पत्तियों के रूपान्तरण (Modifications of Leaves)
पत्तियों का प्रमुख कार्य प्रकाश संश्लेषण करना है। इसके अतिरिक्त वाष्पोत्सर्जन, श्वसन आदि सामान्य कार्य भी पत्ती करती ही है, किन्तु कभी-कभी विशेष कार्य करने के लिए इसका स्वरूप ही बदल जाता है। यह रूपान्तरण सम्पूर्ण पत्ती या पत्ती के किसी भाग या फलक के किसी भाग में होता हैं। उदाहरण के लिए-
(1) प्रतान (Tendril)- जब सम्पूर्ण पत्ती या उसका कोई कोमल भाग, लम्बे, कुण्डलित तन्तु की तरह की रचना में बदल जाता है तो इसे प्रतान (tendril) कहते हैं। दुर्बल पौधों को यह आरोहण में सहायता करता है । इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(क) जंगली मटर (Lathyrus aphaca) के पौधों में सम्पूर्ण पत्ती ही प्रतान (Tendril) में बदल जाती है।
(ख) मटर (Pisum sativum) के पौधे में इसके आगे के अगले कुछ पर्णक प्रतान (Tendril) में बदल जाते हैं।
(ग) ग्लोरी लिली (Gloriosa superba) में पर्ण फलक का शीर्ष (apex) प्रतान में बदल जाता है।
इनके अतिरिक्त क्लीमेटिस (Clematis) में पर्णवृन्त तथा चोभचीनी (Smilax) में अनुपर्ण आदि भी प्रतानीय रूपान्तरण हैं।
(2) कंटक या शूल (Spines) - वाष्पोत्सर्जन को कम करने और पौधे की सुरक्षा के लिए पत्तियाँ अथवा उनके कुछ भाग काँटों में बदल जाते हैं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(क) नागफनी (Opuntia) - इसमें प्राथमिक पत्तियाँ छोटी तथा शीघ्र गिरने वाली (आशुपाती) होती हैं। कक्षस्थ कलिका से विकसित होने वाली शाखाएँ पूरी तरह बढ़ भी नहीं पातीं और उनकी पत्तियाँ काँटों में बदल जाती हैं।
बारबेरी (barberry) में पर्वसन्धि पर स्थित पत्तियाँ स्पष्टतः काँटों में बदल जाती हैं। इनके कक्ष से निकली शाखाओं पर उपस्थित पत्तियाँ सामान्य होती हैं।
(ख) बिगनोनिया की एक जाति (Bignonia unguiscati) में पत्तियाँ संयुक्त होती हैं, इनके ऊपरी कुछ पर्णक अंकुश में बदल जाते हैं और आरोहण में सहायता करते हैं।
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(3) पर्ण घट (Leaf pitcher) - कुछ कीटाहारी पौधे ऐसे होते हैं जिनकी सम्पूर्ण पत्ती (प्रमुखतः पर्णफलक) कीटों को पकड़ने के लिए एक घट (pitcher) में बदल जाता है।
कुछ उदाहरणों में ये घट ढक्कन वाले होते हैं, जबकि अन्य में खुले। घटपणियों का सबसे अच्छा उदाहरण निपेन्थीज (Nepenthes) है।
डिस्कोडिया (Dischidia rafflesiana) - एक उपरिरोही है। इसमें कुछ पत्तियाँ घंटों में बदल जाती हैं। इसमें वर्षा का जल तथा अन्य कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ एकत्रित होते रहते हैं। पर्वसन्धि से जड़ें निकलकर घट (pitcher) के अन्दर घुस जाती हैं तथा विभिन्न पदार्थों का अवशोषण करती हैं।
(4) पर्ण आशय (Leaf bladders) - कुछ पौधों में पत्तियाँ या इनके कुछ भाग रूपान्तरित होकर आशय (bladders) में बदल जाते हैं। इस प्रकार का अच्छा उदाहरण ब्लैडरवर्ट या यूटीकुलेरिया (Utricularia) है। यह पौधा इन आशयों (bladders) के द्वारा कीटों को अपना आहार बनाता है। अनेक कीटाहारी पौधों में पत्तियाँ विभिन्न प्रकार से रूपान्तरित होकर अथवा अपने ऊपर विशेष संवेदी रोम इत्यादि बनाकर कीटों को पकड़ती हैं। उदाहरण- ड्रॉसेरा (Drosera), डायोनिया (Dionea), बटरवर्ट (Pinguicula) आदि।
पत्तियों के कार्य (Functions of Leaves)
(1) भोजन निर्माण (Food formation) - पत्तियों का मुख्य कार्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन निर्माण करना है। यह क्रिया सूर्य के प्रकाश तथा पर्णहरित की उपस्थिति में होती है।
(2) गैसों का आदान-प्रदान (Exchange of gases) - पत्तियों पर स्थित रन्ध्रों द्वारा O2 तथा CO2 का आदान-प्रदान होता है।
(3) वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) - पौधे आवश्यकता से अधिक अवशोषित जल को वाष्पोत्सर्जित कर देते हैं। यह कार्य मुख्यतया पत्तियों द्वारा होता है।
(4) भोजन संग्रह (Storage of food) -अनेक मरुद्भिद पौधों की मांसल पत्तियाँ भोजन संग्रह करती हैं; जैसे- घीक्वार। प्याज और लहसुन आदि के शल्कपत्र भी भोजन संग्रह करने का कार्य करते हैं।
(5) कायिक जनन (Vegetative reproduction) - अनेक पौधों की पत्तियों पर पर्णकलिकाएँ पाई जाती हैं।ये पृथक् होकर नए पौधों का निर्माण करती हैं।
(6) आरोहण (Climbing) - अनेक पौधों की पत्तियाँ प्रतान (Tendril) का रूप धारण करके आरोहण में सहायता करती हैं।
(7) सुरक्षा (Protection) - अनेक पौधों की पत्तियाँ कंटकों में रूपान्तरित हो जाती हैं और पौधों की सुरक्षा करती हैं।
FAQs
1. पत्तियों के विभिन्न रूपांतरण पौधे की किस तरह से सहायता करते हैं ?
