ऐस्कैरिस लम्ब्रीक्वॉएडिस (Ascaris Lumbricoides) का उत्सर्जी तंत्र तथा तंत्रिका तंत्र|in hindi


ऐस्कैरिस लम्ब्रीक्वॉएडिस (Ascaris Lumbricoides) का उत्सर्जी तंत्र

ऐस्कैरिस लम्ब्रीक्वॉएडिस (Ascaris Lumbricoides) का उत्सर्जी तंत्र तथा तंत्रिका तंत्र|in hindi

ऐस्कैरिस में बहुत ही विशेष प्रकार का उत्सर्जी तन्त्र पाया जाता है। इसमें शरीर की लम्बाई में फैली दो महीन अनुलम्ब उत्सर्जी नलिकाएँ (longitudinal excretory canals) होती हैं। प्रत्येक नलिका एपिडर्मिस के एक lateral line में स्थित होती है। आगे की ओर, ग्रसनी के नीचे, दोनों उत्सर्जी नलिकाएँ कई छोटी-छोटी एवं महीन
अनुप्रस्थ नलिकाओं (transverse canals) के एक जाल द्वारा जुड़ी होती हैं। इनके आगे का हिस्सा इस जाल जैसे संयोजक सेतु (connecting bridge) से भी कुछ आगे निकला रहता हैं। अतः पूरा उत्सर्जी तन्त्र 'H' की आकृक्ति का होता है। एक अग्ग्रस्थ नलिका (terminal duct) संयोजक सेतु की एक ओर से निकलकर आगे शरीर की मध्यअधर रेखा पर स्थित उत्सर्जी छिद्र (excretory pore) द्वारा बाहर खुल जाती है। ऐस्कैरिस का यह पूरा तन्त्र केवल एक ही, लम्बी विशालकाय कोशिका का बना होता है जिसके कोशिकाद्रव्य में सुरंगों के रूप में ये नलिकाएँ बनती हैं। इस कोशिका को रेनेट कोशिका (renette cell) कहते हैं। इसका केन्द्रक संयोजक सेतु के निकट बायीं उत्सर्जी नलिका पर स्थित होता है।

ऐस्कैरिस लम्ब्रीक्वॉएडिस (Ascaris Lumbricoides) का उत्सर्जी तंत्र तथा तंत्रिका तंत्र|in hindi



ऐस्कैरिस अमोनिया (ammonia) और यूरिया (urea) का उत्सर्जन करता है, अर्थात् यह ऐमोनोटीलिक (ammonotelic) एवं यूरिओटीलिक (ureotelic) होता है। सम्भवतः देहगुहीय द्रव्य के दबाव के कारण ही उत्सर्जी पदार्थ अतिसूक्ष्मनिस्यंदन (ultrafiltration) द्वारा उत्सर्जी नलिकाओं में रिसकर जाते हैं। स्पष्ट है कि उत्सर्जन के साथ-साथ परासरण नियन्त्रण (osmoregulation) भी होता है।




तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System)


ऐस्कैरिस में स्पष्ट तन्त्रिका तन्त्र होता है। यह देहगुहा में न होकर, उत्सर्जी तन्त्र की भाँति, देहभित्ति में स्थित होता है। ग्रसनी के चारों ओर, तन्त्रिका तन्तुओं की बनी, एक तन्त्रिका मुद्रा (nerve ring) होती है। इससे कई तन्त्रिका गुच्छक (nerve ganglia) जुड़े होते हैं-पृष्ठ भाग में एक छोटा पृष्ठ गुच्छक (dorsal ganglion), Lateral भागों में एक-एक बड़ा पार्श्व गुच्छक (lateral ganglion) तथा अधर भाग में एक जोड़ी बड़े अधर गुच्छक (ventral ganglia)।

ऐस्कैरिस लम्ब्रीक्वॉएडिस (Ascaris Lumbricoides) का उत्सर्जी तंत्र तथा तंत्रिका तंत्र|in hindi


आठ महीन तन्त्रिकाएँ (nerves) ring से आगे की ओर तथा आठ मोटी तन्त्रिकाएँ पीछे की ओर निकली होती हैं।

अग्र तन्त्रिकाओं में से छः अंकुरक तन्त्रिकाएँ (papillary nerves) होंठों से संवेदनाएँ लाती हैं। इनमें से दो ring के पृष्ठपार्श्व (dorso-lateral), दो अधरपार्श्व (ventro-lateral), तथा दो पार्श्व भागों से जुड़ी होती हैं। प्रत्येक का ring से जुड़ा सिरा फूलकर एक छोटा अंकुरक गुच्छक (papillary ganglion) बनाता है। बाकी बचे दो अग्र तन्त्रिकाएँ पार्श्व गुच्छकों से निकलकर ऐम्फिड्स (amphids) में जाती हैं। इन्हें ऐम्फीडी तन्त्रिकाएँ कहते हैं।

