यूलोथ्रिक्स (Ulothrix) तथा स्पाइरोगायरा (Spirogyra) में अन्तर|hindi


यूलोथ्रिक्स तथा स्पाइरोगायरा में अन्तर (Difference between Ulothrix and Spirogyra)
यूलोथ्रिक्स तथा स्पाइरोगायरा में अन्तर (Difference between Ulothrix/Spirogyra)|hindi

यूलोथ्रिक्स का परिचय
यूलोथ्रिक्स (Ulothrix)मुख्यतः ठण्डे व स्वच्छ तथा अलवणीय जल के तालाबों ,झीलों ,झरनों आदि में पाया जाता है। अपनी Young Age में यह आधार से चिपका हुआ पाया जाता है लेकिन बाद में यह स्वतंत्र रूप से पानी के ऊपर तैरता रहता है। यह तन्तुमय होता है तथा इनमें क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होता है जिनकी सहायता से यह अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। यूलोथ्रिक्स (Ulothrix) की लगभग 30 प्रजातियाँ ज्ञात है जिनमें से यूलोथ्रिक्स जोनेटा (Ulothrix zonata), यूलोथ्रिक्स पेक्टीनेलिस (Ulothrix pectinalis), यूलोथ्रिक्स वेरियेबिलिस (Ulothrix variabilis) भारत में पाई जाने वाली प्रजातियों (Species) में मुख्य है। 

स्पाइरोगायरा (Spirogyra) 
स्पाइरोगायरा ताजे जल में पाए जाने वाला एक हरा-पीला शैवाल होता है। इसे तालाब का रेशम (Pond Silk) या जल का रेशम (Water Silk) भी कहते हैं। यह प्रायः स्थिर जलाशयों ,पोखरों तथा नालियों में मिलता है।स्पाइरोगायरा एडनेटा (Spirogyra adnata) बहते हुए झरनों ,नदियों आदि में मिलता है। स्पाइरोगायरा (Spirogyra) के तन्तु प्रायः जल पर तैरते हुए मिलते हैं परन्तु कुछ कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि इनमें Hold Fast भी होता है।स्पाइरोगायरा (Spirogyra) की लगभग 300 प्रजातियां ज्ञात है जिसमें से भारत में पाए जाने वाली मुख्य जातियां है स्पाइरोगायरा जोगेंसिस (Spirogyra jogensis), स्पाइरोगायरा क्रेसेटा (Spirogyra crassata), स्पाइरोगायरा इण्डिका (Spirogyra indica),स्पाइरोगायरा माइक्रोस्पोरा (Spirogyra microspora) इत्यादि। 
यूलोथ्रिक्स तथा स्पाइरोगायरा में कई अंतर हैं जिनके द्वारा हम इन्हें और अच्छे से जान सकते हैं। इसका वर्णन इस प्रकार हैं -

