- साधारण एन्जाइम (Simple enzymes)
- जटिल एन्जाइम (Complex enzymes)
1. साधारण एन्जाइम (Simple enzymes) - ये एन्जाइम एक या एक से-अधिक पॉलिपेप्टाइड शृंखलाओं के बने प्रोटीन्स होते हैं। उदाहरण– एमिलेस, प्रोटिएस, यूरिएस, आदि ।
2. जटिल एन्जाइम (Complex enzymes)– इन एन्जाइमों की रचना एफ जटिल होती है। इनमें प्रोटीन के साथ, प्रोटीन प्रकृति से भिन्न (non-protein) एक अन्य पदार्थ भी जुड़ा रहता है। इस पूरे समूह को होलोएन्जाइम (holoenzyme) कहते हैं। इसमें प्रोटीन भाग को एपोएन्जाइम (apoenzyme) तथा प्रोटीन प्रकृति से भिन्न (non-protein) पदार्थ को सहकारक (cofactor) कहते हैं।
- प्रोस्थेटिक समूह (Prosthetic group)
- कोएन्जाइम (Coenzyme )
- धातु आयन (Metal ions)
(1) प्रोस्थेटिक समूह (Prosthetic group) — जब सहकारक (cofactor) प्रोटीन के अणु से स्थायी रूप से जुड़ा रहता है तब इसे प्रोस्थेटिक समूह (prosthetic group) कहते हैं।
(2) कोएन्जाइम (Coenzyme) - कोएन्जाइम ऐसे कार्बनिक पदार्थ हैं जो कुछ एन्जाइमों की सक्रियता के लिए आवश्यक होते हैं, परन्तु एन्जाइम के साथ क्रिया के समय ही अस्थायी (temporary) रूप से संयुक्त होते हैं, उदाहरण– NAD, NADP, आदि। अनेक कोएन्जाइमों में विटामिन्स आवश्यक पदार्थ होते हैं जैसे NAD+ में नियासिन (Vitamin Bs) तथा कोएन्जाइम A में पेन्टोथेनिक अम्ल (Vitamin B3)।
कुछ मुख्य कोएन्जाइम निम्नलिखित हैं—
- एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट (ATP)
- एडीनोसीन मोनोफॉस्फेट (AMP)
- एडीनोसीन डाइफॉस्फेट (ADP)
- निकोटिनेमाइड ऐडीनीन डाइन्यूक्लिओटाइड फॉस्फेट (NADP)
- फ्लेविन ऐडीनीन डाइन्यूक्लिओटाइड (FAD)
- थायमीन पायरोफॉस्फेट (TPP)
- राइबोफ्लेविन (riboflavin) जो कि विटामिन B2 है
- थायमीन (thiamine), विटामिन B1 है
- नियासिन (niacin), NAD का भाग है
- बायोटिन (biotin)
- पिरिडॉक्सल (pyridoxal) विटामिन Bo, जो कि पिरिडॉक्सल फॉस्फेट (pyridoxal phosphate) से सम्बन्धित है
- कोएन्जाइम A, पेन्टोथेनिक अम्ल (pantothenic acid) से बनता है।
(3) धातु आयन (Metal ions) - कुछ विकरों (enzymes) को उनकी उत्प्रेरण क्रिया के लिये धातु आयनों की आवश्यकता पड़ती है। विभिन्न धात्विक आयन्स एन्जाइमों के साथ सहकारक (cofactor) का कार्य करते हैं। कैटालेस (catalase) एन्जाइम के लिए Fe²+ तथा पेप्टीडेस एन्जाइम के लिए Mn²+ सहकारक (cofactor) हैं, इसके अतिरिक्त Zn²+, Cu²+, Mg²+, Ca²+, आदि भी सहकारक (cofactors) हैं। इन्हें सक्रिय कारक (activators) भी कहा जाता है।
एन्जाइम की त्रिविम संरचना (Three Dimensional Structure of Enzyme)
एक्स-रे क्रिस्टेलोग्राफी (X-ray crystallography) के द्वारा विकर (enzyme) की त्रिविम संरचना की जानकारी हुई, जिससे ज्ञात हुआ कि एन्जाइम में अन्य अणुओं से बन्धन के लिये अर्थात् क्रियाधार (substrate) को एन्जाइम सतह से बाँधने के लिए सक्रिय स्थल (active site) एवं मण्डल (region) निर्मित होते हैं। प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम (ribosome) पर सीधी, रेखीय (linear) शृंखला (chain) में होता है लेकिन इसके मुक्त होने पर यह स्वतः ही त्रिविम आकार को ग्रहण कर लेता है।
सक्रियण ऊर्जा (Energy of Activation)
जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं को अनियन्त्रित और स्वतः रूप में होते रहने से रोकने के लिये जैव-तन्त्र में सभी रासायनिक अभिक्रियाओं के लिये एक ऊर्जा रोधक (energy barrier) होता है। इस ऊर्जा रोधक को हटाने या अभिक्रिया को प्रारम्भ करने के लिये जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है वह उस अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा ( energy of activation) कहलाती है।
उदाहरण के लिये, ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन के मिश्रण में तब तक परस्पर अभिक्रिया नहीं होगी जब तक उन्हें ऊष्मा के रूप में पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल जाती, जो सक्रियण ऊर्जा की स्थिति प्राप्त करने के लिये आवश्यक होती है। क्रियाकारी (reactants) पदार्थों के आरम्भिक कुछ अणुओं को उत्पाद (products) में बदलने के लिये प्राप्त ऊर्जा ही अन्य अणुओं को सक्रिय (activate) करने के लिये पर्याप्त होती है।
इसी प्रकार जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं (biochemical reactions) के लिये भी सक्रियण ऊर्जा (activation energy) की आवश्यकता होती है। जैव-तन्त्रों में विकर (enzymes) ही वे महत्त्वपूर्ण घटक होते हैं, जो सक्रियण ऊर्जा को कम करके उपयुक्त दर पर अभिक्रियाओं के होने में सहायता करते हैं। enzyme सक्रियण ऊर्जा को कम करके अभिक्रिया की गति को बढ़ा देते हैं। यदि हमारी आहार नाल में विकर (enzyme) उपस्थित न हों तो जो भोजन हम खाते हैं उसे पचने में कुछ घंटों के स्थान पर कई दिन लगेंगे।
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