निरपेक्ष आर्द्रता तथा आपेक्षिक आर्द्रता (Humidity) क्या होती है?:परिभाषा, सूत्र|hindi


निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute Humidity) तथा आपेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity) क्या होती है?

निरपेक्ष आर्द्रता तथा आपेक्षिक आर्द्रता क्या होती है?:परिभाषा, सूत्र|hindi

निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute Humidity) तथा आपेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity)

वायु के एकांक आयतन में उपस्थित वाष्प के द्रव्यमान को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसको प्रायः 'ग्राम प्रति घन मी में व्यक्त करते हैं।

जब वायु जल की वाष्प से संतृप्त होती है अथवा संतृप्तता के समीप होती है तो उसे 'नम वायु' (moist air) कहते परन्तु जब वह संतृप्तता से दूर होती है तब उसे 'शुष्क-वायु' (dry air) कहते हैं। वायु के नम अथवा शुष्क होने का ठीक ज्ञान वायु में उपस्थित वाष्प की मात्रा से नहीं हो सकता, बल्कि इससे उल्टे भ्रम हो सकता है। 

गर्मियों में प्रातःकाल जब ओस होती है, तब वायु नम होती है। परन्तु दोपहर को वायु शुष्क हो जाती है। इसका कारण यह है कि प्रातः काल ताप कम होता है, अतः वायु वाष्प की कम मात्रा से ही संतृप्तता के समीप होती है, परन्तु दोपहर को ताप बढ़ जाने से वाष्प को मात्रा अधिक होने पर भी वह संतृप्तता से दूर होती है। अतः स्पष्ट है कि वायु की वाष्प सम्बन्धी दशा उसकी निरपेक्ष आर्द्रता पर निर्भर नहीं करती बल्कि इस बात पर निर्भर करती है कि वह संतृप्तता से कितनी दूर है। इसका ज्ञान वायु को 'आपेक्षिक आर्द्रता' से होता है।


किसी ताप पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित वाष्प के द्रव्यमान तथा उसी ताप पर वायु के उसी आयतन को संतृप्त करने के लिए आवश्यक वाष्य के द्रव्यमान के अनुपात को आपेक्षिक आर्द्रता कहते हैं। इसे प्राय: प्रतिशत में व्यक्त करते हैं, अतः अनुपात को 100 से गुणा कर देते हैं। इस प्रकार, यदि वायु (वायुमण्डल) का ताप °C हो तो आपेक्षिक आर्द्रता,

आ० आ० = 1°C पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित वाष्प का द्रव्यमान / t°C पर वायु के उसी आयतन को संतृप्त करने के लिए आवश्यक वाष्प का द्रव्यमान × 100


परन्तु निश्चित आयतन के लिये द्रव्यमान घनत्व के अनुक्रमानुपाती होता है। अतः,

आ० आ० = t°C पर वायु में उपस्थित वाष्प का घनत्व/t°C पर संतृप्त वाष्प का घनत्व × 100.


असंतृप्त वाष्प, संतृप्त होने तक बॉयल के नियम का पालन करती है। अतः नियत ताप पर, वाष्प का घनत्व, दाब के अनुक्रमानुपाती होगा। तब,

आ० आ० = t°C पर वायु में उपस्थित वाष्प का दाब / t°C पर संतृप्त वाष्प-दाब × 100


हम ऊपर देख चुके हैं कि किसी ताप पर वायु में उपस्थित वाष्प का दाब, ओसांक पर संतृप्त वाष्प-दाब के बराबर होता है। अतः

आ० आ० = ओसांक पर संतृप्त वाष्प-दाब / t°C पर संतृप्त वाष्प-दाब ×100

इस प्रकार यदि संतृप्त वाष्प-दाब ओसांक f पर तथा वायुमण्डल के ताप t°C पर F हो, तो

आपेक्षिक आर्द्रता = f/F × 100

अतः यदि हमें ओसांक ज्ञात हो तो ओसांक तथा वायुमण्डल के ताप पर संतृप्त वाष्प-दाब का मान रैनो की सारणी से देखकर आपेक्षिक आर्द्रता ज्ञात कर सकते हैं।


1. मौसम विज्ञानशालाओं में आपेक्षिक आर्द्रता ज्ञात की जाती है। इससे आने वाले मौसम का अनुमान लगाने में सहायता मिलती है। जैसे, यदि आपेक्षिक-आर्द्रता अधिक हो तो वर्षा होने की सम्भावना रहती है। इस प्रकार की सूचना किसानों तथा विमान चालकों के लिये उपयोगी होती है।

2. स्वास्थ्य विभाग को भी आपेक्षिक आर्द्रता जानने की आवश्यकता होती है, क्योंकि कुछ रोगों के कीटाणु नम वायु में पनपने लगते हैं।

3. सूत के कारखानों में अधिक आपेक्षिक आर्द्रता की आवश्यकता होती है क्योंकि वायु में नमी अधिक होने से सूत का धागा नहीं टूटता। (बम्बई में वायु नम होने के कारण ही कपड़े की मिले अधिक हैं।) परन्तु अत्याधिक नमी स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होती है। अतः बड़े- कारखानों में कृत्रिम साधनों द्वारा उचित नमी उत्पन्न की जाती है। 

4. वातानुकूलन (air conditioning) में भी आपेक्षिक आर्द्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

5. शीत-घरों (cold storages) में गोश्त, फल इत्यादि रखकर खराब होने से बचाये जाते हैं। यहाँ भी वायु की नमी पर नियन्त्रण रखा जाता है क्योंकि नमी अधिक होने पर ये वस्तुयें खराब हो जाती हैं।

उपर्युक्त उदाहरण को देखकर यह पता चलता है कि आपेक्षिक आद्रता का मानव जीवन में कितना अधिक महत्व है। यदि यह अधिक हो जाए या फिर कम हो जाए तो दोनों ही स्थिति में यह नुकसान दे होती है लेकिन यदि यह नियंत्रित रहे तो इसके द्वारा हम कई चीजों का पता लगा सकते हैं।

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