हाइड्रोजन बन्ध (Hydrogen bond) : परिभाषा, उदाहरण, प्रकार
हाइड्रोजन बन्ध (Hydrogen bond)
एक आकर्षण बल जो किसी अणु या समूह के हाइड्रोजन परमाणु को किसी दूसरे समान या असमान अणु या एक ही अणु के किसी दूसरे समूह के अधिक ऋणविद्युती तत्त्व (F > O > N) से बाँधता हो, हाइड्रोजन बन्ध कहलाता है। इसको बिन्दुदार रेखाओं (dotted lines) से प्रदर्शित करते हैं।
------X—H----------X—H----------X—H
(---- हाइड्रोजन बंध को प्रदर्शित करता है। )
नीचे जल के अणु में हाइड्रोजन बन्ध को दिखाया गया है। ऑक्सीजन परमाणु से सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़ा हाइड्रोजन परमाणु, दूसरे H₂O अणु के ऑक्सीजन परमाणु से हाइड्रोजन बन्ध बना लेता है।
कुछ अन्य यौगिक, जिनमें हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है, इस प्रकार हैं -
NH3, HCN, HF, H3BO3, NaHF2, CH3COOH आदि।
इसकी प्रबलता का क्रम इस प्रकार है -
H---------F (10 kcal/mol) > H--------O (7 kcal/mol) > H-------‐-N (3 kcal/mol)
हाइड्रोजन बन्ध के प्रकार
हाइड्रोजन बन्ध दो प्रकार के होते हैं-
(i) अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध- जब दो या दो से अधिक अणुओं के बीच में हाइड्रोजन बन्ध बनते हैं, तो उन्हें अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध कहा जाता हैं; जैसे - H₂O, NH3 आदि। इनमें अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध होता है।
(II) अन्तः अणुक हाइड्रोजन बन्ध- एक ही अणु के भीतर जो हाइड्रोजन बन्ध बनता है, उसे अन्तःअणुक हाइड्रोजन बन्ध कहते हैं; जैसे-ऑथों नाइट्रोफीनोल तथा ऑर्थो हाइड्रॉक्सी बेन्जैल्डिहाइड में अन्तःअणुक हाइड्रोजन बन्ध होता है।
H₂O द्रव है जबकि H₂S गैस है - O तथा S आवर्त सारणी में एक ही वर्ग (VIA) के तत्त्व होते हैं परन्तु H₂O साधारण ताप पर द्रव अवस्था में रहता है और H₂S गैस अवस्था में रहता है। इसका कारण यह है कि H₂O अणुओं के बीच अन्तराणुक हाइड्रोजन बन्ध होता है, जिससे H₂O के अणु परस्पर संयोजन करके एक विशाल अणु की रचना करते हैं इससे इसका आकार बहुत बड़ा हो जाता है, जिसके फलस्वरूप H₂O भौतिक अवस्था गैसीय न होकर द्रव के रूप में होता है। वहीँ H₂S में हाइड्रोजन बन्धं की अनुपस्थिति होती है जिसके कारण इस प्रकार का संयोजन नही हो पाता है। अतः H₂S गैसीय अवस्था में ही रहता है।
स्पष्ट है कि जल का क्वथनांक हाइड्रोजन सल्फाइड से अधिक होता है।
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