यूलोथ्रिक्स तथा स्पाइरोगायरा में अन्तर
  1. यूलोथ्रिक्स प्रायः ठण्डे जल में पाया जाने वाले शैवाल होते है। जबकि स्पाइरोगायरा बदलते तापक्रम वाले जल में पाया जाता है।
  2. यूलोथ्रिक्स चमकते हरे रंग का होता है। जबकि स्पाइरोगायरा हरे-पीले रंग का होता है।
  3. यूलोथ्रिक्स को छूने पर यह चिकना प्रतीत नहीं होता है। जबकि स्पाइरोगायरा छूने पर चिकना प्रतीत होता है।
  4. यूलोथ्रिक्स में सबसे नीचे की कोशा स्थापनांग (holdfast) सर्वदा पायी जाती है। जबकि स्पाइरोगायरा में स्थापनांग (holdfast) केवल कुछ ही जातियों में पाया जाता है।
  5. यूलोथ्रिक्स में इसकी कोशिका की लम्बाई, व्यास की अपेक्षा कम होती है। जबकि स्पाइरोगायरा की प्रत्येक कोशिका की लम्बाई अधिक परन्तु व्यास कम होता है।
  6. यूलोथ्रिक्स की कोशिका-भित्ति द्विस्तरीय होती है। इसका आन्तरिक स्तर सेलुलोस का तथा बाह्य स्तर प्रोटोपैक्टिन का बना होता है जो जल में अघुलनशील होता है। जबकि स्पाइरोगायरा की कोशिका-भित्ति भी द्विस्तरीय होती है। इसका आन्तरिक स्तर सेलुलोस तथा बाह्य स्तर पैक्टोस का बना होता है। पैक्टोस का भाग पैक्टिन में परिवर्तित होकर जल में घुलकर एक श्लेष्मिक (mucilaginous) आवरण बना लेता है।
  7. यूलोथ्रिक्स की कोशिका दृति होती है जो कोशिका के मध्य में बड़ी रसधानी को घेरे रहती है। जबकि स्पाइरोगायरा में भी कोशिका दृति होती है, जिसमें केन्द्रक जीवद्रव्य के पतले धागों द्वारा कोशिका के केन्द्र में लटका रहता है।
  8. यूलोथ्रिक्स तथा स्पाइरोगायरा दोनों ही अन्तर्विष्ट (intercalary) वृद्धि द्वारा लम्बाई में बढ़ता है।
  9. यूलोथ्रिक्स की प्रत्येक कोशिका में एक मेखलाकार (girdle-shaped) हरितलवक (chloroplast) होता है। जबकि स्पाइरोगायरा की प्रत्येक कोशिका में एक-से-अधिक फीते के समान लम्बे सर्पिल आकार के हरितलवक (chloroplast) उपस्थित होते हैं।
  10. यूलोथ्रिक्स में अलिंगी जनन, चलजन्युओं, अचलजन्युओं, एकाइनीट, पाल्मेला अवस्था द्वारा होता है। जबकि स्पाइरोगायरा की अधिकतर जातियों में अलिंगी जनन नहीं होता है अर्थात इनमें चलजन्यु किसी भी जाति में नहीं मिलते हैं।
  11. यूलोथ्रिक्स में लिंगी जनन-युग्मक रचना में एक ही प्रकार के होते हैं समयुग्मक (isogametes) प्रकार का। जबकि स्पाइरोगायरा में युग्मकों के कार्य में असमानता होती है। नर युग्मक अमीबा के समान गतिशील होता है।
  12. यूलोथ्रिक्स के युग्मक कशाभयुक्त तथा नाशपाती के आकार के होते हैं। जबकि स्पाइरोगायरा के युग्मक अण्डाकार तथा कशाभविहीन होते हैं।
  13. यूलोथ्रिक्स की प्रत्येक कोशिका में 16 से 64 तक युग्मक बनते हैं। जबकि स्पाइरोगायरा की एक कोशिका में केवल एक ही युग्मक बनता है।
  14. यूलोथ्रिक्स में पक्ष्म की उपस्थिति के कारण युग्मक जल में तैरते रहते हैं। जबकि स्पाइरोगायरा में पक्ष्म अनुपस्थिति होते हैं जिसके कारण इसके युग्मक जल में नहीं तैरते हैं।
  15. यूलोथ्रिक्स के युग्मक में नेत्र बिन्दु (eye spot) पाया जाता है। जबकि स्पाइरोगायरा के युग्मक में नेत्र बिन्दु (eye spot) नहीं पाया जाता है।
  16. यूलोथ्रिक्स के युग्मक तन्तु से अलग होकर तैरते हैं। जबकि स्पाइरोगायरा के युग्मक तन्तु से अलग नहीं होते हैं।
  17. यूलोथ्रिक्स में संयुग्मन-नाल (conjugation tube) नहीं बनती है। जबकि स्पाइरोगायरा में संयुग्मन नाल (conjugation tube) बनती है जिसमें से होकर नर युग्मक मादा युग्मक से जाकर मिलता है।
  18. यूलोथ्रिक्स में बाह्य निषेचन (external fertilization) होता है। जबकि स्पाइरोगायरा में अन्तः निषेचन होता है अर्थात् निषेचन क्रिया मादा कोशा में होती है।
  19. यूलोथ्रिक्स में निषेचन के पश्चात् बने युग्माणु (zygospore) का केन्द्रक अर्धसूत्री विभाजन करके 4-16 चलजन्यु अथवा अचलजन्यु बनाता है जो अनुकूल वातावरण मिलने पर नया तन्तु बनाते हैं। जबकि स्पाइरोगायरा में निषेचन के पश्चात् बने युग्माणु केन्द्रक के अर्धसूत्री विभाजन द्वारा चार केन्द्रक बनाते हैं जिनमें से तीन केन्द्रक नष्ट हो जाते हैं और एक केन्द्रक नये तन्तु को जन्म देता है
उपर्युक्त बिंदुओं के द्वारा यूलोथ्रिक्स तथा स्पाइरोगायरा के बीच के अन्तर को और अच्छी तरह से समझया जा सकता है। 

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