अन्तःस्रावी तन्त्र (Endocrine System): शरीर में उपस्थित ग्रन्थियाँ|hindi


अन्तःस्रावी तन्त्र (Endocrine System)

अन्तःस्रावी तन्त्र (Endocrine System): शरीर में उपस्थित ग्रन्थियाँ|hindi


हॉरमोन्स के ज्ञान की नींव सन् 1849 में बर्थोल्ड (Berthold) ने रखी थी। सन् 1855 में क्लॉडी बरनार्ड (Claude Bernard) ने शब्द "अन्तःस्रावण (internal secretion)" का सबसे पहले उपयोग किया। थोमस ऐडिसन (Thomas Addison, 1855) ने पता लगाया कि किसी व्यक्ति की अधिवृक्क अर्थात् ऐड्रीनल (adrenal) ग्रन्थि के cortical भाग को नष्ट कर देने पर एक रोग हो जाता है जिसे अब ऐडिसन का रोग (Addison's disease) कहते हैं। इसी खोज के कारण थोमस ऐडिसन को "अन्तःस्रावी विज्ञान का पिता (Father of Endocrinology)" कहते हैं।

अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का तन्त्र होने के कारण, इस तन्त्र के अध्ययन को अन्तःस्रावी विज्ञान अर्थात् एण्डोक्राइनोलॉजी (Endocrinology) नाम दिया गया। कुछ पदार्थ, जैसे कि एपिनेफ्रीन (epinephrine) तथा नॉरएपिनेफ्रीन (norepinephrine), तन्त्रिसंचारी (neurotransmitters or neurohumours) भी होते हैं और हॉरमोन्स भी। 

अतः सन् 1955 में हैरिस (Harris) ने स्पष्ट किया कि शरीर की क्रियाओं एवं प्रतिक्रियाओं के नियमन में तन्त्रिका तन्त्र और अन्तःस्रावी तन्त्र मिलकर काम करते हैं तथा मस्तिष्क का हाइपोथैलेमस (hypothalamus) इन दोनों तन्त्रों की कार्यिकी में सामन्जस्य (co-ordination) स्थापित करता है। अतः अब इन दोनों तन्त्रों को तन्त्रिअन्तःस्रावी तन्त्र (neuroendocrine system) का सम्मिलित नाम दिया जाता है। इनके अध्ययन की शाखा को न्यूरोएण्डोक्राइनोलॉजी (neuroendocrinology) का नाम दिया जाता है।


अन्तःस्रावी तन्त्र कैसे काम करता है?  (Working Of Endocrine System)

अन्तःस्रावी तन्त्र की क्रिया-विधि के तीन प्रमुख चरण होते हैं-

(1) शरीर की कुछ विशिष्ट प्रकार की ग्रन्थियों (glands) की कोशिकाएँ कुछ ऐसे पदार्थों का संश्लेषण करके इन्हें ऊतक द्रव्य (tissue fluid) में स्रावित करती हैं जो संकेत सूचनाओं का वहन करते हैं। ऊतक द्रव्य से ये पदार्थ रुधिर में चले जाते हैं। इन ग्रन्थियों को अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ (endocrine glands) तथा इनसे स्रावित पदार्थों को हॉरमोन्स (hormones) कहते हैं।

(2) रुधिर के माध्यम से हॉरमोन्स पूर्ण शरीर में संचरित होते रहते हैं।

(3) कुछ हॉरमोन्स को शरीर की सारी कोशिकाएँ रुधिर से ग्रहण कर सकती हैं। शेष हॉरमोन्स में से प्रत्येक को शरीर की कुछ निर्दिष्ट कोशिकाएँ या निर्दिष्ट ऊतकों की कोशिकाएँ ही रुधिर से ग्रहण कर सकती हैं। इन कोशिकाओं को हॉरमोन्स की लक्ष्य कोशिकाएँ (target cells) कहते हैं। 

कोशिकाओं द्वारा ग्रहण किए जाने पर हॉरमोन्स इनकी कोशिकाकला की पारगम्यता तथा उपापचयी एन्जाइमों का नियन्त्रण करके इनकी उपापचयी प्रक्रियाओं (metabolic processes) की दरों में परिवर्तन कर देते हैं जिससे शरीर की अनेक सतत् क्रियाओं (उपापचय, वृद्धि, स्रावण, लैंगिक परिपक्वन, पुनरुद्भवन, जनन, रंजकता, हृद्-स्पंदन, रुधिरचाप, आहारनाल की तरंगगति (क्रमाकुंचन), प्रतिरक्षण, आचार-व्यवहार आदि) तथा विभिन्न प्रतिक्रियाओं (reactions or responses) का नियमन (regulation) होता है। संक्षेप में हॉरमोन्स जीवनभर "जीवन की गति (Tempo of Life)" बनाए रखने का काम करते हैं।

शरीर में उपस्थित ग्रन्थियाँ (Glands Present in the Body)

ग्रन्थि (gland) एक ऐसी कोशिका या अंग को कहते हैं जिसकी कोशिकाएँ किसी पदार्थ का संश्लेषण (synthesis) करके इसे बाहर स्रावित (secrete) करती हैं। हमारे शरीर में कई प्रकार की ग्रन्थियाँ होती हैं। एककोशिकीय ग्रन्थियाँ एपिथीलियमी स्तरों (epithelial layers) में जगह-जगह होती हैं। बहुकोशिकीय ग्रन्थियाँ एपिथीलियमी स्तरों के वलन (folding) के फलस्वरूप बनती हैं। कशेरुकी (vertebrate) जन्तुओं में इनकी तीन स्पष्ट श्रेणियाँ होती हैं-

