घेंघा (Goiter) रोग के कारण लक्षण एवं उपचार | hindi


घेंघा (Goiter) 

घेंघा (Goiter) रोग के कारण लक्षण एवं उपचार | hindi


घेंघा रोग क्या होता है?

घेंघा रोग को गॉइटर (Goiter) भी कहा जाता है। यह थायरॉइड ग्रंथि के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण होता है। यह तब होता है जब थायरॉइड ग्रंथि पर्याप्त थायरोक्सिन हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती है, जो शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने में मदद करता है। थायरॉइड ग्रंथि गर्दन के सामने की तरफ स्थित होती है। जब यह बढ़ जाती है, तो यह गले में एक गांठ या सूजन का कारण बन जाती है।

घेंघा रोग क्यों होता है?

घेंघा रोग कई कारणों से होता हैं। जिसमें कुछ का वर्णन इस प्रकार है:

1. आयोडीन की कमी: यह घेंघा रोग का सबसे आम कारण है। आयोडीन थायरॉइड हार्मोन का एक महत्वपूर्ण घटक होता है। जब शरीर को पर्याप्त आयोडीन नहीं मिलता है, तो थायरॉइड ग्रंथि हार्मोन का उत्पादन करने के लिए आकार में बढ़ जाती है।

2. थायरॉइडिटिस: सूजी हुई थायरॉइड ग्रंथि को थायरॉइडिटिस कहते है, जो घेंघा रोग का कारण बनती है।

3. आनुवंशिकी: कुछ लोगों में घेंघा रोग अनुवांशिकी के कारण भी होता है।
कुछ दवाएं: घेंघा रोग कुछ दवाओं के कारण भी हो सकता है जो थायरॉइड ग्रंथि के कार्य को प्रभावित करती हैं, जैसे लिथियम। 

घेंघा (Goiter) रोग के कारण लक्षण एवं उपचार | hindi


घेंघा रोग के लक्षण

घेंगा रोग के कई लक्षण देखने को मिलते हैं जिनमें शामिल है:

1. गर्दन में सूजन: यह घेंघा रोग का सबसे आम लक्षण है।

2. सांस लेने में तकलीफ: जब घेंघा रोग गंभीर हो जाता है, तो यह श्वासनली को संकुचित कर देता है जिससे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।

3. निगलने में तकलीफ: घेंघा रोग निगलने में भी तकलीफ पैदा कर सकता है।

4. खांसी: घेंघा रोग के कारण व्यक्ति को खांसी जैसे लक्षण हो सकते है।

5. थायरॉइड हार्मोन असंतुलन: घेंघा रोग हाइपोथायरॉइडिज्म (थायरॉइड हार्मोन की कमी) या हाइपरथायरॉइडिज्म (थायरॉइड हार्मोन की अधिकता) का कारण बन सकता है।


घेंघा रोग का उपचार

घेंघा रोग का उपचार हम कई तरीकों से कर सकते हैं जिनमें शामिल है:

1. आयोडीन का सेवन: आयोडीन की कमी वाले लोगों को आयोडीन युक्त खुराक दी जाती है।

2. थायरॉइड हार्मोन दवाएं: हाइपोथायरॉइडिज्म वाले लोगों को थायरॉइड हार्मोन की दवाएं दी जाती हैं।

3. सर्जरी: यदि घेंघा रोग गंभीर हो जाता है या अन्य उपचारों का इसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, तो इसे ठीक करने का एकमात्र उपचार सर्जरी होती है।

घेंघा रोग में क्या खाना चाहिए?


1. आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ: घेंघा से पीड़ित व्यक्ति को आयोडीन युक्त नमक, समुद्री भोजन, डेयरी उत्पाद, और अंडे का सेवन करना चाहिए।

2. फल और सब्जियां: फल और सब्जियां विटामिन और खनिज से भरपूर होती हैं जो थायरॉइड ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती हैं।

3. साबुत अनाज: साबुत अनाज फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं जो पाचन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होती है।

4. पानी: पानी शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह थायरॉइड ग्रंथि के कार्य के लिए आवश्यक होता है।


घेंघा रोग से बचाव

घेंघा रोग से खुद को बचाने के लिए आप कई तरीके अपना सकते हैं जैसे :

1. आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें: घेंघा रोग से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है आयोडीन युक्त नमक का सेवन।

2. आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ खाएं: आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से घेंघा रोग से बचाव में मदद मिलती है।

3. नियमित रूप से व्यायाम करें: इससे बचाव के लिए आपको नियमित व्यायाम करना चाहिए। नियमित व्यायाम थायरॉइड ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है।

4. तनाव कम करें: खुद को तनाव से दूर रखें चाहिए क्योंकि तनाव थायरॉइड ग्रंथि के कार्य को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष 

घेंघा रोग आयोडीन की कमी से होना वाला एक गंभीर रोग हैं। इसके बचाव और उपचार के तरीकों को अपनाकर आप इससे खुद को बचा सकते हैं। 


FAQs


1. घेंघा रोग किसकी कमी से होता है?

Ans: घेंघा रोग मुख्य रूप से आयोडीन की कमी से होता है। जब शरीर को पर्याप्त आयोडीन नहीं मिलता है, तो थायरॉयड ग्रंथि बढ़ जाती है और व्यक्ति को घेंघा रोग हो जाता है।

2. आयोडीन की कमी से क्या होता है?

Ans: आयोडीन की कमी से व्यक्ति को कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं जैसे:

  • घेंघा रोग: थायरॉयड ग्रंथि का बढ़ना
  • हाइपोथायरायडिज्म: थायरॉयड हार्मोन की कमी
  • गर्भपात और जन्मजात विकृतियां: गर्भवती महिलाओं में
  • बौद्धिक विकलांगता: बच्चों में बौद्धिक विकलांगता


3. गले में थायरॉइड की क्या पहचान है?

Ans: हम गले में थायरॉयड ग्रंथि को कई तरीकों से पहचान सकते हैं जैसे:

  • गले में सूजन: थायरॉयड ग्रंथि बढ़ने पर गले में सूजन दिखाई देती है।
  • निगलने में परेशानी: बढ़ी हुई थायरॉयड ग्रंथि से भोजन निगलने में परेशानी हो सकती है।
  • सांस लेने में परेशानी: बहुत बड़ी थायरॉयड ग्रंथि के कारण सांस लेने में भी परेशानी होने लगती है।
  • आवाज में बदलाव: थायरॉयड ग्रंथि स्वरयंत्र को भी प्रभावित करने लगती है, जिससे आवाज में बदलाव होने लगता है।


4. घेंघा रोग का मुख्य कारण क्या है?

Ans: घेंघा रोग मुख्य रूप से आयोडीन की कमी के कारण के होता है। 


5. गले में थायरॉयड की क्या पहचान है?

Ans: गले में थायरॉयड ग्रंथि की पहचान करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करते हैं:

  • शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर गले की जांच करके थायरॉयड ग्रंथि को महसूस करते हैं।
  • रक्त परीक्षण: रक्त परीक्षण के द्वारा थायरॉयड हार्मोन के स्तर को मापा जा सकता हैं।
  • अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड थायरॉयड ग्रंथि की छवियों को बनाता है।
  • बायोप्सी: बायोप्सी के द्वारा थायरॉयड ग्रंथि के ऊतक का एक छोटा सा नमूना निकालकर उसकी जांच की जाती है।

No comments:

Post a Comment