ब्रोंकाइटिस (Bronchitis): कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम|hindi


ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)

ब्रोंकाइटिस (Bronchitis): कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम|hindi


ब्रोंकाइटिस श्वसन से सम्बंधित समस्या है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। इसमें ब्रोन्कियल नलिकाओं में सूजन हो जाती है। यह नलिकाएं फेफड़ों से हवा लाने और ले जाने का काम करती हैं। यह स्थिति तीव्र या दीर्घकालिक हो सकती है। लोगों में इस स्थिति का गंभीरता की अलग-अलग हो सकती हैं। ब्रोंकाइटिस के कारणों और रोकथाम के तरीकों को जानकर हम इसका प्रबंधन और रोकथाम कर सकते हैं। इस लेख में ब्रोंकाइटिस के बारे में सरल भाषा में विस्तार से जानेंगे। 

ब्रोंकाइटिस क्या है?

ब्रोंकाइटिस ब्रोन्कियल नलियों में होने वाली सूजन को कहते हैं। यह नलियां फेफड़ों में वायु ले जाने वाली वायु मार्ग होती है। इस सूजन के परिणामस्वरूप अधिक बलगम बनने लगती है, जिससे व्यक्ति को खांसी आने लगती है और उसे सांस लेने में भी कठिनाई होती है। 

ब्रोंकाइटिस मुख्यतः दो प्रकार के होते है:

1. तीव्र ब्रोंकाइटिस (Acute Bronchitis): तीव्र ब्रोंकाइटिस वायरल संक्रमण के कारण होने वाला ब्रोंकाइटिस हैं जो कुछ समय तक रहती है, आमतौर पर कुछ हफ्तों तक। इसमें अक्सर सामान्य सर्दी या फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते है। यह आमतौर पर छोटे बच्चों में अधिक पाई जाती हैं क्यूंकि उनमें इम्युनिटी अधिक विकसित नहीं हुई होती हैं और वह संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। 

2. क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (Chronic Bronchitis): क्रोनिक ब्रोंकाइटिस में ब्रोन्कियल नलियों में लंबे समय तक सूजन रहती है। क्रोनिक ब्रोंकाइटिस आमतौर पर धूम्रपान और पर्यावरण प्रदूषकों के कारण होता है। एक्युट ब्रोंकाइटिस के बार-बार होने पर भी क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस हो सकती है। क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस कई महीनों से लेकर वषों तक भी रह सकती हैं।

ब्रोंकाइटिस (Bronchitis): कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम|hindi

 

ब्रोंकाइटिस के कारण (Causes of Bronchitis)

ब्रोंकाइटिस कई कारणों से होता है इनमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं:

1. वायरल संक्रमण (Viral Infections): आम वायरल संक्रमण के कारण तीव्र ब्रोंकाइटिस होती है। इसमें इन्फ्लूएंजा वायरस या रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) शामिल हैं।

2. जीवाणु संक्रमण (Bacterial Infections): कुछ जीवाणु संक्रमण जैसे माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma pneumoniae) या बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) भी ब्रोंकाइटिस का कारण बन जाते हैं। लेकिन ऐसा देखने को बहुत कम ही मिलता है।  

3. धूम्रपान (Smoking): धूम्रपान करने वाले लोगों में ब्रोंकाइटिस का खतरा अधिक होता है क्योंकि तंबाकू का धुआं ब्रोन्कियल नलियों को हानि पहुँचता है, जिससे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।

4. पर्यावरणीय कारक (Environmental Factors): कार्यस्थल या घर के वातावरण में प्रदूषकों, धूल या जहरीले धुएं के संपर्क में आने से भी ब्रोंकाइटिस हो सकता है।

5. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Weakened Immune System): जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है उनमें ब्रोंकाइटिस विकसित होने की संभावना अधिक होती है। 


ब्रोंकाइटिस के लक्षण (Symptoms of Bronchitis)

ब्रोंकाइटिस के शीघ्र निदान और उपचार के लिए इसके लक्षणों को पहचानना आवश्यक है। इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं:

