तत्वों के आवर्ती गुण (Periodic Properties of Elements)|hindi


तत्वों के आवर्ती गुण (Periodic Properties of Elements)

तत्वों के आवर्ती गुण (Periodic Properties of Elements)|hindi

आवर्त सारणी में आवर्ती तथा समूहों में तत्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन पाया जाता है। यहाँ तत्वों के कुछ प्रमुख गुणों एवं आवर्ती व समूहों में उनके क्रमिक परिवर्तन का वर्णन किया जा रहा है।

परमाणु त्रिज्या (Atomic Radius)
परमाणु का आकार परमाणु त्रिज्या द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। किसी परमाणु के नाभिक तथा बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों के बीच की दूरी को उस परमाणु की परमाणु त्रिज्या कहते हैं। परमाणु संरचना की आधुनिक धारणा के अनुसार परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की स्थिति निश्चित नहीं होती है। कोई एक इलेक्ट्रॉन कभी नाभिक के पास तथा कभी नाभिक से काफी दूर हो सकता है। इस प्रकार बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों की नाभिक से दूरी भी निश्चित नहीं रहती है। इसके अतिरिक्त प्रयोगों द्वारा परमाणु के नाभिक तथा बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों के बीच की दूरी ज्ञात करना सम्भव नहीं है। अतः विभिन्न तत्वों की परमाणु त्रिज्याओं के आपेक्षिक मान प्रदर्शित करने के लिए कुछ अन्य परिभाषाओं (वान डेर वाल त्रिज्या, सह-संयोजक त्रिज्या तथा आयनिक त्रिज्या) की आवश्यकता होती है। 

वान डेर वाल त्रिज्या, सह-संयोजक त्रिज्या तथा आयनिक त्रिज्या का वर्णन निम्नलिखित है-

वान डेर वाल त्रिज्या (van der Waal's Radius) - किसी तत्व की ठोस अवस्था में उसके दो समीपवर्ती अणुओं के दो समीपवर्ती परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी के आधे को उस तत्व की वान डेर वाल त्रिज्या कहते हैं।

तत्वों के आवर्ती गुण (Periodic Properties of Elements)|hindi


सह-संयोजक त्रिज्या (Covalent Radius) - एकल सह-संयोजक बंध द्वारा जुड़े किसी तत्व के दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी के आधे को उस तत्व की सह-संयोजक त्रिज्या कहते हैं।

वान डेर वाल त्रिज्या व सह-संयोजक त्रिज्या की परिभाषाओं से स्पष्ट है कि किसी तत्व की वान डेर वाल त्रिज्या उसकी सह-संयोजक त्रिज्या से अधिक होती है।

किसी तत्व की परमाणु त्रिज्या को प्रायः उसकी सह-संयोजक त्रिज्या द्वारा प्रदर्शित करते हैं। अक्रिय गैसें लगभग निष्क्रिय होती हैं तथा इनकी सह-संयोजक त्रिज्यायें नहीं होती हैं। अक्रिय गैसों की परमाणु त्रिज्याओं को उनकी वान डेर वाल त्रिज्याओं द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

आवर्त सारणी में परमाणु त्रिज्या का क्रमिक परिवर्तन - परमाणु त्रिज्या दो कारकों (factors) पर निर्भर करती है — शेलों की संख्या तथा नाभिकीय आवेश। शेलों की संख्या बढ़ने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है तथा नाभिकीय आवेश में वृद्धि के कारण परमाणु त्रिज्या कम होती है। परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ-साथ नाभिकीय आवेश बढ़ता है लेकिन प्रभावी नाभिकीय आवेश (effective nuclear charge) कम भी हो सकता है। इसका कारण यह है कि नाभिक तथा बाह्यतम कोश के बीच के इलेक्ट्रॉन एक आवरण (screen) की भांति कार्य करते हैं तथा नाभिकीय आवेश के प्रभाव को कम कर देते हैं।

प्रभावी नाभिकीय आवेश (Effective nuclear charge) = नाभिक में स्थित प्रोटॉनों की संख्या - अन्तिम से पहले वाली शेलों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या

उदाहरण के लिए- 11Na का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है तथा इसका प्रभावी नाभिकीय आवेश 11-2-8=1 है। 12Mg का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 तथा इसका प्रभावी नाभिकीय आवेश 12-2-8=2 है। 20Ca का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8, 2 है तथा इसका प्रभावी नाभिकीय आवेश भी 20-2-8-8=2 ही है।


किसी आवर्त में बायें से दायें IA समूह से VIIA समूह तक जाने पर जैसे-जैसे तत्वों का परमाणु क्रमांक बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे तत्वों की परमाणु त्रिज्याएँ कम होती जाती हैं। इसका कारण यह है कि परमाणु क्रमांक बढ़ने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता जाता है जबकि शेलों की संख्या वही रहती है। फलतः इलेक्ट्रॉनों का खिचाव नाभिक की ओर बढ़ता जाता है जिससे परमाणु त्रिज्याएँ कम होती जाती हैं।

किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर जैसे-जैसे तत्वों का परमाणु क्रमांक बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे तत्वों की परमाणु त्रिज्यायें भी बढ़ती जाती हैं। इसका कारण यह है कि परमाणु क्रमांक बढ़ने पर शेलों की संख्या बढ़ती जाती है। लेकिन प्रभावी नाभिकीय आवेश में कोई वृद्धि नहीं होती है। फलतः परमाणु त्रिज्यायें बढ़ती जाती हैं।

सभी A उपवर्गों तथा शून्य समूह के तत्वों की परमाणु त्रिज्याएँ निम्नलिखित दी गई है।

तत्वों के आवर्ती गुण (Periodic Properties of Elements)|hindi


किसी तत्व की परमाणु त्रिज्या को प्रायः उसकी सह-संयोजक त्रिज्या द्वारा प्रदर्शित करते हैं। अक्रिय गैसों की परमाणु त्रिज्याओं को उनकी वान डेर वाल त्रिज्याओं द्वारा प्रदर्शित करते हैं। ऊपर दी गई सारणी में भी A उपवर्गों के तत्वों की परमाणु त्रिज्याओं को उनकी सह-संयोजक त्रिज्याओं तथा शून्य समूह के तत्वों की परमाणु त्रिज्याओं को उनकी वान डेर वाल त्रिज्याओं द्वारा प्रदर्शित किया गया है। स्पष्ट है कि सारणी में दी गई IA से VIIA समूह के तत्वों की परमाणु त्रिज्याओं की तुलना शून्य समूह के तत्वों की परमाणु त्रिज्याओं से नहीं की जा सकती है। उपरोक्त सारणी से यह स्पष्ट है कि किसी आवर्त में IA से VIIA समूह तक बायें से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या कम होती जाती है तथा समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती जाती है।

ऊपर की सारणी से यह स्पष्ट है कि किसी आवर्त में IA से VIIA समूह तक बायें से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या कम होती जाती है लेकिन उसके कुछ अपवाद भी हैं, 

उदाहरण के लिए - (i) Ga की परमाणु त्रिज्या AI की परमाणु त्रिज्या से कम है। (ii) किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्याओं में इतना अधिक परिवर्तन नहीं होता है जितना कि उसी आवर्त के अन्य तत्वों में होता है।

इन अपवादों को आवरणी प्रभाव (screening effect) की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है।

धात्वीयता (Metallic Character)

धातु वे तत्व हैं जो सरलता से धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं तथा जिनमें कुछ अन्य विशेष गुण पाये जाते हैं जैसे – धात्वीय चमक (metallic lustre), तन्यता (ductility), आघातवर्धनीयता (malleability), ऊष्मा तथा विद्युत् की चालकता, आदि। तत्वों की धात्वीयता उनके धन-विद्युतीय गुणों पर निर्भर करती है। किसी तत्व का घन-विद्युतीय गुण जितना अधिक होगा उसकी धात्वीयता उतनी अधिक होगी।

किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्वों की धात्वीयता घटती जाती है। उदाहरण के लिए

द्वितीय आवर्त      Li       Be        B           C         N        F
धात्वीयता          धातु   अधातु   उपधातु  अधातु  अधातु  अधातु

अधातु किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों की धात्वीयता बढ़ती जाती है। उदाहरण के लिए- IA उपवर्ग में Li, Na, K, Rb व Cs में Cs की धात्वीयता अधिकतम है। VIIA उपवर्ग में F2, CI2 व Br2 अधातु हैं, I2 में घात्वीय चमक पायी जाती है तथा At उपधातु है।

आवर्त सारणी में s-ब्लॉक के सभी तत्व (हाइड्रोजन को छोड़ कर) धातु हैं। d तथा f-ब्लॉक के सभी तत्व भी धातु हैं। p-ब्लॉक में बायीं ओर स्थित कुछ तत्व धातु तथा शेष तत्व अधातु है। दीर्घाकार आवर्त सारणी में धातुओं और अधातुओं को p-ब्लॉक के मध्य एक सीमा रेखा (demarcation line) खींच कर प्रदर्शित किया गया है।


ऑक्साइडों की प्रकृति (Nature of Oxides)
धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं, अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय या उदासीन तथा उपधातुओं के ऑक्साइड उभयधर्मी (amphoteric) होते हैं। स्पष्ट है कि तत्वों के ऑक्साइडों की प्रकृति उनकी धात्वीयता पर निर्भर करती है। किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्वों के ऑक्साइडों की क्षारीय प्रकृति घटती जाती है व अम्लीय प्रकृति बढ़तो जाती है।

किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ऑक्साइडो की क्षारीय प्रकृति बढ़ती जाती है तथा अम्लीय शक्ति घटती जाती है।. उदाहरणार्थ - IVA समूह (C, Si, Ge, Sn व Pb) में CO2 अम्लीय व PbO2 उभयधर्मी है।

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