पश्च तन्त्रिकाओं में एक ring के मध्यअधर भाग से, एक मध्यपृष्ठ भाग से, एक-एक अधर गुच्छकों से तथा दो-दो पार्श्व गुच्छकों से निकलती हैं। मध्य अधर तन्त्रिका (mid-ventral nerve) सबसे मोटी और एपिडर्मिस के मध्यअधर उभार में स्थित होती है। इसी प्रकार, मध्य पृष्ठ तन्त्रिका (mid-dorsal nerve) एपिडर्मिस के मध्य पृष्ठ उभार में स्थित होती है। यह पृष्ठ गुच्छक से निकलकर शरीर के पश्च छोर तक जाती है। 

मध्य अधर तन्त्रिका गुदा के निकट एक बड़े गुदा गुच्छक (anal ganglion) में समाप्त होती है। इस पर जगह-जगह छोटे गुच्छक होते हैं। शेष पश्च तन्त्रिकाएँ एपिडर्मिस के अपनी-अपनी ओर के पार्श्व उभारों में होती हैं। इनमें एक-एक पार्श्व (lateral), एक-एक पृष्ठपार्श्व (dorso-lateral) तथा एक-एक अधरपार्श्व (ventro-lateral) तन्त्रिकाएँ होती हैं। 

पार्श्व एवं पृष्ठपार्श्व तन्त्रिकाएँ पार्श्व गुच्छकों से तथा अधरपार्श्व तन्त्रिकाएँ अधरपार्श्व गुच्छकों से निकलती हैं। गुदा गुच्छक से कई छोटी तन्त्रिकाएँ शरीर के पश्च भाग के संवेदांगों एवं अन्य अंगों तक जाती हैं। पार्श्व तन्त्रिकाएँ कई लूपनुमा (loop-like) अनुप्रस्थ संयोजी तन्त्रिकाओं (transverse connecting nerves) द्वारा पृष्ठ एवं अधर तन्त्रिकाओं से जुड़ी रहती हैं।


संवेदांग (Sensory Organ)


ऐस्कैरिस में cuticle के सूक्ष्म उभारों अर्थात् अंकुरों (papillae) या गड्ढ़ों अर्थात् गर्तों (pits) के रूप में निम्नलिखित संवेदांग होते हैं-

1. ओष्ठीय संवेदी अंकुर (Labial Sensory Papillae): ये होंठों पर होते हैं। चार अंकुरों में दो-दो तथा दो में केवल एक-एक सूक्ष्म संवेदांग होते हैं। प्रत्येक संवेदांग में अवलम्बन कोशिकाओं (supporting cells) से घिरा, अंकुरक तन्त्रिका (papillary nerve) का एक महीन सूत्र होता है। ये सम्भवतः रसायन संवेदांगों के रूप में स्वादेन्द्रियों (gustato-receptors) का काम करते हैं।

2. ऐम्फिड्स (Amphids): ये अधरपार्श्व (ventro-lateral) होंठों पर, उपचर्म के दो गड्ढों के रूप में होते हैं। प्रत्येक pit में ग्रन्थिल एवं तन्त्रिका कोशिकाओं का एक गुच्छा होता है जो ऐम्फिडी तन्त्रिका से जुड़ा रहता है। ये भी सम्भवतः स्वादेन्द्रियों का काम करते हैं।

ऐस्कैरिस लम्ब्रीक्वॉएडिस (Ascaris Lumbricoides) का उत्सर्जी तंत्र तथा तंत्रिका तंत्र|in hindi


3. फैस्मिट्स (Phasmids) : ये पूँछ के प्रत्येक lateral में एक-एक सूक्ष्म pits के रूप में रसायन संवेदांग (chemoreceptors) होते हैं। प्रत्येक में एक एककोशिकीय ग्रन्थि खुलती है।

4. ग्रैव अंकुर (Cervical Papillae): ये होंठों से लगभग 2 मिमी पीछे, शरीर के दोनों पार्श्वों में एक-एक होते हैं। ये सम्भवतः स्पर्शागों (tactile organs) का काम करते हैं।

5. गुद अंकुर (Anal Papillae): नर ऐस्कैरिस के 50 जोड़ी अग्र-गुद (pre-anal) तथा 5 जोड़ी पश्च-गुद (post- anal) अंकुर भी tactile होते हैं। ये मैथुनी आलिंगन में सहायता करते हैं। निमैटोडा में संवेदांगों का महत्त्व जातियों, श्रेणियों आदि के वर्गीकरण में होता है।


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