द्रवों का ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Liquids): उदाहरण तथा प्रकार|hindi


द्रवों का ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Liquids): उदाहरण तथा प्रकार
द्रवों का ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Liquids): उदाहरण तथा प्रकार|hindi

यह तो सभी जानते हैं कि द्रवों का अपना कोई निश्चित रूप नहीं होता है उन्हें जिस भी बर्तन में रखा जाता हैं यह उसी का रूप धारण कर लेते हैं। अतः ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि उनमें केवल आयतन-प्रसार ही होता है। द्रव को गर्म करने के लिये उसे किसी बर्तन में रखना पड़ता है। अतः गर्म करने पर पहले बर्तन का प्रसार होता है फिर बाद में द्रव का होता है। हम इसे एक साधारण प्रयोग के द्वारा देख और समझ सकते हैं।

नीचे दिए गए चित्र में काँच के एक फ्लास्क के मुँह पर लम्बी व पतली नली लगी है। पूरे फ्लास्क में कोई द्रव भरा है जो कि नली में चिन्ह A तक चढ़ा हुआ है। जब हम फ्लास्क को गर्म करते हैं तो नली में द्रव का तल पहले A से B तक गिरता है, तथा फिर A से ऊपर C तक चढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि फ्लास्क को गर्म करने पर फ्लास्क का ताप तो तुरन्त ही बढ़ने लगता है, परन्तु ऊष्मा को द्रव तक पहुंचने में कुछ समय लग जाता है।
द्रवों का ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Liquids): उदाहरण तथा प्रकार|hindi

अतः फ्लास्क के आयतन में प्रसार प्रारम्भ हो जाता है जिससे कि द्रव का तल A से B तक नीचे गिरता है। अत: AB फ्लास्क का प्रसार है। परन्तु कुछ ही देर में हम देखते हें कि जब द्रव भी गर्म होने लगता है तो फ्लास्क व द्रव दोनों के आयतन में प्रसार साथ-साथ होने लगता है। चूंकि द्रव का आयतन-प्रसार फ्लास्क के आयतन-प्रसार से कहीं अधिक होता है, अतः द्रव का तल ऊपर उठता जाता है।

द्रव का तल प्रारम्भ में चिन्ह A तक होता है लेकिन बाद में द्रव को एक निश्चित ताप तक गर्म करने पर यह तल चिन्ह C तक चढ़ जाता है। अतः हमें द्रव का आयतन-प्रसार AC के बराबर आभासित होता है। यह द्रव का आभासी आयतन-प्रसार है। द्रव का वास्तविक आयतन-प्रसार BC होता है जो आभासी प्रसार AC से अधिक है। इसका कारण यह है कि गर्म होने से फ्लास्क का भी आयतन बढ़ा है तथा इस बढ़े हुये आयतन में भी द्रव भरा है। अतः द्रव का वास्तविक आयतन-प्रसार उसके आभासी आयतन-प्रसार तथा बर्तन के आयतन-प्रसार के योग के बराबर है।

BC = AC + AB


इस प्रकार द्रव का आयतन प्रसार दो प्रकार का होता है :-
  1. आभासी प्रसार (Apparent Expansion)
  2. वास्तविक प्रसार (Real Expansion)
(1) आभासी प्रसार (Apparent Expansion): यदि बर्तन के प्रसार का ध्यान न रखते हुए द्रव का प्रसार नापा जाये तो उसे 'आभासी-प्रसार' कहते हैं। चित्र में AC द्रव का आभासी प्रसार है।

(2) वास्तविक प्रसार (Real Expansion) : बर्तन के प्रसार को ध्यान में रखते हुये द्रव में जो प्रसार होता है उसे 'वास्तविक प्रसार' कहते हैं। निम्न चित्र में BC द्रव का वास्तविक प्रसार है।
द्रव के दोनों प्रसारों में निम्न सम्बन्ध है :

वास्तविक प्रसार = आभासी प्रसार + बर्तन का प्रसार

द्रव का आभासी-प्रसार-गुणांक : किसी द्रव का ताप 1°C बढ़ाने पर द्रव के आयतन में होने वाली आभासी वृद्धि तथा द्रव के प्रारम्भिक आयतन के अनुपात को उस द्रव का आभासी प्रसार-गुणांक कहते हैं। इसे γa से प्रदर्शित करते हैं। सूत्र द्वारा

γa = आयतन में आभासी वृद्धि / प्रारम्भिक आयतन × ताप में वृद्धि

= (△V)a / V  × △t 


द्रव का वास्तविक प्रसार-गुणांक : किसी द्रव का ताप 1°C बढ़ाने पर द्रव के आयतन में होने वाली वास्तविक वृद्धि तथा द्रव के प्रारम्भिक आयतन के अनुपात को उस द्रव का वास्तविक प्रसार-गुणांक कहते हैं। इसे γr से प्रदर्शित करते हैं। सूत्र द्वारा 

γr = आयतन में वास्तविक वृद्धि / प्रारम्भिक आयतन × ताप में वृद्धि

= (△V)r  / V × △t


वास्तविक तथा आभासी प्रसार-गुणांकों में सम्बन्ध : माना कि काँच के एक बर्तन में कोई द्रव भरा है जिसका आयतन V है। इस बर्तन को गर्म करके उसके तथा द्रव के ताप में △t की वृद्धि की जाती है। तब

                                  द्रव के आयतन में वास्तविक वृद्धि   = γr ×  V × △t
                                  द्रव के आयतन में आभासी वृद्धि     =  γa × V × △t      
                तथा           बर्तन के आयतन में वृद्धि                =  γg  × V × △t

जहाँ  γg  काँच का आयतन-प्रसार-गुणांक है। परन्तु

आयतन में वास्तविक वृद्धि = आयतन में आभासी वृद्धि + बर्तन के आयतन में वृद्ध

γr × V× △t = γa × V × △t + γg × V × △t
अथवा 
∴ γr = γa + γg.

अतः किसी द्रव का वास्तविक प्रसार-गुणांक उस द्रव के आभासी प्रसार-गुणांक तथा बर्तन के पदार्थ के आयतन प्रसार-गुणांक के योग के बराबर होता है।



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