1. बहिःस्रावी ग्रन्थियाँ (Exocrine Glands): ये जिन एपिथीलियमी स्तरों से बनती हैं उनसे सँकरी नलिकाओं या वाहिकाओं (ducts) द्वारा जुड़ी रहती हैं। अतः इनसे स्रावित होने वाला पदार्थ इनकी वाहिकाओं में बहकर सम्बन्धित एपिथीलियमी स्तर की सतह पर मुक्त होता है। इसीलिए इन ग्रन्थियों को वाहिनीयुक्त अथवा प्रणाल ग्रन्थियाँ (duct glands) भी कहते हैं। लार ग्रन्थियाँ, आहारनाल की पाचन ग्रन्थियाँ, त्वचा की स्वेद (sweat) एवं तैल (sebaceous) ग्रन्थियाँ, यकृत आदि प्रणाल ग्रन्थियाँ ही होती हैं।

2. अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ (Endocrine Glands) : ये सम्बन्धित एपीथीलिया से सम्बन्ध-विच्छेद हो जाने के कारण, नलिकाविहीन या अप्रणाल (ductless) ग्रन्थियाँ होती हैं। अतः इनसे स्रावित पदार्थ या हॉरमोन्स (hormones), ऊतक द्रव्य में मुक्त होते हैं और रुधिर केशिकाओं (blood capillaries) के रुधिर में पहुँचकर सारे शरीर में संचरित होते हैं। ऐसी ग्रन्थियों में इसीलिए रुधिर केशिकाओं का घना जाल फैला होता है। थाइरॉइड, पैराथाइरॉइड, अधिवृक्क अर्थात् ऐड्रीनल, पीयूष अर्थात् पिट्यूटरी, पीनियल तथा थाइमस ग्रन्थियाँ अन्तःस्रावी होती हैं।

3. मिश्रित ग्रन्थियाँ (Mixed Glands): ये वाहिकायुक्त होती हैं, लेकिन इनमें बहिःस्रावी एवं अन्तःस्रावी, दोनों ही प्रकार के ऊतक या कोशिकाएँ होती हैं। बहिःस्रावी ऊतक प्रमुख होता है। अग्न्याशय (pancreas) ऐसी ही ग्रन्थि होता है। ग्रन्थियों के अतिरिक्त शरीर के कई अन्य अंगों में हॉरमोन्स का स्रावण करने वाली कुछ कोशिकाएँ होती हैं। ये अंग होते हैं मस्तिष्क का हाइपोथैलैमस, त्वचा, आमाशय-आन्त्रीय श्लेष्मिका, हृदय, यकृत, वृक्क, स्त्रियों के अण्डाशय, पुरुषों के वृषण तथा अपरा या आँवल।



FAQs

1. आप अपने एंडोक्राइन सिस्टम को कैसे स्वस्थ रखते हैं?
Ans. आप अपने अंतःस्रावी तंत्र को कई तरीकों से स्वस्थ रख सकते हैं। इसमें से कुछ तरीके इस प्रकार है: 

  • स्वस्थ आहार: आहार अंतःस्रावी तंत्र को स्वस्थ रखने में पहला और अहम भूमिका निभाता हैं। इसलिए हमें स्वस्थ आहार को अपनाना चाहिए जैसे ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दुबला प्रोटीन। प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड और शुगर से जितना हो सके दूर रहे।
  • नियमित व्यायाम: स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
  • पर्याप्त नींद: हर रात कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
  • तनाव से बचें: तनाव को कम करने के लिए आप योग, ध्यान या अन्य गतिविधियों को अपना सकते हैं।
  • धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान और शराब अंतःस्रावी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए इसका सेवन करने से बचें। 
  • नियमित स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच करवाएं और गंभीर स्थिति में डॉक्टर से सलाह लें ।

2. शरीर की सबसे छोटी अंतः स्रावी ग्रंथि कौन सी है?
Ans. शरीर की सबसे छोटी अंतःस्रावी ग्रंथि पिट्यूटरी ग्रंथि है। यह मटर के दाने के आकार की होती है जो मस्तिष्क में स्थित होती है।


3. अंतःस्रावी ग्रंथि कहां स्थित होती है?
Ans. अंतःस्रावी ग्रंथियां हमारे शरीर के विभिन्न भागों में स्थित होती हैं। कुछ प्रमुख अंतःस्रावी ग्रंथि और उनकी स्थिति के नाम इस प्रकार हैं:

  • पिट्यूटरी ग्रंथि: मस्तिष्क में
  • थायरॉयड ग्रंथि: गले में
  • अग्न्याशय: पेट में
  • अंडाशय: महिलाओं में पेट में
  • वृषण: पुरुषों में अंडकोष में


4. मनुष्य के शरीर में कितनी ग्रंथियां होती है?
Ans. मनुष्य के शरीर में लगभग 10 प्रमुख अंतःस्रावी ग्रंथियां होती हैं। इनके अलावा, कई अन्य छोटी ग्रंथियां भी होती हैं जो हार्मोन का उत्पादन करती हैं।


5. अंतःस्रावी तंत्र को किस कारण से क्षति पहुँचती है?
Ans. अंतःस्रावी तंत्र को कई कारणों से क्षति पहुँच सकती हैं। जिनमें से कुछ कारण हैं अनुवांशिक रोग, स्वप्रतिरक्षी रोग, संक्रमण, दवाओं से क्रिया, और तनाव। 


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