आनुवंशिकी की परिभाषा (Definition of Genetics)
“जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत सजातीय एवं परस्पर सम्बन्धित जीवों की आनुवंशिक समानताओं एवं विभिन्नताओं का तथा इनकी आनुवंशिकता का अध्ययन किया जाता है, आनुवंशिकी (Genetics) कहलाती है।” पारिभाषिक शब्द के रूप में, “आनुवंशिकी (Genetics)" का प्रयोग सबसे पहले बेटसन (Bateson, 1905) ने किया।
आनुवंशिक लक्षण (Hereditary Characters)
प्रत्येक जीवधारी किसी जीव-जाति (species) का सदस्य होता है। यह नश्वर अर्थात् मरणशील (mortal) होता है; एक आयु के बाद इसकी मृत्यु हो जाती है। फिर भी पृथ्वी पर इसकी जाति का अस्तित्व बना रहता है, क्योंकि मृत्यु से पहले प्रत्येक जीवधारी, प्रजनन द्वारा अपनी ही तरह की सन्तानें उत्पन्न करता है— "Like begets Like"। हम सभी जानते हैं कि कुत्तों के बच्चे सदा पिल्ले होते हैं, मटर के बीजों से मटर के ही पौधे उगते हैं, मानव की सन्तान मानव ही होती है।
इस प्रकार, प्रजनन (reproduction) द्वारा उत्पन्न सन्तानें जनको (माता-पिता) की ही जाति की सदस्य होती हैं, परन्तु इनके जातीय लक्षण बहुत कुछ जनकीय लक्षणों से मेल खाते हुए होते हैं। उदाहरणार्थ-नीली, भूरी या भेंगी आँखों वाले माता-पिता की सन्तानों में भी आँखें प्रायः ऐसी ही होती हैं। इसी प्रकार, खोपड़ी का गंजापन (baldness), बालों का रंग, नाक की आकृति, कुछ रोग, कुछ स्वभाव-सम्बन्धी लक्षण आदि भी सन्तानों को माता-पिता से विरासत में मिलते हैं।
“जीवों के वे सभी लक्षण जो एक पीढ़ी (generation) से दूसरी पीढ़ी में जाते अर्थात् प्रसारित होते हैं, वंशागत या आनुवंशिक लक्षण या विशेषक (hereditary or genetic characters or traits) कहलाते हैं। "
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आनुवंशिकता या वंशागति (Heredity or inheritance) : आनुवंशिक विशेषकों के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने अर्थात् प्रसारित होने की प्रक्रिया आनुवंशिकता या वंशागति कहलाती है।
विभिन्नताएँ (Variations) : अपने जनकों से सजातीय (specific) एवं जनकीय (parental), अर्थात् वंश परम्परागत लक्षणों को वंशागति में प्राप्त करने पर भी सन्तानें कभी अपने जनकों के या परस्पर बिल्कुल समान नहीं होतीं, इनमें कुछ न-कुछ विभिन्नताएँ अवश्य होती हैं जो प्रत्येक सन्तान के अपने पृथक् व्यक्तित्व (individuality) को दर्शाती हैं। कुछ विभिन्नताएँ तो केवल कायिक (somatogenic) और वातावरणीय दशाओं (पालन-पोषण, जलवायु, शिक्षा आदि) की विभिन्नताओं के कारण हो सकती हैं, लेकिन कुछ आनुवंशिक या वंशागत, अर्थात् जननिक (blastogenic) होती हैं।
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आधुनिक आनुवंशिकी की जनक (Father of Modern Genetics)
जीवों में वंशागत समानताओं एवं विभिन्नताओं की उपस्थिति का आभास ग्रीस देश के ईसापूर्व के दार्शनिकों—पाइदैगोरस (Pythagoras, लगभग 500 ईसापूर्व), अरस्तू (Aristotle, 384-322 ईसापूर्व) आदि तथा ईसाबाद 19वीं सदी के मध्य तक के अनेक वैज्ञानिकों को था, परन्तु वंशागति की प्रक्रिया का ज्ञान किसी को नहीं था।
आधुनिक आनुवंशिकी की जनक (Father of Modern Genetics)
जीवों में वंशागत समानताओं एवं विभिन्नताओं की उपस्थिति का आभास ग्रीस देश के ईसापूर्व के दार्शनिकों—पाइदैगोरस (Pythagoras, लगभग 500 ईसापूर्व), अरस्तू (Aristotle, 384-322 ईसापूर्व) आदि तथा ईसाबाद 19वीं सदी के मध्य तक के अनेक वैज्ञानिकों को था, परन्तु वंशागति की प्रक्रिया का ज्ञान किसी को नहीं था।
सन् 1865 में यूरोप के ऑस्ट्रिया (Austria) देश के ब्रून्न (Brunn) नामक शहर में ऑगस्टीनियन (Augustinian) ईसाईयों के पादरी, ग्रेगर जॉन मेन्डल (Gregor Johann Mendel – जीवनकाल 1822-1884), ने वंशागति के मूल नियम बनाकर आधुनिक आनुवंशिकी की नींव डाली। मेन्डल को इसीलिए “आनुवंशिकी या आधुनिक आनुवंशिकी का पिता (Father of Genetics For Modern Genetics)" कहते हैं।
वंशागति पर मेन्डल की खोज का वर्णन तथा उनकी परिकल्पनाएँ सन् 1866 में "Annual Proceedings of the Natural History Society of Brunn" में छपीं, परन्तु, लगभग 34 वर्षों तक वैज्ञानिकों ने इनपर ध्यान नहीं दिया। फिर सन् 1900 में जर्मनी में कार्ल कोरेन्स (Carl Correns), हॉलैण्ड में ह्यूगो डी ब्रीज (Hugo de Vries) तथा ऑस्ट्रिया में एरिक वॉन शेरमैक (Eric Von का इन पर ध्यान गया, अर्थात् इनकी पुनर्खोज हुई।
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