जीभ (Tongue) (स्वादेन्द्रियाँ या स्वाद ग्राही : Gustatoreceptors)| in hindi


जीभ (Tongue) (स्वादेन्द्रियाँ या स्वाद ग्राही : Gustatoreceptors) 


जीभ (Tongue) (स्वादेन्द्रियाँ या स्वाद ग्राही : Gustatoreceptors)| in hindi


स्वाद ग्राही कोशिकाएँ स्वाद कलिकाओं (taste buds) के रूप में लगी होती हैं। ये जीभ की सतह पर बने अंकुरों में धँसी होती हैं। मनुष्य की जीभ (tongue) पर चार प्रकार के अंकुर होते हैं और चारों ही प्रकार के अंकुरों पर स्वाद कलिकाएँ पायी जाती हैं, किन्तु सरकमवैलेट एवं फौलियेट अंकुरों पर अधिक होती हैं। 

जीभ (Tongue) (स्वादेन्द्रियाँ या स्वाद ग्राही : Gustatoreceptors)| in hindi

स्वाद कलिका की संरचना (Structure of Taste Bud) 

प्रत्येक स्वाद कलिका पीपाकार (barrel- shaped) अथवा फ्लास्क के आकार की होती है जिसका ऊपरी सिरा अंकुर की बाह्य सतह पर खुला होता है। इस छिद्र को स्वाद छिद्र कहते हैं। स्वाद कलिका में दो प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं: 

1. अवलम्बन कोशिकाएँ (supporting cells) स्वाद संवेदी कोशिकाओं को घेरे रहती हैं। ये लम्बी स्तम्भी कोशिकाएँ हैं। इनके स्वतन्त्र सिरों पर संवेदी रोम नहीं होते। 

2. संवेदी स्वाद कोशिकाएँ (sensory taste cells) लम्बी, सिरों पर पतली और मध्य भाग से फूली हुई होती हैं। प्रत्येक संवेदी कोशिका के स्वतन्त्र सिरे पर संवेदी रोम (sensory hairs) निकले होते हैं तथा आधार सिरा (basal end) संवेदी न्यूरॉन से सम्बन्धित होता है जो मिलकर संवेदी तन्तु बनाते हैं। 

स्वाद संवेदी कोशिकाएँ भी रसायनग्राही (chemoreceptors) होती हैं। ये उद्दीपनों को केवल तब ही ग्रहण करती है जब घुलित अवस्था में होते हैं। अतः जब लार मिश्रित भोजन स्वाद कलिकाओं के छिद्रों में प्रवेश करता है तो स्वाद संवेदी कोशिकाओं के संवेदी रोम उद्दीप्त होते हैं और स्वाद का बोध कराते हैं। वास्तव में कुल चार प्रकार के स्वाद संवेदी होते हैं: कड़वा, खट्टा, मीठा व नमकीन। अतः स्वाद कलिकाएँ भी चार प्रकार की होती हैं और ये जीभ पर निश्चित स्थानों पर होती हैं। इनकी स्थिति का विवरण पाचन तन्त्र में दिया गया है।


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