संयोजी ऊतक (Connective Tissue)
संयोजी ऊतक की विशेषताएँ (Characteristics of Connective Tissue)
1. यह भ्रूणीय मीसोडर्म (mesoderm) से विकसित होता है।
2. इसमें अन्तराकोशिकीय पदार्थ (intercellular substance) इतना अधिक होता है कि कोशिकाएँ दूर-दूर छितरी रहती हैं। इस अन्तराकोशिकीय पदार्थ को मैट्रिक्स (matrix) या आधार पदार्थ (ground substance) कहते हैं।
3. यह शरीर का लगभग 30% भाग बनाता है।
4. प्रोटीन तन्तु अक्रिस्टलीय, पारदर्शी, भरण ऊतक में पड़े रहते हैं जिसे मैट्रिक्स कहते हैं।
5. संवहनी ऊतक अर्थात् रुधिर में तन्तु नहीं होते जबकि अस्थि में इसका अत्यधिक खनिजीभवन होता है।
संयोजी ऊतक के घटक (Components of Connective Tissue)
संयोजी ऊतक में मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं:
1. कोशिकाएँ
2. तन्तु
3. मैट्रिक्स
आधार पदार्थ की प्रकृति एवं तन्तुओं व कोशिकाओं के प्रकार के अनुरूप संयोजी ऊतक विभिन्न रूप ले लेता है। इसके घटकों का वर्णन इस प्रकार हैं।
1. कोशिकाएँ (Cells) : कोशिकाएँ आधारद्रव्य में छितरी हुई अवस्था में रहती हैं। ये कई प्रकार की हो सकती हैं। इन्हें दो श्रेणियों में रख सकते हैं:
- a. संयोजी ऊतक के आन्तर घटक वाली कोशिकाएँ (Cells that are intrinsic components of connective tissue): संयोजी ऊतक में मुख्य रूप से फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाएँ होती हैं। इनके अलावा mesenchymal cells, वर्णकित Cells तथा वसा Cells भी संयोजी ऊतक में मिलती हैं।
- b. प्रतिरक्षा तन्त्र की कोशिकाएँ (Cells that belong to the immune system): हिस्टिओसाइट्स, मास्ट कोशिकाएँ, लिम्फोसाइट्स, प्लाज्मा कोशिकाएँ, मोनोसाइट्स तथा इओसिनोफिल्स भी संयोजी ऊतक में मिलती हैं।
2. तन्तु (Fibres) : संयोजी ऊतक के आन्तरकोशिकी पदार्थ (intercellular substance) में कोशिकाओं के बीच कई प्रकार के तन्तु छितरे रहते हैं। तन्तु मुख्य रूप से प्रोटीन के बने होते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं : कोलेजन तन्तु, जालीय (reticular) तन्तु तथा इलास्टिक तन्तु।
3. अन्तराकोशिक पदार्थ या मैट्रिक्स (Intercellular Substance or Matrix) : यह लसदार, पारदर्शी तथा जैली जैसा कोलॉयडी आधार पदार्थ (ground substance) के रूप में होता है। आधार पदार्थ में म्यूकोपॉलिसैकेराइड्स, प्रोटीन्स के साथ अनुबन्धित होकर ग्लाइकोप्रोटीन्स (glycoproteins) तथा ग्लाइकोसैमिनोग्लाइकन्स (glycosamino-glycans) बनाते हैं। इन पदार्थों में सबसे बड़े अणु हायलूरोनिक अम्ल (hyaluronic acid) के अणु होते हैं। इसके अतिरिक्त मैट्रिक्स में Chondroitin, Chondrotin sulphate तथा Keratin sulphate के अणु भी होते हैं।
सामान्य कार्य (General Functions)
संयोजी ऊतक के कुछ सामान्य कार्यों का वर्णन इस प्रकार हैं:
1. संलग्न (Attachment) : यह विभिन्न रचनाओं को एक-दूसरे से जोड़ने का कार्य करता है, जैसे पेशियों को त्वचा या अस्थियों से।
2. अवलम्बन (Support) : यह शरीर में अस्थियों एवं कार्टिलेज का ढाँचा बनाता है।
3. संचयन (Storage) : एडीपोज संयोजी ऊतक वसा का संचय करता है।
4. परिवहन (Transport) : रुधिर व लिम्फ, जो तरल संयोजी ऊतक होते है, भोजन, हॉर्मोन्स, गैस, वर्ज्य पदार्थों आदि का शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में परिवहन करते हैं।
5. सुरक्षा (Protection) : रुधिर की श्वेत रुधिर कणिकाएँ तथा लिम्फोसाइट जीवाणुओं द्वारा संक्रमण से शरीर की रक्षा करते हैं।
6. कुशन (Cushion) : एडीपोज ऊतक वृक्कों, अण्डाशयों, नेत्र गोलक आदि के चारों ओर गद्दी के समान कुशन बनाकर इनकी झटकों एवं आघातों से रक्षा करता है।
7. पैकिंग पदार्थ के रूप में (As Packing Material) : ऐरिओलर ऊतक समस्त अंगों के लिए पैकिंग पदार्थ का कार्य करता है।
8. रुधिर कणिकाओं का निर्माण (Formation of Blood Corpuscles): यह अस्थि मज्जा में रुधिर कणिकाएँ बनाती हैं।
9. मरम्मत (Repair): संयोजी ऊतक के कोलेजन तन्तु क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत करते हैं।
10. प्रतिरक्षा (Immunity): संयोजी ऊतक के लिम्फोसाइट एन्टीबॉडीज बनाते हैं जो शरीर को प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं।
संयोजी ऊतक के कार्य (Functions of Connective Tissue)
1. यह पैंकिग पदार्थ (packing material) के रूप में कार्य करता है। यह ऊतकों एवं अंगों को बाँधता है और यथास्थान साधे रखता है, इसीलिए इसे अवलम्बन ऊतक (supporting tissue) कहते हैं।
2. ऊतक कोशिकाओं और रुधिर वाहिनियों के बीच रासायनिक पदार्थों के लेन-देन में माध्यम का काम करता है।
3. आन्तरांगों पर तन्तुमय रक्षात्मक आवरण बनाता है।
4. यह एपिथीलियम की आधार कला बनाता है।
5. यह शरीर के आन्तरांगों एवं ऊतकों को लचीलापन, चिकनाहट (lubrication) एवं दृढ़ता प्रदान करता है और धक्कों को सहने (shock absorber) में मदद करता है।
6. यह रासायनिक पदार्थों का संग्रह एवं संवहन भी करता है।
7. यह विषैले पदार्थों (toxins) व सूक्ष्म जीवों को नष्ट करके शरीर की रक्षा करता है।
8. यह घायल और संक्रमित स्थानों पर मृत कोशिकाओं को नष्ट करके सफाई एवं मरम्मत करने का काम करता है।
9. यह हड्डियों और उपास्थियों के रूप में शरीर का अवलम्बी ढाँचा बनाता है।
10. यह हड्डियों और पेशियों को दृढ़तापूर्वक जोड़कर गति एवं गमन में सहायता करता है।
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