श्वसन किसे कहते हैं?(Respiration): श्वसन के प्रकार|in hindi


श्वसन (Respiration)

श्वसन किसे कहते हैं?(Respiration): श्वसन के प्रकार|in hindi


शरीर की कोशिकाओं को अपने कार्य संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह ऊर्जा उन्हें खाद्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है। ऑक्सीकरण क्रिया के अन्तर्गत ऑक्सीजन उपयोग में लायी जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड अवशिष्ट उत्पाद के रूप में उत्पन्न होती है। अतः जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन का शरीर में प्रवेश व कार्बन डाइऑक्साइड का शरीर से निष्कासन बहुत जरूरी है। 

अतः श्वसन उन भौतिक-रासायनिक क्रियाओं को सम्मिलित रूप से प्रदर्शित करता है जिसके अन्तर्गत बाह्य वायुमण्डल की ऑक्सीजन शरीर के अन्दर कोशिकाओं तक पहुँचती है और भोजन के सम्पर्क में आकर उसके ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा मुक्त होती है तथा उत्पन्न हुई CO₂ को शरीर से बाहर निकालती है। श्वसन एक अपचयी क्रिया (catabolic process) है जिसमें लगातार जैव-ऊर्जा (bioenergy) की खपत होती रहती है। इस क्रिया के फलस्वरूप शरीर के भार में कमी होती है।

श्वसन के प्रकार (Kinds Of Respiration)

1. वायुजीवी या ऑक्सीश्वसन (Aerobic Respiration)

वायुजीवी श्वसन में खाद्य पदार्थ (ग्लूकोज) ऑक्सीजन की उपस्थिति में ऑक्सीकृत होते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज (कार्बोहाइड्रेट्स) का पूर्ण रूप से ऑक्सीकरण होता है जिससे CO2, जल व ऊर्जा उत्पन्न होते हैं। इसीलिए ग्लूकोज को कोशिकीय ईंधन कहते हैं।

श्वसन किसे कहते हैं?(Respiration): श्वसन के प्रकार|in hindi




2. अवायुजीवी या अनॉक्सीश्वसन (Anaerobic Respiration)

ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में खाद्य पदार्थों के विघटन को अवायुजीवी श्वसन (anaerobic respiration) कहते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज का आंशिक विघटन होता है जिसके फलस्वरूप CO2, एथिल ऐल्कोहॉल या लैक्टिक एसिड तथा कुछ ऊर्जा मुक्त होती है जो ग्लूकोज अणु में संचित ऊर्जा का केवल 5% है। इस प्रक्रिया में ऑक्सीश्वसन की तुलना में बहुत कम ऊर्जा मुक्त होती है।

C6H12O6 → In yeast → 2C2H5OH(Ethyl alcohol) + 2CO2 + (34 kcal 2 ATP)



अवायुवीय श्वसन जन्तुओं के भीतरी ऊतकों में होता है। इसे आँत के परजीवी जैसे फीताकृमि, गोलकृमि, हुकवर्म तथा यकृत कृमियों में देखा जा सकता है।

C6H12O6 →In parasites →CH3⋅CHOH⋅COOH(Lactic acid) + Energy (2 ATP)


संग्रहित तथा अंकुरित होने वाले बीजों, फलों, यीस्ट तथा बैक्टीरिया में भी अवायुवीय श्वसन होता है। अवायुवीय श्वसन कंकालीय पेशियों में भी होता है विशेषकर तेज भागने या अधिक व्यायाम करने पर।

अवायुजीवी श्वसन के समय पेशियों में लैक्टिक एसिड बनता है। पेशियों में एकत्रित होकर यह पेशी श्रांति (muscle fatigue) उत्पन्न करता है। बाद में यह धीरे-धीरे यकृत कोशिकाओं तथा हृद् पेशियों द्वारा पूर्ण रूप से ऑक्सीकृत हो जाता है। लाल रुधिर कणिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया नहीं होते, अतः इनमें भी केवल अवायुवीय श्वसन होता है।

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