हम यह जानते हैं कि लिंग गुणसूत्रों में, लैंगिक लक्षणों के अलावा, कुछ अन्य, गैरलैंगिक या दैहिक (somatic) लक्षणों के जीन्स भी होते हैं। इन्हीं लक्षणों को लिंग-सहलग्न आनुवंशिक गुण या लक्षण कहते है और इनकी वंशागति को लिंग-सहलग्न वंशागति (sex-linked inheritance) कहते हैं।
मनुष्यों में लिंग-सहलग्न वंशागति (Sex-linked Inheritance) का वर्णन इस प्रकार है-
दुर्बल या अप्रबल X-सहलग्न वंशागति (Recessive X-linked Inheritance)
मानव के कुछ आनुवंशिक रोगों के जीन आदर्श रूप से X लिंग गुणसूत्रों में होते हैं। इनमें से अधिकांश रोगों के जीन अप्रबल या सुप्त (recessive) होते हैं, अर्थात् इनके प्रबल या प्रभावी (dominant) ऐलील सामान्य, रोगहीन दशा स्थापित करते हैं।
अब, क्योंकि पुरुष में X गुणसूत्र केवल एक, लेकिन स्त्रियों में दो होते हैं, इन लक्षणों की वंशागति विशेष प्रकार की होती है।
➤ पहली बात कि सुप्त होने के कारण ये रोग संकर, अर्थात् विषमयुग्मजी (heterozygous) स्त्रियों में नहीं होते, लेकिन सुप्त जीन के लिए शुद्ध नस्ली, अर्थात् समयुग्मजी (homozygous) स्त्रियों में होते हैं जिनमें कि प्रत्येक X गुणसूत्र में रोग का, अर्थात् सुप्त जीन होता है। इसके विपरीत, पुरुषों में केवल एक ही X गुणसूत्र होने के कारण ऐसे लक्षण का केवल एक ही जीन उपस्थित होता है (hemizygous condition) । अतः एक ही सुप्त जीन से रोग का विकास हो जाता है। इसीलिए, ऐसे रोग प्रायः पुरुषों में ही अधिक पाए जाते हैं।
➤ दूसरी बात कि पुत्रों को इन लक्षणों के जीन कभी पिता से नहीं मिल सकते, क्योंकि पुरुष का अकेला X गुणसूत्र सदैव पुत्रियों में जाता है। इन पुत्रियों से ही फिर ये जीन दूसरी पीढ़ी (F2) के पुत्रों, अर्थात् नातियों में जाते हैं। ऐसी वंशागति को क्रिस-क्रॉस (criss - cross) वंशागति कहते हैं। इसमें स्त्रियों की भूमिका रोग की जीनी वाहकों (genic carriers) के रूप में अधिक महत्त्वपूर्ण होती है।
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मानव के दुर्बल X-सहलग्न लक्षणों में वर्णान्धता तथा हीमोफिलिया के रोग बहुत प्रसिद्ध हैं। इनकी वंशागति निम्न प्रकार से होती है-
1. वर्णान्धता की वंशागति (Inheritance of Colour Blindness or Colour Vision Deficiency)
मानव के दुर्बल X-सहलग्न लक्षणों में वर्णान्धता तथा हीमोफिलिया के रोग बहुत प्रसिद्ध हैं। इनकी वंशागति निम्न प्रकार से होती है-
1. वर्णान्धता की वंशागति (Inheritance of Colour Blindness or Colour Vision Deficiency)
Colorblind व्यक्ति लाल व हरे रंग का भेद नहीं कर पाते हैं इसीलिए, इस रोग को लाल-हरा अन्धापन (red-green blindness) भी कहते हैं। इसे प्रोटॉन दोष या डैल्टोनिज्म (proton defect or daltonism) भी कहते हैं। वर्णान्ध व्यक्ति कलाकार, डिजाइनर, सज्जा-कलाकार (decorator) या रेल, जहाज, कार आदि का ड्राइवर नहीं बन सकता है। यह रोग सभी मानव प्रजातियों में पाया जाता है। स्त्रियों में यह केवल 1/10 से 1/5 में होता हैं। इसका वर्णन सबसे पहले होरनर (Horner, 1876) ने किया।
