पुष्पों में निषेचन (Fertilization in Angiosperms)
आवृतबीजी पौधों में यह क्रिया परागकण (pollen grain) के केन्द्रक से बने नर युग्मक (male gamete=sperm) व बीजाण्ड में स्थित अण्डकोशा (egg cell) के fusion द्वारा होती है, क्योंकि आवृतबीजी पौधों में बीजाण्ड (ovule), अण्डाशय (ovary) के अन्दर स्थित रहते हैं, इसलिए परागकण इनके सीधे सम्पर्क में नहीं आ सकते हैं।
अतः परागकण, परागकोश से स्वतन्त्र होने पर परागण (pollination) की से क्रिया द्वारा अण्डप के वर्तिकाग्र (stigma) पर पहुँचने के पश्चात् अपना अंकुरण प्रारम्भ करते हैं।
परागकण का वर्तिकाग्र पर अंकुरण (Germination of Pollen Grains on Stigma)
परागकण वर्तिकाग्र पर उपस्थित शक्करीय तरल पदार्थ को शोषित करके फूल जाते हैं और अपना अंकुरण प्रारम्भ कर देते हैं। सबसे पहले intine, exine में स्थित किसी एक जनन छिद्र (germ pore) से एक नलिका के रूप में बाहर निकलती है। जिसे परागनली (pollen tube) कहते हैं।
अधिकतर पौधों में परागकण से एक परागनली का ही निर्माण होता है, परन्तु कुछ पौधों में एक से अधिक परागनली भी बन जाती हैं, जैसे मालवेसी (Malvaceae) व कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुल के सदस्यों में।
परागकोश से बाहर निकलने के समय परागकण में दो रचनायें होती हैं -
परागकोश से बाहर निकलने के समय परागकण में दो रचनायें होती हैं -
- एक बड़ी वर्धी कोशा (vegetative cell or tube cell)
- एक छोटी जनन कोशा (generative cell)
1. खुली वर्तिका (Open style) - इस प्रकार की वर्तिका में परागनली को बीजाण्ड तक जाने के लिए एक सीधा व साफ पथ होता है, जैसे पेपेवरेसी (Papaveraceae) कुल में ।
2. आधी बन्द वर्तिका (Half-closed style) - इस प्रकार की वर्तिका में भी एक नली होती है, लेकिन इसमें कहीं-कहीं पर दो या तीन स्तरीय transmission tissues पाया जाता है, जैसे कैक्टेसी (Cactaceae) कुल में।
3. बन्द वर्तिका (Closed style) - इस प्रकार की वर्तिका में कोई नली नहीं होती है। इसीलिये यह ठोस होती है। इनमें परागनली वर्तिका कोशाओं के मध्य में स्थित अन्तराकोशीय स्थानों (intercellular spaces) से होती हुई बीजाण्ड तक जाती है, जैसे धतूरा व कपास में।
परागनली का बीजाण्ड में प्रवेश (Entry of Pollen Tube into Ovule)
1. परागनली वर्तिका में से होती हुई बीजाण्ड के बीजाण्डद्वार पर पहुँच जाती है। इसी बीच परागनली में स्थित जनन-केन्द्रक विभाजित होकर दो नर-युग्मक (male gametes or sperms) बना लेते हैं।
2. इसके बाद परागनली बीजाण्डद्वार द्वारा या फिर अन्य भाग द्वारा बीजाण्ड में प्रवेश करती है।
3. जब परागनली बीजाण्डद्वार द्वारा अंदर आती है, तो इसे Porogamy कहते हैं। यह इसमें होने वाली सबसे सामान्य विधि है।
4. कुछ पौधों, जैसे केज्युएराइना (Casuarina) में परागनली निभाग द्वारा बीजाण्ड में प्रवेश करती है। इसको निभागी प्रवेश (chalazogamy) कहते हैं।
5. कभी-कभी परागनली बीजाण्ड के integument को तोड़कर प्रवेश करती है, तब इसे Mesogamy कहते हैं, जैसे कुकुरबिटा (Cucurbita) कुल में।
परागनली का भ्रूणकोष में प्रवेश (Entry of Pollen Tube into Embryo Sac)
