अवस्था परिवर्तन क्या होता है?(Change of State): परिभाषा, उदाहरण
अवस्था परिवर्तन की परिभाषा
यह तो सभी जानते हैं कि पदार्थ की तीन अवस्थायें होती हैं, ठोस, द्रव और गैस। साधारण ताप पर, प्रत्येक पदार्थ इनमें से किसी एक अवस्था में पाया जाता है। परन्तु गर्म करके ठोस को द्रव अवस्था में (जैसे बर्फ को जल में), तथा द्रव को गैस अवस्था में (जैसे जल को भाप में) बदल सकते हैं।
इसके विपरीत ठण्डा करके गैस को द्रव अवस्था में (भाप को जल में), और द्रव को ठोस अवस्था में (जल को बर्फ में) बदल सकते हैं। इन प्रक्रियाओं को 'अवस्था परिवर्तन' कहते हैं। ठोस से द्रव में परिवर्तन को 'गलन' (melting), तथा द्रव से गैस अथवा वाष्प में परिवर्तन को 'वाष्पन' (vaporisation) कहते हैं।
कुछ पदार्थ, जैसे आयोडीन, नौसादर, इन सभी को गर्म करने पर यह ठोस अवस्था से सीधे गैस अवस्था में बदल जाते हैं। इनके इस प्रक्रिया को 'ऊर्ध्वपातन' (sublimation) कहते हैं ।
अवस्था परिवर्तन पर दाब का प्रभाव : जो ठोस गलने पर आयतन में बढ़ते हैं जैसे: मोम, नेप्थलीन आदि; उनका गलनांक बाह्य दाब के बढ़ने पर कुछ बढ़ जाता है। जो ठोस गलने पर सिकुड़ते हैं जैसे: बर्फ उनका गलनांक बाह्य दाब के बढ़ने पर कुछ कम हो जाता है।
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किसी द्रव के क्वथनांक पर भी बाह्य दाब का प्रभाव पड़ता है। दाब कम होने पर क्वथनांक नीचा तथा दाब बढ़ने पर क्वथनांक ऊँचा हो जाता है। दाब कम करके जल को 100°C से नीचे ताप पर भी उबाल सकते है जबकि दाब अधिक करके जल को 100°C से ऊँचे ताप पर उबाला जा सकता है।
अपद्रव्यों का प्रभाव : किसी द्रव में कोई घुलनशील पदार्थ उपस्थित रहने से उसका हिमांक प्रायः कम हो जाता है। जैसे : 0°C पर पिघलती बर्फ में कुछ नमक, शोरा आदि मिलाने से बर्फ का गलनांक (या जल का हिमांक) 0°C से घटकर -22°C तक कम हो जाता है। ऐसे मिश्रण को हिम मिश्रण कहते हैं। इस मिश्रण का उपयोग बर्फ, कुल्फी आदि जमाने के लिए किया जाता है।
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