➤ जब एक वर्णान्ध पुरुष का cross सामान्य स्त्री से कराया जाता है तो F1 generation में केवल पुत्रियों में ही वर्णान्धता का जीन जाता है, क्योंकि यह पुरुष के X गुणसूत्र में स्थित है। इन पुत्रियों में वर्णान्धता विकसित नहीं होगी, क्योंकि इनमें पिता से प्राप्त एक recessive जीन है और माता से प्राप्त एक dominant जीन है। अतः F1 generation की सन्तान recessive जीन की वाहकों (carriers) का काम करेंगी।
➤ जब एक वर्णान्ध पुरुष का cross सामान्य स्त्री से कराया जाता है तो F1 generation में केवल पुत्रियों में ही वर्णान्धता का जीन जाता है, क्योंकि यह पुरुष के X गुणसूत्र में स्थित है। इन पुत्रियों में वर्णान्धता विकसित नहीं होगी, क्योंकि इनमें पिता से प्राप्त एक recessive जीन है और माता से प्राप्त एक dominant जीन है। अतः F1 generation की सन्तान recessive जीन की वाहकों (carriers) का काम करेंगी।
➤ जब यदि carrier स्त्री का cross सामान्य पुरुष से होता है तो इनकी लगभग आधी सन्तानों में Colour Blindness का जीन आ जाता है, लेकिन यह लक्षण केवल लड़कों में ही विकसित होता है, लड़कियों में यह recessive रहेगा।
➤ इसके विपरीत, ऐसी किसी carrier स्त्री का cross वर्णान्ध पुरुष से होता है तो इनकी सभी पुत्रियों में और आधे पुत्रों में वर्णान्धता का जीन आ जाएगा। इनके पुत्र तो वर्णान्ध होंगे ही, परन्तु अब आधी पुत्रियाँ भी वर्णान्ध होंगी, क्योंकि इनके दोनों लिंग गुणसूत्रों में Colour Blindness का जीन (सुप्त जीन) उपस्थित होगा। एक गुणसूत्र पर का सुप्त जीन इन्हें पिता से और दूसरे पर का माता के जरिए नाना से प्राप्त होता है।
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2. हीमोफिलिया की वंशागति (Inheritance of Hemophilia)
यह भी मनुष्य का एक लिंग-सहलग्न रोग है। एक सामान्य व्यक्ति में, चोट लगने पर औसतन 5-6 मिनट में रुधिर जम जाता है जिससे रुधिर का बहना बन्द हो जाता है। आधुनिक वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि थक्का जमने की प्रक्रिया में कई प्रकार के प्रोटीन तत्व (factors) काम करते हैं।
➤ सामान्यतः हीमोफिलिया के रोगियों के रुधिर में factor VIII नहीं होता है, जिसके कारण चोट लगने पर काफी समय (1/2 से 24 घण्टे) तक, थक्का नहीं जमता और रुधिर बराबर बहता रहता है। इसीलिए, इसे रक्तस्रावण रोग (bleeder's disease) भी कहते हैं। यदि इसका शीघ्र उपचार न हो तो, अत्यधिक रक्तस्राव के कारण इसका रोगी मर जाता है। वैज्ञानिकों ने तत्व IX की अनुपस्थिति से भी हो जाने वाले हीमोफिलिया रोग का पता लगाया है। इसलिए पहले से ज्ञात रोग को हीमोफिलिया A तथा इस नए रोग को हीमोफिलिया B कहा गया है।
➤ यह रोग प्रायः पुरुषों में ही पाया जाता है। इसकी वंशागति वैसी ही होती है जैसी वर्णान्धता की होती है। पुरुषों को इसका जीन माता से प्राप्त होता है जो प्रायः संकर अर्थात् विषमयुग्मजी (hybrid or heterozygous) और रोग की वाहक होती हैं। इसके रोगी प्रायः बचपन में ही या सन्तान उत्पन्न करने से पहले ही मर जाते हैं। इसीलिए, शुद्ध नस्ली (homozygous) स्त्रियाँ, जो स्वयं इस रोग से प्रभावित हों, समाज में सामान्यतः नहीं मिलतीं। वस्तुतः प्रभावित वंशों में, स्त्रियों के माध्यम से, पीढ़ी-दर-पीढ़ी, कुछ पुरुष रोगी होकर समाप्त होते रहते हैं।