परागनली बीजाण्ड में प्रवेश करने के पश्चात् बीजाण्डकाय (nucellus) को पार करती हुई भ्रूणकोष तक पहुँच जाती है। परागनली का अन्तिम सिरा egg apparatus में एक synergid cell और egg cell के बीच से होकर या सहायक कोशा को भेदते हुए भ्रूणकोष में प्रवेश करता है। (नीचे चित्र में देखें)
परागनली के भ्रूणकोष में प्रवेश करने के पश्चात् इससे Male Gametes निम्नलिखित किसी भी विधि द्वारा स्वतन्त्र हो जाते हैं-
1. परागनली (pollen tube) के आगे के सिरे पर दो छिद्र बन जाते हैं तथा प्रत्येक छिद्र से एक नर युग्मक (male gamete) स्वतन्त्र हो जाता है।
2. परागनली भ्रूणकोष में आकर अगले सिरे से burst हो जाती है और दोनों नर युग्मक स्वतन्त्र हो जाते हैं।
3. कभी-कभी परागनली अपने अग्र सिरे पर से दो भागों में विभाजित हो जाती है। इसका एक सिरा अण्ड उपकरण की ओर तथा दूसरा द्वितीयक केन्द्रक (secondary nucleus) की ओर बढ़ता है। बाद में ये दोनों भाग अपने अग्र सिरे पर से विघटित हो जाते हैं।
1. भ्रूणकोष में free होने के बाद, एक male gamete, egg cell = female gamete से fusion करके एक zygote बना लेता है इसे true fertilization या syngamy कहते हैं। यह zygote diploid=2n होता है।
2. इसके बाद दूसरा नर युग्मक (second male gamete), द्वितीयक केन्द्रक (secondary nucleus=2n) के साथ मिलकर एक triploid=3n केन्द्रक बना लेता है जिसे प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक (primary endosperm nucleus) कहते हैं तथा इस क्रिया को triple fusion कहते हैं
3. इस प्रकार दोनों ही zygote fertilization में भाग लेते हैं, अर्थात् इसमें निषेचन दो बार होता है। इसे द्विनिषेचन (double fertilization) कहते हैं।
4. द्विनिषेचन की प्रक्रिया में syngamy तथा triple fusion दोनों आते हैं। Syngamy के फलस्वरूप बना युग्मनज (zygote) बाद में भ्रूण (embryo) का निर्माण करता है और triple fusion से बना त्रिगुणित केन्द्रक (triploid nucleus = primary endosperm nucleus) बाद में भ्रूणपोष (endosperm) का निर्माण करता है जो embryo development के समय, भ्रूण के पोषण में काम आता है।
5. निषेचन के पश्चात् सहायक कोशिकाएं (synergids) एवं प्रतिमुख कोशिकाएं (antipodals) नष्ट हो जाती हैं।
जल परागण के बारे में विस्तार से यहाँ पढ़ें - जल परागण (Hydrophily) किसे कहते हैं?
द्विनिषेचन का महत्त्व (Significance of Double Fertilization)
द्विनिषेचन (double fertilization) का वर्णन सर्वप्रथम वैज्ञानिक नवाशिन (Nawaschin) द्वारा 1898 में किया गया था। इस क्रिया में बने zygote से भ्रूण (embryo) बनता है तथा भ्रूणपोष केन्द्रक से भ्रूणपोष (endosperm) का निर्माण होता है। भ्रूणपोष में भोजन का संग्रहण होता रहता है, यह भोजन भ्रूणीय विकास अथवा बीज के अंकुरण (germination) के समय प्रयोग होता है। भ्रूणपोष के कारण भ्रूण का उचित विकास होता है तथा अच्छे स्वस्थ बीज बनते हैं।
निषेचन के पश्चात् बीजाण्ड व अण्डाशय में मुख्य परिवर्तन के बारे में विस्तार से यहाँ पढ़ें.
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