मृदा परिच्छेदिका (Soil Profile):- Definition, Full details of soil layers


मृदा परिच्छेदिका (Soil Profile)

मिट्टी की पाश्र्वीय (Lateral) कटान से देखे जाने वाला दृश्य मृदा की रूपरेखा बनाता है जिससे ठोस चट्टान के निर्माण में भाग लेने वाली पर्तों को देखा जा सकता है। मृदा के निर्माण की प्रक्रिया प्रत्यक्ष रूप से मिट्टी का विकास करती है। जैसे जैसे हम मिट्टी को गहराई में खो जाते जाते हैं मिट्टी के रंग में परिवर्तन होता जाता है ठीक इसी प्रकार चट्टानों के टुकड़ों के आकार में भी परिवर्तन होता जाता है। 

यह परिवर्तन देखने के लिए आप अपने बगीचे में गड्ढा खोदकर या किसी ऐसे स्थान पर जाकर देख सकते हैं जहां पर खुदाई का काम चल रहा हो। यहां पर आपको मिट्टी का परतदार ढांचा देखने को मिलेगा। मिट्टी के ऐसे दृश्य को  मृदा परिच्छेदिका कहते हैं।

मिट्टी का खड़ा अंश जो उसकी विविध परतों दर्शाता है मृदा परिच्छेदिका कहलाता है।

मृदा की सामान्यतः तीन परतें होती हैं। प्रत्येक परत को संस्तर कहते हैं। इन तीनों परतों का विवरण निम्न है-

ऊपरी मृदा या अ-संस्तर -

मिट्टी की सबसे ऊपरी परत अ-संस्तर कहलाती है। इसे ऊपरी मृदा भी कहते हैं। यह प्रायः गहरे रंग की होती है। इसमें पत्थर के बारीक कण होते हैं। इसमें ह्यूमस प्रचुर मात्रा में होता है जो मृत पादप और जंतुओं के अपघटन से बनता है। यह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। पौधों को आवश्यक पोषक तत्व इसी तरह से प्राप्त होते हैं। यह कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण होती है तथा इसके अंदर पौधों की जड़ होती हैं और कई सूक्ष्मजीव भी इसी परत में रहते हैं । इस परत में मिट्टी मुलायम सरंध्र तथा अधिक पानी थामे रखने की क्षमता वाली होती है।

मृदा परिच्छेदिका (Soil Profile):- Definition, Full details of soil layers


अवमृदा या ब-संस्तर 

ऊपरी मृदा के ठीक नीचे ब-संस्तर परत होती है इसे अवमृदा कहते हैं। मिट्टी की यह परत ऊपरी मृदा से कठोर और अधिक सघन होती है। इसमें ऊपरी मृदा की तुलना में कम  मात्रा में ह्यूमस और जैविक पदार्थ होते हैं किंतु इस परत में घुलनशील खनिज लवण तथा आयरन ऑक्साइड प्रचुर मात्रा में रहते हैं। इन खनिजों की उपस्थिति के कारण इसका रंग लाल या भूरा होता है। इसमें रेत पत्थर के चूर्ण और छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं। इसी सतह में वर्षा का जल भी एकत्र होता है। कुछ वृक्षों की जड़े लंबी होने के कारण इस सतह तक पहुंच जाती है। इस सतह में कार्बनिक पदार्थों से कम मात्रा पाई जाती है अतः यह पौधों की वृद्धि के लिए उपयुक्त नहीं है।

पैतृक चट्टान या स-संस्तर 

यह मृदा की सबसे नीचे की परत होती है इसे पैतृक चट्टान या स-संस्तर कहते हैं।यह परत अवमृदा परत के ठीक नीचे होती है। इस परत में पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े और दरार व सन्धियुक्त चट्टानें होती हैं। इसमें कार्बनिक पदार्थों का अभाव पाया जाता है ,परन्तु कुछ खनिज इस परत में पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में चट्टानों के टूटे हुए टुकड़े भूमि का निर्माण करते हैं।

बिस्तर चट्टान या आधार शैल 

पैतृक चट्टान या स-संस्तर के नीचे ठोस चट्टानों की एक मोटी सतह होती है इसे बिस्तर चट्टान या आधार शैल कहते हैं। इसमें छिद्र नहीं होते हैं। यहीं पर वर्षा का जल तथा जल आकर एकत्र होते हैं।यह भूमि की रूपरेखा का आधार है।


इन्हें भी पढ़ें- 

No comments:

Post a Comment