलोस बाइफॉस्फेट) के साथ कार्बन डाइऑक्साइड के अणु (6CO2) मिलकर एक 6 कार्बन अस्थायी यौगिक का निर्माण करते हैं-
एन्जाइम
6RuBP + 6CO2 ⇌ 6C6 यौगिक (अस्थायी)
H2O
• यह अस्थायी यौगिक शीघ्र ही अपचयित होकर व टूटकर दो अणु PGA (फॉस्फोग्लि- सरिक अम्ल) बना लेता है। यह तीन कार्बन वाला यौगिक (C3) है-
6C6 यौगिक + H+ ⟶ 12 (3 PGA)
• PGAL के दो अणु मिलकर, अपचयन के द्वारा फॉस्फेट शर्करा का तथा बाद में शर्करा का निर्माण करते हैं।
(ii) PGAL स्वयं भी भोजन की तरह काम कर सकता है। यह तीन कार्बन परमाणु वाला यौगिक है। इसके दो अणु मिलकर पहले एक अणु ग्लूकोज का निर्माण करते हैं।
2C3H5O3 + 2[H] → C6H12O6
(iv) कैल्विन चक्र में PGAL तथा इसके उत्पादों से रिबुलोस बाइफास्फेट (RuBP) का फिर ऐसे निर्माण हो जाता है अर्थात् यह चक्र की अभिक्रियाओं को चलाने के लिए फिर से तैयार होता है।
प्रकाश संश्लेषण के अन्तिम उत्पाद तथा उनका दैनिक जीवन में उपयोग (End Products of Photosynthesis and their use in Daily line)
1. प्रकाश संश्लेषण के अन्त में सामान्यतः ग्लूकोज (glucose) का निर्माण होता है जो बाद में पौधों की कोशिकाओं में मण्ड (starch) के रूप में परिवर्तित होकर पौधों के कुछ विशेष संचय केन्द्रों में एकत्र कर लिया जाता है।
2. पौधे कुछ अन्य विशेष पदार्थों के सहयोग से कुछ अन्य रासायनिक क्रियाओं द्वारा अन्य खाद्य पदार्थों (वसा, प्रोटीन्स आदि) का निर्माण भी करते हैं। इस प्रकार सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ एक जीव को हरे पौधे अर्थात् उत्पादकों (producers) से मिलते हैं।
3. उत्पादक वे पौधे हैं जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा बनाए खाद्य पदार्थों को संचित करते हैं और मनुष्य एवं सभी जन्तुओं के लिए भोजन उपलब्ध कराते हैं।
4. खाद्य पदार्थों में से कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा का उपयोग शरीर में प्रमुखतः ऊर्जा उत्पादन के लिए होता है, जबकि प्रोटीन का कुछ वसा के साथ शरीर की वृद्धि में।
5. इसके अतिरिक्त प्रकाश संश्लेषण में उत्पादित ऑक्सीजन पौधों सहित सभी जीवों के श्वसन के लिए आवश्यक है। यही नहीं, इस क्रिया के द्वारा प्रकृति में कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग होने से वातावरण में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बना रहता है।
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