जल परागण (Hydrophily) किसे कहते हैं?
जल परागण की परिभाषा
अधिकांश जलीय पौधों में परागण जल के द्वारा होता है, अर्थात् इनमें एक पुष्प के परागकण जल के माध्यम से दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र (stigma) पर पहुँचते हैं। जल परागण या तो जल के भीतर होता है या फिर जल की सतह पर होता है। जब यह परागण जल के भीतर होता है तब इसे हाइपोहाइड्रोगेमस (hypohydrogamous) कहते हैं, जैसे नैयास (Naias) और सिरैटोफिल्लम (Ceratophyllum) में।वास्तव में इन पुष्पों में जब परागण जल के भीतर होता है तो जल प्रत्यक्ष रूप से परागण के लिये उत्तरदायी होता है। जब जल परागण पानी की सतह पर होता है, तब इसे ऐपीहाइड्रोगेमस (epihydrogamous) कहते हैं, जैसे वैलिसनेरिया (Vallisneria), हाइड्रिला (Hydrilla), आदि। इन पुष्पों में जल अप्रत्यक्ष रूप से परागण क्रिया में भाग लेता है।
जल परागित पुष्पों में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं जो इस प्रकार है-
- जल द्वारा परागित होने वाले पुष्प वायु द्वारा परागित होने पुष्पों की भाँति छोटे, रंगहीन, गन्धहीन तथा मकरन्दरहित होते हैं।
- इन पुष्पों के परागकण हल्के होते हैं जिससे ये पानी की सतह पर तैर सकें। इसके अतिरिक्त इनके चारों ओर मोम जैसे पदार्थ की एक ही परत होती है जो इन्हें पानी में सड़ने से बचाती है।
वैलिसनेरिया (Vallisneria) में जल परागण
यह जलीय पौधा द्विक्षयक या एकलिंगाश्रयी (dioecious) होता है, अर्थात् नर तथा मादा पुष्प अलग-अलग पौधों पर होते हैं। यह तालाब की तली पर उगा होता है। नर पौधों में पुष्प स्थूलमंजरी (spadix) पुष्पक्रम में जल के भीतर ही निकलते हैं।मादा पौधों में पुष्प अकेले जल के भीतर ही निकलते हैं लेकिन इनके पुष्पवृन्त लम्बे तथा कुण्डलित (coiled) होते हैं। मादा पुष्पों के पकने पर इनके पुष्प की पंखुड़ियां खुल जाते हैं जिससे पुष्प पानी की सतह पर आ जाते हैं।
Spadix से नर पुष्प अलग होकर जल की सतह पर आ जाते हैं और मादा पुष्प के इधर-उधर घूमते रहते हैं। मादा पुष्प के सम्पर्क में आने से पुष्पों के परागकोश फट जाते हैं और लसदार परागकण बाहर निकल कर रोमयुक्त वर्तिकाग्रों से चिपट जाते हैं।
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