ऊतक (Tissue) किसे कहते हैं ?: संरचना तथा प्रकार|in hindi


ऊतक (Tissue) किसे कहते हैं?

ऊतक (Tissue) किसे कहते हैं ?: संरचना तथा प्रकार|इन hindi

मेटाजोआ प्राणियों के शरीर में एक ही प्रकार का कार्य करने वाली समस्त कोशिकाओं में आकारिक समानता या संरचनात्मक एकता पायी जाती है। एक-सा कार्य करने वाली कोशिकाएँ शरीर में अनियमित रूप से बिखरी नहीं रहतीं, बल्कि ये छोटे-छोटे क्रियात्मक समूहों में विन्यसित रहती हैं। इन्हें ऊतक (tissue) कहते हैं। अतः ऊतक ऐसी कोशिकाओं का समूह होता है जो उत्पत्ति, संरचना तथा कार्य में समान होती हैं और अजीवित अन्तराकोशिकीय पदार्थ द्वारा परस्पर जुड़ी होती हैं। ऊतक (tissue) शब्द का प्रयोग Bichat (1771-1802) ने किया था।


जीव विज्ञान की औतिकी (histology) शाखा की स्थापना इटली के वैज्ञानिक मारसेलो मैल्पीघी (Marcello Malpighi, 1628-1694) ने की थी। मायर (Mayr, 1891) ने इस शाखा को हिस्टोलॉजी (histology) का नाम दिया।


ऊतक की मूलभूत संरचना (Fundamental Structure of Tissue)

ऊतक में कोशिकाएँ एक अन्तराकोशिकीय पदार्थ (intercellular substance) या मैट्रिक्स (matrix) द्वारा आपस में जुड़ी रहती हैं। कोशिकाएँ स्वयं इस पदार्थ का स्राव करती हैं। यह पदार्थ अर्धतरल व जैली के समान होता है। इसे ऊतक द्रव्य या इन्टरस्टीशियल तरल (tissue fluid or interstitial fluid) कहते हैं। 

ऊतक की समस्त कोशिकाएँ इसी तरल द्वारा घिरी रहती हैं। अन्तराकोशिकीय पदार्थ में रुधिर एवं लिम्फ केशिकाओं (blood and lymph capillaries) का जाल फैला रहता है। रुधिर केशिकाओं से रुधिर प्लाज्मा का कुछ अंश रिस-रिसकर ऊतक द्रव्य में मिलता रहता है। इस तरल में पोषक पदार्थ (ग्लूकोज, एमिनो अम्ल, वसाएँ, ऑक्सीजन, हॉर्मोन्स, विटामिन्स आदि) घुले होते हैं। 

कोशिकाएँ ऊतक द्रव्य से इन पदार्थों को ग्रहण करती हैं और उपापचयी अपशिष्ट पदार्थों (जैसे CO2, नाइट्रोजनी एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थों) को इसमें मुक्त करती रहती हैं। 

ऊतक द्रव्य में से अपशिष्ट पदार्थ वापस रुधिर एवं लिम्फ केशिकाओं में जाते रहते हैं। ऊतक द्रव्य उस माध्यम का कार्य करता है जिसमें से होकर रुधिर एवं कोशिकाओं के बीच रासायनिक पदार्थों का आदान-प्रदान होता है।


ऊतकों के प्रकार (Types of Tissue)

कार्यों के आधार पर जन्तु ऊतक चार प्रकार के होते हैं:

1. एपिथीलियम या उपकलीय ऊतक (Epithelium or Epithelial Tissue): शरीर पर रक्षात्मक आवरण तथा स्राव।

2. संयोजी ऊतक (Connective Tissue): अस्थियाँ, लिगामेंट, टेन्डन, रुधिर एवं लिम्फ भी संयोजी ऊतक ही होते हैं। संयोजी ऊतक अन्य ऊतकों एवं अंगों को अवलम्बन व सुरक्षा देता है एवं उन्हें बाँधने का कार्य करता है।

3. पेशी ऊतक (Muscular Tissue): ये आकुंचन का कार्य करती हैं।

4. तन्त्रिका ऊतक (Nervous Tissue): आवेगों का संचारण।


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