जल की अधिक विशिष्ट ऊष्मा का दैनिक जीवन पर प्रभाव(Effect of specific heat)|hindi


जल की अधिक विशिष्ट ऊष्मा का दैनिक जीवन पर प्रभाव
जल की अधिक विशिष्ट ऊष्मा का दैनिक जीवन पर प्रभाव(Effect of specific heat)|hindi

यदि जल की विशिष्ट ऊष्मा सबसे अधिक हो जाती है तो इसके कारण यह देर में ठंडा होता है तथा देर में ही गर्म होता है। विशिष्ट उष्मा के इस तथ्य के दैनिक जीवन में अनेक उपयोग है :
  1. रोगी की सिकाई गर्म जल की बोतल से की जाती है : इसका कारण यह है कि जल की विशिष्ट ऊष्मा सबसे  अधिक (I कैलोरी/ग्राम-°C) होती है, अर्थात् जल के प्रत्येक ग्राम का ताप 1°C गिरने पर रोगी को 1 कैलोरी ऊष्मा प्राप्त हो जाती है जो कि किसी भी अन्य ठोस अथवा द्रव पदार्थ से मिलने वाली ऊष्मा से अधिक है। इसीलिए ठण्डे देशों में नलों में गर्म जल प्रवाहित करके मकानों को गर्म रखा जाता है।
  2. समुद्र के पास वाले स्थानों की जलवायु पूरे वर्ष एकसी रहती है : इसका कारण यह है कि जल की विशिष्ट ऊष्मा मिट्टी अथवा रेत की विशिष्ट ऊष्मा से लगभग 5 गुनी अधिक होती है। अतः गर्मियों में दिन के समय समुद्र से दूर की पृथ्वी का ताप सूर्य से ऊष्मा लेकर तेजी से बढ़ जाता है जबकि समुद्र के जल का ताप बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। रात के समय जब पृथ्वी तथा समुद्र का जल विकिरण द्वारा ऊष्मा छोड़ते हैं तो पृथ्वी का ताप तो शीघ्रता से गिर जाता है परन्तु जल का ताप बहुत धीरे-धीरे गिरता है। अतः समुद्र से दूर के स्थानों पर दिन व रात के तापों में बहुत अन्तर रहता है ; जबकि समुद्र के पास यह अन्तर बहुत कम होता है। स्पष्ट है कि समुद्र के पास वाले स्थानों पर दिन में बहुत गर्मी नहीं होती तथा रात में बहुत सर्दी नहीं होती।
  3. किसान जाड़ों में अपने पौधों को पाले से बचाने के लिए खेत में जल भर देता है : जाड़ों की रात में जब आसमान साफ रहता है तो पृथ्वी का ताप विकिरण द्वारा गिरने लगता है। कभी-कभी यह ताप हिमांक से भी नीचे गिर जाता है। तब पौधों के भीतर विद्यमान जल जम जाता है। चूँकि जल जमकर फैलता है, अतः पौधों की नसें तथा तने फट जाते हैं। इसके अतिरिक्त पौधों के सम्पर्क में आयी वायु में विद्यमान वाष्प भी बर्फ के महीन कणों के रूप में पौधों पर बैठ जाती है। इसी को पाला कहते हैं तथा यह पौधों को नष्ट कर देता है।
300 पौधों को पाले से बचाने के सबसे अच्छी विधि यह है कि खेत में जल भर दिया जाय। रात को जब ठण्ड पड़ती है तो पौधों का तथा उनके पास की वायु का ताप शीघ्रता से गिरने लगता है। परन्तु जल की विशिष्ट ऊष्मा अधिक होने के कारण जल का ताप बहुत धीरे-धीरे गिरता है। अतः जल कुछ ऊष्मा पौधों व उनके पास की वायु को देता रहता है। अत: उनका ताप भी बहुत अधिक नहीं गिर पाता। इस प्रकार न तो पौधों के अन्दर का जल जमता है और न उन पर पाला बैठता है। अतः पौधे नष्ट होने से बच जाते हैं।

यह हमारे दैनिक जीवन में पड़ने वाले प्रभाव में जो जल जी विशिष्ट ऊष्मा के कारण पढता है। 





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