➤ यह रोग प्रायः पुरुषों में ही पाया जाता है। इसकी वंशागति वैसी ही होती है जैसी वर्णान्धता की होती है। पुरुषों को इसका जीन माता से प्राप्त होता है जो प्रायः संकर अर्थात् विषमयुग्मजी (hybrid or heterozygous) और रोग की वाहक होती हैं। इसके रोगी प्रायः बचपन में ही या सन्तान उत्पन्न करने से पहले ही मर जाते हैं। इसीलिए, शुद्ध नस्ली (homozygous) स्त्रियाँ, जो स्वयं इस रोग से प्रभावित हों, समाज में सामान्यतः नहीं मिलतीं। वस्तुतः प्रभावित वंशों में, स्त्रियों के माध्यम से, पीढ़ी-दर-पीढ़ी, कुछ पुरुष रोगी होकर समाप्त होते रहते हैं।
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प्रबल X-सहलग्न गुण (Dominant X-linked Characters) : मनुष्य के कुछ X-सहलग्न आनुवंशिक लक्षण, जैसे दाँतों का खराब इनैमल (enamel), सुप्त नहीं, ब्लकि प्रबल (dominant) जीन्स के कारण होते हैं। अतः स्पष्ट है कि ये लक्षण पुरुषों एवं स्त्रियों, दोनों में ही समान रूप से विकसित होते हैं। स्त्रियों में, पुरुषों की अपेक्षा इन लक्षणों की दुगुनी सम्भावना होती है क्योंकि इनमें 2X गुणसूत्र पाए जाते हैं।
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लिंग-प्रभावित लक्षण (Sex-influenced or Sex-controlled Traits)
मानव के कुछ ऐसे लक्षण भी होते हैं जिनके जीन तो ऑटोसोम्स पर होते हैं, परन्तु उसका विकास व्यक्ति के लिंग से प्रभावित होता है। दूसरे शब्दों में, पुरुष और स्त्री में जीनरूप (genotype) समान होते हुए भी दृश्यरूप (phenotype) भिन्न होता है। मानवों में गंजापन (baldness) काफी होता है। यह विकिरण (radiation) तथा थाइरॉइड ग्रन्थि की अनियमितताओं के कारण भी हो सकता है और आनुवंशिक भी हो सकता है।
➤ आनुवंशिक गंजापन (pattern baldness or alopecia) एक autosomal ऐलीली जीन जोड़ी (B, b) पर निर्भर करता है। समयुग्मजी अर्थात् होमोजाइगस प्रबल जीनरूप (BB) हो तो गंजापन पुरुषों और स्त्रियों दोनों में विकसित होता है, लेकिन विषमयुग्मजी अर्थात् हिटरोजाइगस जीनरूप (Bb) होने पर यह स्त्रियों में नहीं केवल पुरुषों में विकसित होता है, क्योंकि इस जीनरूप में इसके विकास के लिए नर हॉरमोन्स का होना आवश्यक होता है। समयुग्मजी अर्थात् होमोजाइगस सुप्त जीनरूप (bb) में गंजापन नहीं होता है।
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लिंग-सीमित लक्षण (Sex-limited Traits)
ऐसे आनुवंशिक लक्षणों के जीन भी ऑटोसोम्स में होते हैं। इनकी वंशागति सामान्य मेन्डेलियन पद्धति के अनुसार होती है, लेकिन इनका विकास पीढ़ी-दर-पीढ़ी केवल एक ही लिंग के सदस्यों में होता है। गाय, भैंस आदि में दुग्ध का श्रावण, भेड़ों की कुछ जातियों में केवल नर में सींगों का विकास, मानव में दाढ़ी-मूँछ आदि के लक्षण ऐसे ही होते हैं।
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