पत्तियाँ पौधों में मुख्य रूप से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया करती हैं। ये पौधे को भोजन और ऑक्सीजन प्रदान करती हैं। इसके अलावा, पत्तियाँ पौधे को वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया में भी मदद करती हैं।
पत्तियों के विभिन्न रूपांतरण पौधे की विभिन्न प्रकार से सहायता करते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ पौधों में पत्तियाँ शूलों में बदल जाती हैं, जो पौधे को शिकारियों से बचाने में मदद करती हैं। अन्य पौधों में पत्तियाँ थैलियों में बदल जाती हैं, जो कीटों को पकड़ने में मदद करती हैं। कुछ पौधों में पत्तियाँ जल संचय के लिए रूपांतरित हो जाती हैं।
2. जड़ के रूपांतरण से आप क्या समझते हैं ?
जड़ के रूपांतरण से तात्पर्य जड़ की आकृति, कार्य या परिवर्तन से है। जड़ के रूपांतरण के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
- अंकुर: अंकुर एक प्रकार की जड़ होती है जो पौधे के बीज से निकलती है। यह पौधे को मिट्टी में स्थापित करने में मदद करती है।
- स्थिरीकरण जड़ें: स्थिरीकरण जड़ें पौधे को मिट्टी में मजबूती से पकड़ने में मदद करती हैं। ये आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के पौधों में पाए जाते हैं।
- पोषक जड़ें: पोषक जड़ें मिट्टी से पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं। ये आमतौर पर सभी पौधों में पाई जाती हैं।
- श्वसन जड़ें: श्वसन जड़ें मिट्टी से ऑक्सीजन को अवशोषित करती हैं। ये आमतौर पर जलीय पौधों में पाई जाती हैं।
- अतिरिक्त भोजन संग्रह जड़ें: अतिरिक्त भोजन संग्रह जड़ें भोजन को संग्रहीत करने का काम करती हैं। ये आमतौर पर कंद, ट्यूबर और बल्ब में पाए जाते हैं।
3. पौधे की वृद्धि में पत्तियों की क्या भूमिका है ?
पत्तियाँ पौधे की वृद्धि में निम्नलिखित भूमिका निभाती हैं:
- प्रकाश संश्लेषण: पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है, जिसके द्वारा पौधे सूर्य के प्रकाश, पानी और कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके भोजन और ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।
- वाष्पोत्सर्जन: पत्तियों के माध्यम से वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया होती है, जिसके द्वारा पौधे पानी को वाष्पीकृत करते हैं। वाष्पोत्सर्जन पौधे को ठंडा रखने में मदद करता है।
- श्वसन: पत्तियों में श्वसन की प्रक्रिया होती है, जिसके द्वारा पौधे भोजन का उपयोग करके ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
4. कौन सा पौधा पत्तियों द्वारा प्रजनन करता हैं ?
कुछ पौधे पत्तियों द्वारा प्रजनन करते हैं। इन पौधों में, पत्तियाँ या तो बीज या तने के रूप में नई पौधे उत्पन्न करती हैं।
पत्तियों द्वारा प्रजनन करने वाले कुछ पौधों के नाम इस प्रकार हैं:
- अर्निका: अर्निका की पत्तियाँ बीज उत्पन्न करती हैं।
- बैंगनी पत्थर: बैंगनी पत्थर की पत्तियाँ तने उत्पन्न करती हैं।
- चिचिंडा: चिचिंडा की पत्तियाँ बीज उत्पन्न करती हैं।
5. पत्तियों का अध्ययन क्या कहलाता है ?
पत्तियों का अध्ययन फिलोलॉजी कहलाता है। यह वनस्पति विज्ञान की एक शाखा है जो पत्तियों के आकार, आकार, रंग, संरचना और कार्य का अध्ययन करती है।
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