नेत्र दोषों के नाम (Abnormalities of Eyes)
कई बार नेत्रों में कुछ दोष हो जाते हैं जिससे हमें देखने में कठिनाई का सामना होता है। नेत्र में कई प्रकार के दोष होते हैं जिनमें से कुछ का वर्णन इस प्रकार हैं:
• भेंगापन (Strabisumus): 6 नेत्र पेशियाँ नेत्र को नेत्रकोटर के अन्दर घुमाती है। यदि इनमें से कोई एक पेशी कुछ छोटी या बड़ी रह जाये तो नेत्रगोलक नेत्रकोटर में कुछ झुका-सा दिखाई देता है। इसी को भेंगापन कहते हैं।
• सबलवाय (Glaucoma): नेत्रगोलक के aqueous तथा vitreous chambers में तरल द्रव्य भरा होता है। इन द्रव्यों के दबाव से नेत्रगोलक की दीवार फैली रहती है और इसके स्तर, अपने-अपने स्थान पर सधे रहते हैं। यदि दबाव बढ़ जाये तो Glaucoma का रोग हो जाता है। इस रोग मे रेटिना क्षतिग्रस्त हो सकता है जिसका परिणाम अन्धापन ही है।
• मोतियाबिन्द (Cataract): आयु बढ़ने के साथ-साथ आँख का लेन्स चपटा, घना और भूरा-सा होने लगता है और अन्त में अपारदर्शी हो जाता है जिसके कारण दिखाई देना बन्द हो जाता है। इसी रोग को मोतियाबिन्द कहते हैं। इसका उपचार लेन्स के प्रत्यारोपण द्वारा किया जाता है।
• दूरदर्शिता (Far Sightedness or Hypermetropia): इस रोग में मनुष्य को पास की वस्तुएँ धुंधली दिखाई देती हैं और दूर की साफ, क्योंकि पास वाली वस्तुओं से आने वाली प्रकाश की किरणें रेटिना के पीछे प्रतिबिम्ब बनाती हैं। अतः वस्तु धुँधली दिखाई देती है। इनमें नेत्रगोलक कुछ चपटा हो जाता है। उत्तल (convex) लेन्स वाला चश्मा लगाना इस समस्या का समाधान है।
• निकटदर्शिता (Near Sightedness or Myopia): इस रोग में रोगी को पास की वस्तुएँ साफ दिखाई देती है और दूर की वस्तुएँ धुँधली। दूर से आने वाली प्रकाश किरणें रेटिना से पहले ही केन्द्रीभूत या फोकस होकर प्रतिबिम्ब बना लेती हैं। इसमें नेत्रगोलक कुछ लम्बा हो जाता है। अवतल (concave) लेन्स वाला चश्मा लगाकर इस समस्या को सुलझाया जा सकता है।
• रतौंधी (Nightblindness): आँख का यह दोष भोज्य पदार्थों में विटामिन A की कमी के कारण होता है। दृष्टि शलाकाओं (Rods) में बैंगनी रंग के रोडोप्सिन (rhodopsin) वर्णक पाये जाते है जो प्रोटीन एवं विटामिन A के बने होते हैं। रेटिनीन विटामिन A से प्राप्त होता है इसी कारण विटामिन A की कमी होने पर रोडोप्सिन का संश्लेषण कम होने लगता है जिसके कारण कम प्रकाश या धुंधलके में दिखायी देना बन्द हो जाता है। इसे रतौंधी कहते हैं।
• वर्णान्धता (Colourblindness): इस रोग से ग्रसित व्यक्ति लाल एवं हरे रंग में विभेद नहीं कर पाता है। यह रोग एक आनुवंशिक नेत्र दोष है जो X लिंग गुणसूत्र पर स्थित अप्रभावी जीन के कारण होमोजाइगस अवस्था में पैदा होता है।
• जोरोफ्थैल्मिया (Xerophthalmia): यह रोग विटामिन A की कमी से होता है। इसमें रेटिना की नेत्र श्लेष्मा (conjunctiva) में किरेटिन जमा हो जाती है जिससे यह अधिक घनी हो जाती है। इससे दृष्टि प्रभावित हो जाती है।
No comments:
Post a Comment