  1. लगातार खांसी, जिसमें बलगम निकल सकता है
  2. घरघराहट या सांस की तकलीफ, खासकर शारीरिक परिश्रम के दौरान
  3. सीने में बेचैनी 
  4. जकड़न
  5. थकान और सामान्य कमजोरी
  6. हल्का बुखार 
  7. ठंड लगना

ब्रोंकाइटिस का निदान एवं उपचार (Diagnosis and Treatment)

ब्रोंकाइटिस का पता लगाने के लिए आमतौर पर शारीरिक परीक्षण और medical history के बारे में जानना आवश्यक होता है। शारीरिक परीक्षण के अलावा कभी-कभी छाती के एक्स-रे या थूक विश्लेषण जैसे अन्य परीक्षण भी करवाए जाते हैं। ब्रोंकाइटिस के प्रकार और गंभीरता के आधार पर इसका उपचार भी अलग-अलग होता हैं:

1. तीव्र ब्रोंकाइटिस (Acute Bronchitis): यह आमतौर पर कुछ हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाता है। इसके लक्षणों से राहत दिलाने के लिए दर्द और बुखार की दवाएं और खांसी कम वाली दवाएं शामिल होती हैं। साथ ही भरपूर आराम करने की सलाह दी जाती है।

2. क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (Chronic Bronchitis): इसके लक्षणों को नियंत्रित करने और इसकी जटिलताओं को रोकने के लिए लम्बे प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इसके उपचार में वायुमार्ग को खोलना, सूजन को कम करना और फेफड़ों के कार्य में सुधार करना शामिल होता है। वायुमार्ग को खोलने के लिए ब्रोन्कोडायलेटर्स (bronchodilators) और सूजन को कम करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids) लेने की सलाह दी जाती है और फेफड़ों के कार्य में सुधार के लिए फुफ्फुसीय पुनर्वास कार्यक्रम (pulmonary rehabilitation programs) में भेजा जाता है।

3. एंटीबायोटिक्स (Antibiotics): आमतौर पर तीव्र ब्रोंकाइटिस के लिए एंटीबायोटिक्स नहीं दी जाती हैं क्योंकि यह आमतौर पर वायरस के कारण होता है। लेकिन यदि संक्रमण जीवाणु के कारण हुआ हो या यदि रोगी को अन्य स्वास्थ्य स्थितियां हों तो उस अवस्था में वह एंटीबायोटिक्स ले सकता है लेकिन इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।


ब्रोंकाइटिस की रोकथाम (Prevention of Bronchitis)

ब्रोंकाइटिस को रोकने के लिए हमें सक्रिय कदम उठाने होंगे। हमें अपने आहार और आसपास की सफाई का ख्याल रखना जरुरी हैं। इसकी रोकथाम के लिए हम कई अन्य काम कर सकते हैं जैसे :

  1. धूम्रपान छोड़ें
  2. श्वसन संबंधी परेशानियों से बचें
  3. वायरल संक्रमण को कम करने के लिए आसपास स्वच्छता बनाये रखें
  4. टीका लगवाएं
  5. एंटी-ऑक्सिडेट्स से भरपूर फलों और सब्जियों का सेवन करें 
  6. संतुलित आहार लें 
  7. कच्चे प्याज खाएँ, यह सूजन को कम करने में मदद करता है
  8. तरल पदार्थों का सेवन करें 
  9. नट्स का सेवन करें (बादाम और अखरोट जैसे)
  10. सक्रिय रहें और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें


हालाँकि एक्युट ब्रोंकाइटिस घरेलु उपचार और परहेज से अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन जब खाँसी, बुखार, बदन दर्द, बंद नाक जैसे लक्षण दो हफ्तों से अधिक दिखे तो तुरन्त डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। इसके अलावा यदि खासते समय खून आये, अधिक बलगम बने या साँस लेने पर घरघराहट की आवाज हो तो डॉक्टर से मिलकर तुरंत इलाज शुरू करें। 

निष्कर्ष

ब्रोंकाइटिस एक ऐसी स्थिति है जो हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकती है और सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। इसके बारे में जानकर आप ब्रोंकाइटिस को प्रभावी ढंग से ठीक करने और दोबारा होने के जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठा सकते हैं। अपनी आवश्यकता के अनुरूप सलाह और उपचार के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

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