सुजननिकी का अर्थ होता है- Eugenes = Well-born।
सुजननिकी (Eugenics) की परिभाषा : सुजननिकी व्यावहारिक आनुवंशिकी की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत आनुवंशिकी के सिद्धान्तों की सहायता से मानव की भावी पीढ़ियों में लक्षणों की वंशागति को नियन्त्रित तथा सुधार करके मानव की नस्ल, अर्थात् मानव जाति को सुधारने का अध्ययन किया जाता है। इसके विपरीत, कुछ ऐसे लक्षण जोकि अच्छे नहीं हैं उनकी वंशागति के कारण मानव जाति की आनुवंशिक अवनति होती है जिसको डिस्जेनिक्स (dysgenics) कहते हैं।
संक्षिप्त इतिहास : पुरानी सदी तक लोगों की ऐसी धारणा रहती थी कि राजघरानों और उच्च घरानों की ही सन्तानें, अच्छे पालन-पोषण के कारण, उत्कृष्ट होती हैं। इस प्रकार, उस समय उत्कृष्ट लक्षणों के लिए वातावरणीय दशाओं को ही जिम्मेवार माना जाता था। सर फैन्सिस गैल्टन (Sir Francis Galton, 1883) ने सबसे पहले वैज्ञानिक स्तर पर मानव के आनुवंशिक लक्षणों में सुधार करके मानव जाति के सुधार का विचार रखा और इसे जीव विज्ञान की एक नई शाखा, सुजननिकी (Eugenics) का नाम दिया। उन्हें इसीलिए "सुजननिकी का पिता (Father of Eugenics)" कहते हैं।
सुजननिकी का उपयोग (Application of Eugenics) : सुजननिकी में वास्तविक उद्देश्य व्यक्तिगत मानव के आनुवंशिक लक्षणों को बदलने का नहीं होता, बल्कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी अच्छे तथा उत्तम आनुवंशिक लक्षणों की वंशागति को बढ़ावा देकर तथा घटिया लक्षणों की वंशागति पर रोक लगाकर मानव जाति की पूरी जीनराशि (gene pool), अर्थात् जर्मप्लाज्म (germplasm) को सुधारने का होता है। अत: इसमें सबसे पहले समाज में उच्च एवं निम्न आनुवंशिक लक्षणों वाले व्यक्तियों का विश्लेषण करना आवश्यक होता है।
इसकी दो ही विधियाँ अपनाई जा सकती हैं-
ये दोनों विधियाँ कठिन हैं। अतः इनके लिए समाज में सुजननिकी की जागरूकता आवश्यक है।
समाज में सदस्यों के आनुवंशिक स्तरों का ज्ञान हो जाने पर कई विधियों से हम जाति का सुधार कर सकते हैं। कुछ विधियाँ निषेधात्मक (negative) होती है जबकि कुछ सकारात्मक (positive) होती हैं।
सुजननिकी (Eugenics) की परिभाषा : सुजननिकी व्यावहारिक आनुवंशिकी की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत आनुवंशिकी के सिद्धान्तों की सहायता से मानव की भावी पीढ़ियों में लक्षणों की वंशागति को नियन्त्रित तथा सुधार करके मानव की नस्ल, अर्थात् मानव जाति को सुधारने का अध्ययन किया जाता है। इसके विपरीत, कुछ ऐसे लक्षण जोकि अच्छे नहीं हैं उनकी वंशागति के कारण मानव जाति की आनुवंशिक अवनति होती है जिसको डिस्जेनिक्स (dysgenics) कहते हैं।
संक्षिप्त इतिहास : पुरानी सदी तक लोगों की ऐसी धारणा रहती थी कि राजघरानों और उच्च घरानों की ही सन्तानें, अच्छे पालन-पोषण के कारण, उत्कृष्ट होती हैं। इस प्रकार, उस समय उत्कृष्ट लक्षणों के लिए वातावरणीय दशाओं को ही जिम्मेवार माना जाता था। सर फैन्सिस गैल्टन (Sir Francis Galton, 1883) ने सबसे पहले वैज्ञानिक स्तर पर मानव के आनुवंशिक लक्षणों में सुधार करके मानव जाति के सुधार का विचार रखा और इसे जीव विज्ञान की एक नई शाखा, सुजननिकी (Eugenics) का नाम दिया। उन्हें इसीलिए "सुजननिकी का पिता (Father of Eugenics)" कहते हैं।
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इसकी दो ही विधियाँ अपनाई जा सकती हैं-
- पहली- प्रत्येक व्यक्ति के कुल की कई पीढ़ियों का इतिहास एकत्रित करके देखा जाए कि उसके कुल में कैसे लक्षण वंशागत होते रहे हैं।
- दूसरी- सभी बच्चों को विकास की समान सुविधाएँ देकर देखा कि किसका कितना शारीरिक एवं मानसिक विकास हुआ।
ये दोनों विधियाँ कठिन हैं। अतः इनके लिए समाज में सुजननिकी की जागरूकता आवश्यक है।
समाज में सदस्यों के आनुवंशिक स्तरों का ज्ञान हो जाने पर कई विधियों से हम जाति का सुधार कर सकते हैं। कुछ विधियाँ निषेधात्मक (negative) होती है जबकि कुछ सकारात्मक (positive) होती हैं।
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